सामाजिक कहानियां कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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रक अदद औरत - 2 By Kishanlal Sharma

इसलिये वह बात बात पर ताने मारती और कोसती,"खुद तो मर गए लेकिन मेरी जान को इसे छोड़ गए।"चाची के घर मे कमला नौकरानी की तरह दिन रात पिसती रहती।सुबह अंधेरे ही चाची उसे आकर झिंझोड़ती,"उठना...

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शाकुनपाॅंखी - 38 - अन्दखुद By Dr. Suryapal Singh

57. अन्दखुद अन्दखुद में शहाबुद्दीन गोरी छिपा तो, पर बचाव की कोई उम्मीद नहीं थी । उसकी सेना नष्ट हो चुकी थी। जो बचे थे उसमें से अधिकांश तितर बितर हो गए थे। गोरी को लगा कि उसकी मौत न...

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जलसतह By Bharati babbar

उसके स्टेशन पहुँचते ही बूँदाबाँदी शुरू हो गयी।मॉनसून के साथ ही शहर का मूड जैसे बदल गया।सबके चेहरे खिले हुए लगे।एक मॉनसून ही तो बदलता है मुंबई शहर को, अन्यथा दो ही मौसम हैं यहाँ,गर्...

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उजाले की ओर –संस्मरण By Pranava Bharti

==================== सभी मित्रों को स्नेहिल नमस्कार "भई, त्योहारों के इस सुंदर मौसम में तुम्हारे चेह...

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सरला लौट आई By Wajid Husain

वाजिद हुसैन की कहानी -मार्मिक सरला का प्रभाव कुछ ऐसा था कि लोग उसे सर्वगुण संपन्न लड़की मानते थे‌। उसकी सम्मोहक आंखों का जादू चल जाता तो कोई शायर शायरी लिखने लगता‌। उसके पापा के पा...

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मछरगन्धा... By Saroj Verma

"क्या हुआ पुरोहित जी! ऐसे उदास क्यों बैठें हैं"? राममूरत ने बूढ़े पुरोहित जी से पूछा.... "बहुत बुरा हुआ बेटा उसके साथ,ऐसा नहीं होना चाहिए था,उसके कर्मों की इतनी बुरी सजा उसे नहीं मि...

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दिखता नहीं क्या By vinayak sharma

दशरथ पढ़ा लिखा वहीं तक था, जहाँ तक कि कुछ लिखा पढ़ सके। दशरथ का बचपन बहुत हिंज्यादा गरीबी में बीता था। गरीबी इतनी ज्यादा थी कि बहुत ही मुश्किल से परिवार का पेट भर पाता था। किसी दिन ए...

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बीते दिनों का करवा चौथ By Sudhir Srivastava

संस्मरणबीते दिनों में करवा चौथ"""""""""""""""""""""""""******* करवा चौथ का पर्व आते ही मुझे अपने बचपन के दिनों की याद आ जाती है, जब घर के आंगन में हफ्तों पहले से ही बड़ी मां दादी क...

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मैं ग़लत था - भाग - 11 (अंतिम भाग) By Ratna Pandey

विवाह के दो दिन बाद पग फेरे के लिए जब छोटे लाल छुटकी और भले राम को अपने घर ले गया तब उसने अपने माँ-बाप की आपस में बात सुनी। उसकी माँ ने कहा, "छोटे के बाबूजी एक परात में पानी रख लेत...

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सानिध्या By Lakhan Nagar

अंततया , अंतिम रूप से रेलवे की परीक्षा में चयन के बाद आज देहरादून से दिल्ली जा रहा हूँ  । सारा सामान पैक कर लिया हैं । घर-परिवार स्टेशन तक छोड़कर चला गया हैं । स्टेशन पर पहुँचते ही...

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विश्व शांति की स्थापना में भारत की भूमिका By Sudhir Srivastava

आलेख विश्व शांति की स्थापना में भारत की भूमिका ******************* शांति की समस्या आज जब चहुँओर दिखती है, घर परिवार समाज से लेकर राष्ट्र और समूचे विश्व की ये वैश्विक समस्या है। और...

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अमृत या विष ? By उषा जरवाल

अमृत या विष ? आज सुबह जल्दी ही घर का सारा काम निपटा लिया था क्योंकि स्कूल से आते ही तीन बजे की ट्रेन से मुझे दिल्ली के लिए निकलना था |  नेहा मेरी दोस्त है जो एक मल्टीनेशनल कंपनी मे...

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दर्द का रिश्ता By Ashish Dalal

“तो ये तुम्हारा आखरी फैसला है? एक बार ठंडे दिमाग से फिर से सोचो अन्वेषा ।” अनिकेत ने ऑफिस से लौटने के बाद अन्वेषा से हुई लम्बी बहस के बाद उसे समझाने की कोशिश की । इस पर अन्वेषा ने...

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रक अदद औरत - 2 By Kishanlal Sharma

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शाकुनपाॅंखी - 38 - अन्दखुद By Dr. Suryapal Singh

57. अन्दखुद अन्दखुद में शहाबुद्दीन गोरी छिपा तो, पर बचाव की कोई उम्मीद नहीं थी । उसकी सेना नष्ट हो चुकी थी। जो बचे थे उसमें से अधिकांश तितर बितर हो गए थे। गोरी को लगा कि उसकी मौत न...

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