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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Fiction Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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Featured Books

साथिया - 85 By डॉ. शैलजा श्रीवास्तव

" छोड़िये भैया..!!" आव्या ने दोबारा से आकर आकर निशांत से उसका हाथ छुड़ाना चाहा तो निशांत ने एक जोरदार तमाचा आव्या के चेहरे पर मारा और आव्या का सिर घूम गया और वह एकदम से बिस्तर पर ज...

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स्वयंवधू - 1 By Sayant

मैंने सुना था कि ज़िंदगी सभी को मौका देती है, यहाँ तक कि उसे भी जो इसके लायक नहीं होते। मैंने सोचा कि मेरे पास भी एक मौका है, लेकिन यह मेरा भ्रम था, वो आज मिटने वाला था... "कितना ल...

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अमावस्या में खिला चाँद - 11 By Lajpat Rai Garg

- 11 -         एक दिन प्रिंसिपल ने टाइम टेबल देखकर शीतल के ख़ाली पीरियड में उसे अपने ऑफिस में बुलाया और बताया - ‘शीतल मैम, इस बार ज़ोनल यूथ फ़ेस्टिवल अपने...

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प्यार हुआ चुपके से - भाग 15 By Kavita Verma

गौरी के घर उसके बर्थडे की पार्टी शुरु हो चुकी थी। पार्टी घर के लॉन में ही थी इसलिए सारा अरेंजमेंट भी वही किया गया था। सारे मेहमान, यहां-तहां खड़े बातें करने में लगे हुए थे। शिव के...

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फागुन के मौसम - भाग 7 By शिखा श्रीवास्तव

राघव अभी कार से उतरा ही था कि नंदिनी जी ने उसके पास आते हुए कहा, "बेटा, तुम्हें मौसी ने आश्रम में बुलाया है।""कोई ख़ास बात है क्या माँ?""अब ये तो वहीं जाकर पता चलेगा बेटा।""अच्छा, आ...

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फादर्स डे - 64 By Praful Shah

लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 64 बुधवार 19/07/2000 अंकुश को मॉं और पत्नी का डर दिखाते ही वह लहू बात करने के लिए चला गया था। मांगे थे दस मिनट, लेकिन अंकुश सिर्फ तीन मिनट में ही वापस आ गया।...

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कर्म से तपोवन तक - भाग 6 By Santosh Srivastav

अध्याय 6 भोजनगर के राजमहल से आती भैरवी की तान और प्रातः वंदन के मधुर स्वरों ने गालव और माधवी को प्रसन्नता से भर दिया। धीरे-धीरे उन्होंने राज महल की ओर कदम बढ़ाए।  भोजनगर का रा...

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शोहरत का घमंड - 72 By shama parveen

तब ऋतु बोलती है, "अरे वाह भाई बर्थडे मेरा और दिन तुम्हारा क्या बात है"।तब अबीर बोलता है, "उस दिन तो मै अपने दिल की बात कह कर रहूंगा और किसी से भी नही डरूंगा"।तब ऋतु बोलती है, "ये ह...

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दहशत में सिसकती जिन्दगी By Arvend Kumar Srivastava

दहशत में सिसकती जिन्दगी   ‘वनिता’ ने श्रीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से ‘वहाबपोरा’ के लिये सीधी टैक्सी ली थी। ‘वहाबपोरा’ ‘अहैजी’ नदी के तट पर बसा जम्मू कश्मीर राज्य के बड़गांव जनप...

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पथरीले कंटीले रास्ते - 12 By Sneh Goswami

पथरीले कंटीले रास्ते    12   रविंद्र को झाङू दिखाकर वह कैदी तो चला गया पर रविंद्र काफी देर गुमसुम सा खङा सोचता रहा कि क्या करे , कहाँ से शुरु करे । हर तरफ गर्दे के अंबार लगे थे । ध...

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Ye Ishq Bada Bedardi Hai - 2 By Vijay Sanga

पिछले भाग में आपने पढ़ा , कैंटीन मे जब वीर कुछ लड़कों को अपनी बहन के बारे मे उल्टी सीधी बात करते हुए सुनता है तो वो अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाता । वो उन लड़कों को बुरी तरह से म...

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मेरे खुशियों की वजह हो तुम.... - 2 By Ankit Mukade

मेरे खुशियों की वजह हो तुम....2(Note:- मैं कहानी ढूंढता रहा, इस कहानी के किरदार मेरे जहन में हमेशा रहते थे, इस कहानी का दूसरा पार्ट आने में इतना वक्त इसलिए लग गया क्यू की में अपने...

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द्वारावती - 14 By Vrajesh Shashikant Dave

14गुल भीतर से रिक्त हुई थी उस घटना को अनेक दिवस व्यतीत हो गए। प्रत्येक दिवस वह किसी ना किसी पर ध्यान केंद्रित करती, उसे निहारती उससे आनंद प्राप्त करती। कुछ दिवस तो प्रसन्नता में व्...

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सुरासुर - 1 By Sorry zone

रात्रि के अंधकार में सुनसानी सड़क पर कंधे लटकाए हाथ झुलाए कर्ण आहिस्ता-आहिस्ता चल रहा है। 'राजू नाई' के दूकान को पार कर वो अपने कदमों को विराम देता है तथा सिर ऊपर की ओर उठा...

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वो मेरी गलती थी By Vijay Sanga

दिल्ली के रहने वाले तीन पक्के दोस्त , अरूण मंजीत और संजू , अपनी स्पोर्ट्स बाइक पर दिल्ली से उत्तराखंड जाने के लिए निकले थे। उन तीनो को अपनी स्पोर्ट्स बाइक पर घूमना बहुत ज्यादा पसंद...

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अब और सनबर्न नहीं चाहिए - 3 (अंतिम भाग) By Neelam Kulshreshtha

एपीसोड ---3 मैं भी घबराई हुई थी, “मौसी ! सोच लीजिये घर पर डिलीवरी करने मेंकुछ गड़बड़ हो गई तो ?” डॉक्टर मौसी “जब सब नार्मल है तो गड़बड़ क्यों होगी ? यदि कुछ हुआ भ...

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चुनावी वर्ष By bhagirath

  चुनावी वर्ष          यह चुनावी साल है। राजनीतिक हलकों में अफरा-तफरी मची है। अखबार चाटने वाले, टीवी न्यूज से चिपके लोग, बहस-मुबाहिसे में उलझे लोग, चुनावी चर्चा में व्यस्त है। राजन...

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साथिया - 85 By डॉ. शैलजा श्रीवास्तव

" छोड़िये भैया..!!" आव्या ने दोबारा से आकर आकर निशांत से उसका हाथ छुड़ाना चाहा तो निशांत ने एक जोरदार तमाचा आव्या के चेहरे पर मारा और आव्या का सिर घूम गया और वह एकदम से बिस्तर पर ज...

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स्वयंवधू - 1 By Sayant

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अमावस्या में खिला चाँद - 11 By Lajpat Rai Garg

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प्यार हुआ चुपके से - भाग 15 By Kavita Verma

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पथरीले कंटीले रास्ते - 12 By Sneh Goswami

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चुनावी वर्ष By bhagirath

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