नाटक कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Drama in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultures. Th...Read More


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एकांकी- दहेज By ramgopal bhavuk

एकांकी- दहेज रामगोपाल भावुक (शहर के आम चौराहे पर शर्मा रेस्टारेन्ट में दो अधेड़ अबस्था के व्यक्ति...

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मे और महाराज - ( तीन नियम - १) 7 By Veena

" मुझे नहीं जाना वजीर के घर प्लीज़ मुझे वहा मत भेजो।" उसने राजकुमार का हाथ पकड़ते हुए कहा। " अब ये मासूमियत क्यों? थोड़ी देर पहले तो आप कुछ अलग तरीके से बात कर रही थी।" उसने हाथ छु...

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संस्कार By Gourav shekhawat

" हे दुर्गा मां आज प्लीज ये इंटरव्यू पास करा दो।इतने वक्त से ट्राई कर रही हूं। कॉलेज फ़ीस ,घर के खर्चे उफ्फ कैसे करूंगी सब कुछ।" यहीं सब सोचते हुए अंबिका पार्क की हरी हरी घास...

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एकांकी-मालती माधवम् By रामगोपाल तिवारी

एकांकी-मालती माधवम् भवभूति मंचपर उपस्थित होकर- मैं भवभूति आज अपने नाटकों में स्वयं को खोजने के लिये उत्सुक हूँ ! इनमें मैं कहाँ-कहाँ हूँ ? अरे ! अरे! याद आया मालती माधवम...

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क्यों By Shubham Rawat

पारस आज बहुत खुश हैं। पिछले एक महीने से कुत्ता पालने की जिद कर रहा था। आज जाकर उसके बोज्यू ने उससे कहा, "ठीक है, पालेंगे।" "ऊपर भुवन की कुतिया के बच्चे हुए हैं। उसके वहां से लेकर आ...

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अनचाहा रिश्ता (ये कैसी कश्मकश?) - 12 By Veena

"नहीं पापा मेरे बारे में एक बार सोचिए। में क्या करूंगी आपके बिना।" रोते हुई मीरा ने उसके पापा याने मि पटेल के पास जाने की कोशिश की।" नहीं बेटा वहीं रुक जा, वरना आज या तो ये नहीं या...

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एक गलत कदम By Shubham Rawat

दीपक, 12वीं के बाद मास मीडिया की पढ़ाई करना चाहता था। उसका सपना है कि वह खुद के कार्टूनस बनाए। उसके पापा हमेशा से एक डिसिप्लिन इंसान रहे हैं। वह नहीं चाहते कि उनका बेटा बेगैरत के क...

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मैं ही मैं हूं By Jitendra Shivhare

*मैं ही मैं हूं* मैं महान हूं मुझे समझना होगा तुम्हें अपने अभिमान को परे रख मेरी हर बात सुनो तुम तुम क्या हो? मेरे आगे तुम्हारी कोई अस्तित्व नहीं मेरे आगे मेरी धन-वैभव-संपदा को द...

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आ घर लौट चलें - 2 By Neelam Saxena

नाटक 'आ घर लौट चलें'के संदर्भ में विश्व स्तर पर कोरोना वायरस के संक्रमण की भयावहता को दे...

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DUNIYA MERI MUTTHI MEIN PART - 2 By Amar Kamble

जोया ने दो coffee cups लाकर टेबल पर रखें। माया ने file में देखते हुए पूछा, “Karan Saxena, huh?” जोया ने कहा, “Yeah! दिखने में और behaviour में कितना फर्क है इसके!”...

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पागल By Swapnil Srivastava Ishhoo

पागल (पार्ट 1): एंग्री यंग मैन बड़े कॉलर की शर्ट और बेलबॉटम पतलून, उम्र अठ्ठाईस, हाईट पांच फुट तीन इंच और चेहरे पर अस्सी के अमिताभ वाला एंग्री यंग मैन लुक| समय का इतना पक्का की, नी...

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Aashiqi - An Un Told Love Story 8 - last part By zeba Praveen

Chapter 13 दो दिन बाद लगभग बारह बजे के क़रीब आरुषि मम्मी-पापा से मिलने अपने घर आती है, वहा...

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एहसास By Atul Kumar Sharma ” Kumar ”

*** पात्र परिचय ***रामलाल - एक सरकारी कर्मचारी एवम मध्यम वर्गीय परिवार मुखिया।भाग्यलक्ष्मी - रामलाल की "" धर्मपत्नि ""रमेश - रामलाल का बड़ा पुत्रनलिनी - पुत्रवधुजटाशंकर एवम मोहन - म...

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गुलफ़ाम By TEJ VEER SINGH

Gulfam - Story - As soon as Sinha returns from office, Mrs. Sinha comes to the gate as soon as she hears the sound of the car. It has been included in their routine. Even today as...

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BABY -2 - 2 By Dhruv oza

Screening 2(पाकिस्तान का हैदराबाद शहर)(एक शख्स घरके आंगन में लगे जुले पे बैठा हुआ दूसरे शख्स को बात कर रहा है)पहला शख्स :- क्या सभी डिलीवरी हो गयी? नाज़िर को हमारा पैगाम बात दिया गय...

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अलविदा By Anju Gupta

सात बजे का अलार्म के बजते ही नित्या रोज़ की तरह रसोई के काम निपटाने लग गयी। वह कॉलेज में प्रोफेसर थी और दिन में उसे सिर्फ दो या तीन लेक्चर ही लेने होते थे ।आज उसका लेक्चर ग्यारह बजे...

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यू - टर्न By Madhu Sosi

' यू –टर्न ' आन्या ने जैसे ही हवेलीनुमा घर...

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क्या यही है “स्वार्थी वजूद” या “जीने की ज़रूरत” By Ritu Chauhan

स्वार्थ : वह सोच जो केवल अपने हित के लिए हो।स्वार्थहीन व्यक्ति की पहचान : सबसे आसान तरीका है आपके प्रति उसके स्वभाव को समझना। सच्चा मित्र वही होता है जो हर समय आपका ख्याल रखे, आप ज...

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भूख - The Hunger By jigar bundela

भूखयह एक शार्ट फिल्म है।लेखक की अनुमति के बिना इसे शूट करना या इसके किसीभी भाग का फिल्मांकन करना गैरकानूनी है। ऐसा करने पर आप से कानूनी कार्यवाही की जायेगी। SWA MEMBERSHIP NO :...

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चोरी या पहेली - रहस्यमयी कहानी - 3 By Satender_tiwari_brokenwordS

चोरी या पहेली ...(9)पहले खत के खुलासे अभी पचे ही नहीं थे कि अगले खत के खुलासे ने तो निवाला निगलने की ताकत भी जैसे छीन ली थी।इधर रिया का खत खत्म हुआ उधर पुलिस के पैरों से ज़मीन खिसक...

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वेताज बादशाह - नफ़रत भरी मासूम ख्वाहिश - 3 By Uday Veer

पुलिस के आते ही बो लोग फरार हो जाते हैं, और इस तरह से उन लोगों का खौफ बडने लगता है, धीरे धीरे कर लोग उधर से आना कम कर देते हैं, वे लोग वही घूमते रहते हैं, और अपने मन की करते हैं, ज...

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फिर तड़प उठी मां की ममता By Uday Veer

एक गांव में एक औरत रहती है, औरत बहुत गरीब होती है, उसका एक छोटा सा बेटा होता है, उसका नाम अभि होता है| उस औरत के बेटे के जन्म के 6 माह पहले किसी बीमारी के चलते उसके पति की मृत्यु ह...

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रहस्मयी कत्ल By Satender_tiwari_brokenwordS

नैना बहुत डरी हुई थी । बीती रात उससे एक खून हो गया अनजाने में। नैना बहुत डर जाती है । एक तो खून हो गया है और किसी को बताए भी तो किनसे। डर की वजह से पूरी रात सो भी नही पाई थी। उसकी...

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आत्महत्या By Satender_tiwari_brokenwordS

रोहन office से घर आता है और काफी खुश था । आज नौकरी का पहला दिन था । घर आया तो खुश था और माँ ने पूछा , कैसा रहा पहला दिन? "बहुत अच्छा था माँ , office में सभी लोग अच्छे हैं, और सभी न...

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असमंजस By Satender_tiwari_brokenwordS

कहानी - असमंजस किरदार - नव और सखी और एक असमंजस --------------------------------------------------------------कहानी काल्पनिक है और इसके किरदार भी काल्पनिक हैं।––--------------------...

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आखिरी गंतव्य By Pranjali Awasthi

शान्त चित्त और सधे हुये कदमों से वो रेलवे स्टेशन की तरफ़ बढ़ रही थी। अपनी उलझनों के खत्म होने की संभावना और संतोष की छाया, उसके चेहरे की गोरी रंगत को और निखार रही थी उसकी आँखों में...

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पार्थ आपका बेटा है By Roopanjali singh parmar

नैना अपनी माँ अरुणा जी की लाड़ली बेटी थी। उसकी माँ ने अकेले ही उसको पाला था। नैना के पिता की मृत्यु नैना के बचपन में ही हो गई थी। इधर पार्थ तीन भाइयों में सबसे छोटा था। क्योंकि वो छ...

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एक एहम हस्ती, मैं By Ritu Chauhan

बस शौक है लिखने का बचपन से ही, बहुत सरे पन्नो पे दिल की बातें लिखी हैं जिनमे से कई तो किसी को मालूम भी नहीं. हम सब ऐसा करते हैं. कुछ न कुछ तो ऐसा होता ही है जो किसी से नहीं कह पते....

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अकेली नहीं हूँ मैं By Ritu Chauhan

कभी कभी छोटी सी है तो कभी हद से ज़्यादा, कभी चाँद लम्हो की है तो कभी वर्षों पुरानी. क्यों होती है ये घुटन. क्यों ये दिल अरमान रखता है. क्यों ये दिल कुछ मांगता रहता है. क्यों नहीं ये...

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संध्या By Roopanjali singh parmar

संध्या कुछ दिनों के लिए अपनी भाभी के मायके आई थी। यूँ तो पारिवारिक रिश्तों की वजह से आरव उसे पहचानता था, लेकिन कभी मिला नहीं था। किसी कार्यक्रम में संध्या को उसने पहली बार देखा था,...

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अधूरी ख्वाहिश By Roopanjali singh parmar

वो बस दोस्त बनना चाहती थी और बन गई .. भगवान से जैसे उसे सब कुछ मिल गया.. एक मन माँगी मुराद जो पूरी हो गई...........कनक नाम है इसका.. एक आम सी लड़की,जिसकी ख्वाहिशें बहुत कम थी.. बहुत...

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एकांकी- दहेज By ramgopal bhavuk

एकांकी- दहेज रामगोपाल भावुक (शहर के आम चौराहे पर शर्मा रेस्टारेन्ट में दो अधेड़ अबस्था के व्यक्ति...

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पागल By Swapnil Srivastava Ishhoo

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वेताज बादशाह - नफ़रत भरी मासूम ख्वाहिश - 3 By Uday Veer

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नैना बहुत डरी हुई थी । बीती रात उससे एक खून हो गया अनजाने में। नैना बहुत डर जाती है । एक तो खून हो गया है और किसी को बताए भी तो किनसे। डर की वजह से पूरी रात सो भी नही पाई थी। उसकी...

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पार्थ आपका बेटा है By Roopanjali singh parmar

नैना अपनी माँ अरुणा जी की लाड़ली बेटी थी। उसकी माँ ने अकेले ही उसको पाला था। नैना के पिता की मृत्यु नैना के बचपन में ही हो गई थी। इधर पार्थ तीन भाइयों में सबसे छोटा था। क्योंकि वो छ...

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संध्या By Roopanjali singh parmar

संध्या कुछ दिनों के लिए अपनी भाभी के मायके आई थी। यूँ तो पारिवारिक रिश्तों की वजह से आरव उसे पहचानता था, लेकिन कभी मिला नहीं था। किसी कार्यक्रम में संध्या को उसने पहली बार देखा था,...

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