सामाजिक कहानियां कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • स्वीकृति - 14

    बड़के चाचा के इस दावे से, कि पिछले 2 दिन से होटल के उस कमरे में जो महिला बंद पड़...

  • उत्तरजीवी

    विभागाध्यक्ष की ऊंची एड़ी की सैंडिल अपनी धमक के साथ विभाग की ओर तेजी से बढ़ रही थी...

  • एक खूबसूरत सफर

    सत्य ही कहा गया है कि दुनिया बहुत छोटी है, कब किस मोड़ पर कौन बिछड़ा हुआ मिल जाय क...

स्वीकृति - 14 By GAYATRI THAKUR

बड़के चाचा के इस दावे से, कि पिछले 2 दिन से होटल के उस कमरे में जो महिला बंद पड़ी थी उसे वह जानते है, वह उनकी ही परिचित हैं , पुलिस वाले ने राहत की सांस ली कि चलो.., इस मामले से जल...

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उत्तरजीवी By Deepak sharma

विभागाध्यक्ष की ऊंची एड़ी की सैंडिल अपनी धमक के साथ विभाग की ओर तेजी से बढ़ रही थी। लिव ! लिव ! लिव ! सुधा ने मन ही मन दोहराया और मुस्कराई । पंद्रह दिन पहले अस्पताल से लौटकर जब वह अप...

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एक खूबसूरत सफर By Rama Sharma Manavi

सत्य ही कहा गया है कि दुनिया बहुत छोटी है, कब किस मोड़ पर कौन बिछड़ा हुआ मिल जाय कुछ कहा नहीं जा सकता था।मैंने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि अब कभी जिंदगी में उससे मुलाकात हो पाएगी।ह...

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घुटन - अंतिम भाग By Ratna Pandey

एक दिन कुमुदिनी ने तिलक से कहा, "तिलक भैया आप क्यों मेरी मम्मी को यह बात नहीं बता देते। बता दो ना? मेरे पापा, मम्मी से बहुत डरते हैं। यदि माँ के सामने वह स्वीकार कर लेंगे तो शायद फ...

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अय्याश--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

शौक़त के घरवाले उन पर दबाव बनाने लगें,यहाँ तक कि शौक़त की अम्मी और अब्बाहुजूर भी चाहते थे कि कैसे भी उन पर दबाव बनाकर हमारा उनसे तलाक़ करवा दिया जाएं, वें सभी इस मक़सद में कामयाब भी हो...

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शेष जीवन (कहानियां पार्ट14) By Kishanlal Sharma

अपने दो बेटों और एक बेटी की शादी वह कर चुके थे।शादी करने से पूर्व उन्होंने अपने बच्चों की राय जानना भी जरूरी नही समझालेकिन रमेश को विश्वास था कि उसके साथ ऐसा नही होगा।उसके ऐसा सोचन...

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कॉन्डम और प्रेम के हालात By बिट्टू श्री दार्शनिक

"कॉन्डम" स्कूल जाते बच्चे से ले कर के आज की पीढ़ी के हर बूढ़े लोग तक इस शब्द को जानते है।यह शब्द उस वस्तु के लिए उपयोग किया गया है जो की एक पतले से प्लास्टिक रबर के बने गुब्बारे जै...

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गरीब बाप - 1 By Mintu Paswan

नमस्कार दोस्तों मैं आप के बीच एक ऐसा कहा एक गरीब कि ज़िन्दगी क्या होती हैं। यह एक कहानी नहीं सच्चाई है । भारत का एक ऐसा राज्य जो गरीबों का राज्य नी लेकर आया हूँ ,जिससे पता चलता है...

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बंद हो चुकी खिड़की By Dr pradeep Upadhyay

बंद हो चुकी खिड़कीआज बत्तीस साल के बाद उससे सामना हुआ था।पहले तो सोचा भी कि उसके सामने नहीं जाऊं। फिर भी मन के किसी कोने में कहीं कोई दबी-छुपी ख्वाहिश मुझे उसके सामने जाने को विवश...

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निष्ठा By जॉन हेम्ब्रम

शाम का वक्त था परिणीति अपनी मां के लिए दवाइयां खरीदने बाजार गई हुई थी। उसके पिता बचपन में ही चल बसे थे उसका एक बड़ा भाई और सिर्फ मां थी,लेकिन उसकी मां अक्सर किसी बीमारी से पीड़ित ह...

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क्या मैं पैसे खाती हूं! By Saroj Prajapati

बड़े शहर में रहने के कारण उनके खर्चे काफी बढ़ने लगे थे। कितना भी देखभाल कर खर्च करती है लेकिन महीने का अंत आते आते लाख चाहने के बाद भी बचत तो दूर खर्चे पूरे करने भी दूभर होने लगे थ...

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मैं यमुनानगर हूँ By Jatin Tyagi

यमुना नगर :- हरियाणा का एक ऐसा जिला जिसे भारत विभाजन के समय लोगो ने बसाया । जिन्हें हम रिफ्यूजी कहते हैं । यमुना नगर को आजादी के समय में यमुना नगर नहीं कहा जाता था । आज मेरा शहर इत...

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फेसबुक आशिक़ी By Rama Sharma Manavi

मेरी इकलौती 19 वर्षीया बेटी शिवी बीकॉम द्वितीय वर्ष की छात्रा है,बेहद चुलबुली,हमेशा खिलखिलाने वाली लेकिन पढ़ाई के प्रति पूर्ण गम्भीर,वह सीए बनना चाहती है।उसकी तीन अच्छी फ्रेंड्स हैं...

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गुलाम भारत में खुली एक छोटी सी दुकान कैसे बनी आजाद भारत का नंबर वन ब्रांड By Jatin Tyagi

हल्दीराम के प्रोडक्ट्स लगभग हर घर में इस्तेमाल किए जाते हैं. वहीं किसी भी पार्टी में नाश्ते के तौर पर लगाई जाने वाली नमकीन बिना हल्दीराम के अधूरी सी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि...

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कितना बदल गया इंसान By S Sinha

                                                    लेख -  कितना बदल गया इंसान    आज हम दशकों बाद  अपने बीते दिनों , ख़ास कर बचपन की धूमिल यादों को  ,  साफ़ साफ़ देखने का प्रयास कर रह...

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मजदूर की बेटी By Kumar Kishan Kirti

मैं प्रतिदिन उसे शाम के वक्त पसीने से लथपथ होकर अपने घर की तरफ लौटता देखता।सिर पर मैला-कुचैला पगड़ी बांधे, शरीर पर धूलकण,पैबंद लगी पुरानी धोती पहने हुए वह अपने कंधे पर कुदाल लेकर लौ...

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खोखले रिश्ते By Rama Sharma Manavi

आराध्या अनमनी सी सोफे पर बैठी विगत जगत में विचरण कर रही थी, सामने टेबल पर रखी चाय भाप उड़ाकर कोल्ड टी में बदल चुकी थी।अभी 14 दिन पहले तो सब ठीक ही प्रतीत हो रहा था या शायद सामान्य र...

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परवाह By Saroj Prajapati

"क्या सिर्फ दो परांठे! एक और ले!!" मीनल की मां उससे आग्रह करते हुए बोली।" क्या मम्मी पहले भी तो दो ही पराठे खाती थी। अब शादी हो गई ।इसका मतलब यह तो नहीं कि मेरी भूख बढ़ जाएगी!! आप...

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स्वीकृति - 14 By GAYATRI THAKUR

बड़के चाचा के इस दावे से, कि पिछले 2 दिन से होटल के उस कमरे में जो महिला बंद पड़ी थी उसे वह जानते है, वह उनकी ही परिचित हैं , पुलिस वाले ने राहत की सांस ली कि चलो.., इस मामले से जल...

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उत्तरजीवी By Deepak sharma

विभागाध्यक्ष की ऊंची एड़ी की सैंडिल अपनी धमक के साथ विभाग की ओर तेजी से बढ़ रही थी। लिव ! लिव ! लिव ! सुधा ने मन ही मन दोहराया और मुस्कराई । पंद्रह दिन पहले अस्पताल से लौटकर जब वह अप...

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एक खूबसूरत सफर By Rama Sharma Manavi

सत्य ही कहा गया है कि दुनिया बहुत छोटी है, कब किस मोड़ पर कौन बिछड़ा हुआ मिल जाय कुछ कहा नहीं जा सकता था।मैंने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि अब कभी जिंदगी में उससे मुलाकात हो पाएगी।ह...

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घुटन - अंतिम भाग By Ratna Pandey

एक दिन कुमुदिनी ने तिलक से कहा, "तिलक भैया आप क्यों मेरी मम्मी को यह बात नहीं बता देते। बता दो ना? मेरे पापा, मम्मी से बहुत डरते हैं। यदि माँ के सामने वह स्वीकार कर लेंगे तो शायद फ...

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अय्याश--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

शौक़त के घरवाले उन पर दबाव बनाने लगें,यहाँ तक कि शौक़त की अम्मी और अब्बाहुजूर भी चाहते थे कि कैसे भी उन पर दबाव बनाकर हमारा उनसे तलाक़ करवा दिया जाएं, वें सभी इस मक़सद में कामयाब भी हो...

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शेष जीवन (कहानियां पार्ट14) By Kishanlal Sharma

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कॉन्डम और प्रेम के हालात By बिट्टू श्री दार्शनिक

"कॉन्डम" स्कूल जाते बच्चे से ले कर के आज की पीढ़ी के हर बूढ़े लोग तक इस शब्द को जानते है।यह शब्द उस वस्तु के लिए उपयोग किया गया है जो की एक पतले से प्लास्टिक रबर के बने गुब्बारे जै...

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गरीब बाप - 1 By Mintu Paswan

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बंद हो चुकी खिड़की By Dr pradeep Upadhyay

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मैं यमुनानगर हूँ By Jatin Tyagi

यमुना नगर :- हरियाणा का एक ऐसा जिला जिसे भारत विभाजन के समय लोगो ने बसाया । जिन्हें हम रिफ्यूजी कहते हैं । यमुना नगर को आजादी के समय में यमुना नगर नहीं कहा जाता था । आज मेरा शहर इत...

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                                                    लेख -  कितना बदल गया इंसान    आज हम दशकों बाद  अपने बीते दिनों , ख़ास कर बचपन की धूमिल यादों को  ,  साफ़ साफ़ देखने का प्रयास कर रह...

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मजदूर की बेटी By Kumar Kishan Kirti

मैं प्रतिदिन उसे शाम के वक्त पसीने से लथपथ होकर अपने घर की तरफ लौटता देखता।सिर पर मैला-कुचैला पगड़ी बांधे, शरीर पर धूलकण,पैबंद लगी पुरानी धोती पहने हुए वह अपने कंधे पर कुदाल लेकर लौ...

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खोखले रिश्ते By Rama Sharma Manavi

आराध्या अनमनी सी सोफे पर बैठी विगत जगत में विचरण कर रही थी, सामने टेबल पर रखी चाय भाप उड़ाकर कोल्ड टी में बदल चुकी थी।अभी 14 दिन पहले तो सब ठीक ही प्रतीत हो रहा था या शायद सामान्य र...

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परवाह By Saroj Prajapati

"क्या सिर्फ दो परांठे! एक और ले!!" मीनल की मां उससे आग्रह करते हुए बोली।" क्या मम्मी पहले भी तो दो ही पराठे खाती थी। अब शादी हो गई ।इसका मतलब यह तो नहीं कि मेरी भूख बढ़ जाएगी!! आप...

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