जीवनी कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Biography in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultures...Read More


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यादों की अशर्फियाँ - 24 - उपसंहार By Urvi Vaghela

उपसंहार स्कूल सिर्फ सिलेबस, परीक्षाएं और मार्क्स तक ही सीमित नहीं होती, उनके अलावा भी बहुत कुछ होता है,  कहा हमने एक नए क्लास, नए टीचर्स और नए फ्रेंड्स के साथ शुरू की हुए यह सफर इत...

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मंजिले - भाग 5 By Neeraj Sharma

           ---- हार्ट सर्जरी ---- एक कलाकार ज़ब लिखता हैँ तो कभी कभार इतना सच लिख जाता हैँ, उसे बेशक पछचाताप हो, वो नहीं मानता, लिखो गा, तो सत्य।"चलो बाते हो गयी " मेरी माँ से कहा ड...

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गोमती, तुम बहती रहना - 7 By Prafulla Kumar Tripathi

        जिन दिनों मैं लखनऊ आया यहाँ की प्राण गोमती माँ लगभग सूख चुकी थीं |यहाँ के लोगों की तरह उनका भी पानी सूख चुका था और जो था उनमें गंदगी और शैवाल ने अपना साम्राज्य स्थापित कर ल...

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दो बातें By Rahul Narmade ¬ चमकार ¬

हेल्लो और नमस्कार!     मैं राहुल नर्मदे, आज कोई कहानी लेकर नहीं बल्कि आपसे मिलने आया हूं, और विस्तार से अपनी बात कहना चाहता हूं |आपको बताते हुए मुजे खुशी हो रही है कि आप सबके प्यार...

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द ओल्डेस्ट लिविंग लीजेंड ऑफ़ बॉलीवुड By S Sinha

                                    द ओल्डेस्ट लिविंग लीजेंड ऑफ़ बॉलीवुड  अगर द ओल्डेस्ट लिविंग लीजेंड ऑफ़ बॉलीवुड की बात की जाए तो निश्चित रूप से अभिनेत्री कामिनी कौशल का नाम सर्वोप...

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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एव हिंदी साहित्य के पुरोद्धा पण्डित रामनरेश त्रिपाठी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

 भाषा के पूर्व छायावाद युग  उपन्यासकार ,कहानीकार, कविता ,जीवनी, संस्मरण साहित्य कि लगभग सभी विधाओं पर अपनी लेखनी चलाने वाले विद्वान सन्त विचारक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पण्डित राम...

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शीतल विनम्र दृष्टि दृष्टिकोण का धैर्य ध्रीर धनपत का साहित्यिक प्रहार By नंदलाल मणि त्रिपाठी

2-शीतल शालीन प्रहार का साहित्यदृष्टि धैर्य धनपत का समय समाजदायित्व कर्तव्य निर्वाह प्रवाह---मुंशी प्रेम चन्द्र जी का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के लमही गाँव मे एक सम्पन्न कायस्थ...

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हाड़ी रानी By Rajendra singh

     रूपनगढ़ के रावले मे अचानक शांति छा गई। दासियों की पायल की आवाज अचानक थम गई।राजमहल मे बैठी रानीयों के मुँह उतर गए।श्री नाथजी के मंदिर मे पूजा करते हुए राजा जी के हाथ मे बादशाह औ...

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आचार्य पण्डित रामचन्द्र शुक्ल By नंदलाल मणि त्रिपाठी

आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जन्म 1884 उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद के   अगोना नामक गाँव मे हुआ था माता विभाषी और पिता चंदवली शुक्ल थे ।आचार्य पण्डित रामचंद्र शुक्ल के पिता पण्डित चन्द्र...

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हिंदी का गौरव अभिमान श्री पी आर बसुदेवन दक्षिण के धर्मवीर By नंदलाल मणि त्रिपाठी

(क)-व्यक्ति से व्यक्तित्व कि यात्रा-काल समय वक्त जो ब्रह्मांड कि परम सत्ता का अभिभाज्य अवयव है द्वारा अपने निरंतर प्रवाह में अपने दोनों महत्वपूर्ण अंगों प्रकृति कि विशेष घटनाओं एव...

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मुख्तयारभाईकी रिक्शामें By Munavvar Ali

कोई आदमी इतना बातूनी हो सकता है इसका एहसास मुझे आज हुआ जब मैं मुख्तयारभाई के रिक्शे में बैठा। जब मैं रिक्शा में बैठा तो मैं थोड़ा सोच में फंसा था, तो रिक्शावाला भाई ने यह बात भुलान...

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गगन--तुम ही तुम हो मेरे जीवन मे - 18 By Kishanlal Sharma

वह गगन यानी मेरी पत्नी को बहु के नाम से ही बुलाते थे।उनसे मधुर सम्बन्ध हो गए थे।उन्होंने कभी हमे किरायेदार नही समझा।उनके जितने भी रिश्तेदार आते या हमारे एक दूसरे से घुल जाते थे। इस...

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छह बिंदियाँ - 1 By अजय भारद्वाज

लुई ब्रेल सिर्फ 5 साल का था जब उसकी आंखों की रोशनी चली गई वह बहुत होशियार था और अन्य लोगों जैसी ही जिंदगी जीना चाहता था उसकी सबसे ज्यादा रुचि पढ़ने में थी पेरिस के अंधशाला में भी उ...

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डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम भाग - 1 By अजय भारद्वाज

एक दिन मै भी आकाश मे उड़ान भरुगा डॉक्टर अब्दुल कलाम को आकाश मे पक्षियों की उड़ान बहुत अच्छी लगती थी उनके घर से रामेश्वरम् मन्दिर 10 मिनट के रास्ते पर था वे प्राय: रामेश्वरम जाया कर...

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स्वामी श्रीकृष्णदासजी पयहारी By Renu

कृष्नदास कलि जीति न्यौति नाहर पल दीयो। अतिथि धर्म प्रतिपाल प्रगट जस जग में लीयो॥ उदासीनता अवधि कनक कामिनि नहिं रातो। राम चरन मकरंद रहत निसि दिन मदमातो॥ गलतें गलित अमित गुन सदाचार स...

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भक्त श्री शोभा By Renu

सन्त-सेवा परायणा श्रीशोभा जी अपने देवर-देवरानी के साथ रहती हुई निरन्तर भजन-साधना में लगी रहती थीं। इनका देवर तो इनकी भक्ति-भावना से सन्तुष्ट था, परंतु देवरानी कुढ़ा करती थी। एक बार...

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श्री सोझाजी By Renu

श्री सोझाजी दम्पती भगवद्भक्त गृहस्थ थे। धीरे-धीरे जगत्की असारता, सांसारिक सुखों की असत्यता और श्रीहरिभजन की सत्यता का सम्यक् बोध हो जाने पर आपके मन में तीव्र वैराग्य उत्पन्न हो गया...

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सम्राट् चंद्रगुप्त मौर्य By Mohan Dhama

चंद्रगुप्त मौर्य भारत के महान् सम्राट् थे। इन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। वे लगभग संपूर्ण भारत को एक साम्राज्य के अधीन लाने में सफल रहे। चंद्रगुप्त मौर्य के राज्यारोहण...

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सम्राट् मिहिर भोज By Mohan Dhama

सम्राट् मिहिर भोज (अनु. 836 ई.-885 ई.) अथवा भोज प्रथम, गुर्जर-प्रतिहार राजवंश के राजा थे। जिन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी हिस्से में लगभग 49 वर्षों तक शासन किया। इनकी राजधानी...

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चक्रवर्ती सम्राट भोज परमार By Mohan Dhama

सम्राट् भोज परमार पवार वंश के नवें राजा थे। परमार वंशीय राजाओं ने मालवा की राजधानी धारानगरी से आठवीं शताब्दी से लेकर चौदहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक राज्य किया था। भोज ने बहुत से य...

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सम्राट् हर्षवर्धन By Mohan Dhama

सम्राट् हर्षवर्धन (590-647 ई.) ने उत्तरी भारत में 606 ई. से 647 ई. तक राज किया था। वह वर्धन राजवंश के शासक प्रभाकरवर्धन का पुत्र था। उसका बड़ा भाई राज्यवर्धन, थानेसर पर शासन करता थ...

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सम्राट् समुद्रगुप्त By Mohan Dhama

समुद्रगुप्त गुप्त राजवंश के चौथे राजा और चंद्रगुप्त प्रथम के उत्तराधिकारी थे। पाटलिपुत्र उनके साम्राज्य की राजधानी थी। वे वैश्विक इतिहास में सबसे बड़े और सफल सेनानायक एवं सम्राट् म...

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सम्राट् कनिष्क By Mohan Dhama

कनिष्क कुषाण वंश का तृतीय एवं सर्वाधिक प्रतिभाशाली शासक था, जो विम के बाद सिंहासनारूढ़ हुआ। कनिष्क इस वंश का सर्वाधिक प्रतापी तथा यशस्वी सम्राट् था, जिसे भारतीय इतिहास में एक महान्...

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यादों की अशर्फियाँ - 24 - उपसंहार By Urvi Vaghela

उपसंहार स्कूल सिर्फ सिलेबस, परीक्षाएं और मार्क्स तक ही सीमित नहीं होती, उनके अलावा भी बहुत कुछ होता है,  कहा हमने एक नए क्लास, नए टीचर्स और नए फ्रेंड्स के साथ शुरू की हुए यह सफर इत...

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मंजिले - भाग 5 By Neeraj Sharma

           ---- हार्ट सर्जरी ---- एक कलाकार ज़ब लिखता हैँ तो कभी कभार इतना सच लिख जाता हैँ, उसे बेशक पछचाताप हो, वो नहीं मानता, लिखो गा, तो सत्य।"चलो बाते हो गयी " मेरी माँ से कहा ड...

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गोमती, तुम बहती रहना - 7 By Prafulla Kumar Tripathi

        जिन दिनों मैं लखनऊ आया यहाँ की प्राण गोमती माँ लगभग सूख चुकी थीं |यहाँ के लोगों की तरह उनका भी पानी सूख चुका था और जो था उनमें गंदगी और शैवाल ने अपना साम्राज्य स्थापित कर ल...

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दो बातें By Rahul Narmade ¬ चमकार ¬

हेल्लो और नमस्कार!     मैं राहुल नर्मदे, आज कोई कहानी लेकर नहीं बल्कि आपसे मिलने आया हूं, और विस्तार से अपनी बात कहना चाहता हूं |आपको बताते हुए मुजे खुशी हो रही है कि आप सबके प्यार...

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द ओल्डेस्ट लिविंग लीजेंड ऑफ़ बॉलीवुड By S Sinha

                                    द ओल्डेस्ट लिविंग लीजेंड ऑफ़ बॉलीवुड  अगर द ओल्डेस्ट लिविंग लीजेंड ऑफ़ बॉलीवुड की बात की जाए तो निश्चित रूप से अभिनेत्री कामिनी कौशल का नाम सर्वोप...

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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एव हिंदी साहित्य के पुरोद्धा पण्डित रामनरेश त्रिपाठी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

 भाषा के पूर्व छायावाद युग  उपन्यासकार ,कहानीकार, कविता ,जीवनी, संस्मरण साहित्य कि लगभग सभी विधाओं पर अपनी लेखनी चलाने वाले विद्वान सन्त विचारक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पण्डित राम...

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शीतल विनम्र दृष्टि दृष्टिकोण का धैर्य ध्रीर धनपत का साहित्यिक प्रहार By नंदलाल मणि त्रिपाठी

2-शीतल शालीन प्रहार का साहित्यदृष्टि धैर्य धनपत का समय समाजदायित्व कर्तव्य निर्वाह प्रवाह---मुंशी प्रेम चन्द्र जी का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के लमही गाँव मे एक सम्पन्न कायस्थ...

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     रूपनगढ़ के रावले मे अचानक शांति छा गई। दासियों की पायल की आवाज अचानक थम गई।राजमहल मे बैठी रानीयों के मुँह उतर गए।श्री नाथजी के मंदिर मे पूजा करते हुए राजा जी के हाथ मे बादशाह औ...

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आचार्य पण्डित रामचन्द्र शुक्ल By नंदलाल मणि त्रिपाठी

आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जन्म 1884 उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद के   अगोना नामक गाँव मे हुआ था माता विभाषी और पिता चंदवली शुक्ल थे ।आचार्य पण्डित रामचंद्र शुक्ल के पिता पण्डित चन्द्र...

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मुख्तयारभाईकी रिक्शामें By Munavvar Ali

कोई आदमी इतना बातूनी हो सकता है इसका एहसास मुझे आज हुआ जब मैं मुख्तयारभाई के रिक्शे में बैठा। जब मैं रिक्शा में बैठा तो मैं थोड़ा सोच में फंसा था, तो रिक्शावाला भाई ने यह बात भुलान...

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गगन--तुम ही तुम हो मेरे जीवन मे - 18 By Kishanlal Sharma

वह गगन यानी मेरी पत्नी को बहु के नाम से ही बुलाते थे।उनसे मधुर सम्बन्ध हो गए थे।उन्होंने कभी हमे किरायेदार नही समझा।उनके जितने भी रिश्तेदार आते या हमारे एक दूसरे से घुल जाते थे। इस...

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डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम भाग - 1 By अजय भारद्वाज

एक दिन मै भी आकाश मे उड़ान भरुगा डॉक्टर अब्दुल कलाम को आकाश मे पक्षियों की उड़ान बहुत अच्छी लगती थी उनके घर से रामेश्वरम् मन्दिर 10 मिनट के रास्ते पर था वे प्राय: रामेश्वरम जाया कर...

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स्वामी श्रीकृष्णदासजी पयहारी By Renu

कृष्नदास कलि जीति न्यौति नाहर पल दीयो। अतिथि धर्म प्रतिपाल प्रगट जस जग में लीयो॥ उदासीनता अवधि कनक कामिनि नहिं रातो। राम चरन मकरंद रहत निसि दिन मदमातो॥ गलतें गलित अमित गुन सदाचार स...

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भक्त श्री शोभा By Renu

सन्त-सेवा परायणा श्रीशोभा जी अपने देवर-देवरानी के साथ रहती हुई निरन्तर भजन-साधना में लगी रहती थीं। इनका देवर तो इनकी भक्ति-भावना से सन्तुष्ट था, परंतु देवरानी कुढ़ा करती थी। एक बार...

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सम्राट् चंद्रगुप्त मौर्य By Mohan Dhama

चंद्रगुप्त मौर्य भारत के महान् सम्राट् थे। इन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। वे लगभग संपूर्ण भारत को एक साम्राज्य के अधीन लाने में सफल रहे। चंद्रगुप्त मौर्य के राज्यारोहण...

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सम्राट् मिहिर भोज By Mohan Dhama

सम्राट् मिहिर भोज (अनु. 836 ई.-885 ई.) अथवा भोज प्रथम, गुर्जर-प्रतिहार राजवंश के राजा थे। जिन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी हिस्से में लगभग 49 वर्षों तक शासन किया। इनकी राजधानी...

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चक्रवर्ती सम्राट भोज परमार By Mohan Dhama

सम्राट् भोज परमार पवार वंश के नवें राजा थे। परमार वंशीय राजाओं ने मालवा की राजधानी धारानगरी से आठवीं शताब्दी से लेकर चौदहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक राज्य किया था। भोज ने बहुत से य...

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सम्राट् हर्षवर्धन By Mohan Dhama

सम्राट् हर्षवर्धन (590-647 ई.) ने उत्तरी भारत में 606 ई. से 647 ई. तक राज किया था। वह वर्धन राजवंश के शासक प्रभाकरवर्धन का पुत्र था। उसका बड़ा भाई राज्यवर्धन, थानेसर पर शासन करता थ...

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सम्राट् समुद्रगुप्त By Mohan Dhama

समुद्रगुप्त गुप्त राजवंश के चौथे राजा और चंद्रगुप्त प्रथम के उत्तराधिकारी थे। पाटलिपुत्र उनके साम्राज्य की राजधानी थी। वे वैश्विक इतिहास में सबसे बड़े और सफल सेनानायक एवं सम्राट् म...

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सम्राट् कनिष्क By Mohan Dhama

कनिष्क कुषाण वंश का तृतीय एवं सर्वाधिक प्रतिभाशाली शासक था, जो विम के बाद सिंहासनारूढ़ हुआ। कनिष्क इस वंश का सर्वाधिक प्रतापी तथा यशस्वी सम्राट् था, जिसे भारतीय इतिहास में एक महान्...

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