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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Anything in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultures....Read More


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ज़िद्दी इश्क़ - 6 By Sabreen FA

"सिस्सो मैं ने तुम्हारे लिए एक शायरी लिखी है।" ज़ाहिद ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा। "सुनाओ।" सोफ़िया ने जल्दी से कहा। उसकी बात सुनकर माहेरा उसे घूरने लगी क्योंकि वोह जानती थी उस शा...

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विविधा - 35 By Yashvant Kothari

35-बच्चों की छुट्टियों का सदुपयोग करें  शीघ्र ही बच्चों की गर्मी की छुट्टियां शुरु होने वाली हैं। इन लंबी छुट्टियों में मध्यम वर्गीय परिवार के लोग न तो लम्बे समय के लिए पर्यटन...

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साहब - मेरे ताऊजी (पार्ट 1) By Kishanlal Sharma

"बाऊजी का जवाब नही था।नाम था उनका।रोब था"सुरेश बोलामेरे ताऊजी के एल शर्मा बांदीकुई में रेलवे में मेल ड्राइवर थे।लोग उन्हें के एल शर्मा के नाम से जानते थे।पर उनका पूरा नाम था--कन्है...

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भूली बिसरी खट्टी मीठी यादे - 20 By Kishanlal Sharma

मेरे बड़े कजिन जगदीश जो गणेश ताऊजी के सबसे बड़े बेटे थे।इन्द्र जो ताऊजी कन्हैया लाल के बड़े बेटे थे और मैं हम तीनों का गुट था और हम में अच्छी पटती थी।मेरे गांव पहुचने के दूसरे दिन मैं...

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Autobiography - forgotten memories - 6 By Kishanlal Sharma

It was Diwali on Nov 10,1969.I was very restless that day.There was panic inside my heart.Amxiety from Bali's side.And that dream was not giving up at all.Bapu had gone to the...

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मोहताज़ गण और तंत्र By Yashvant Kothari

व्यंग्यमोहताज़ गण और तंत्र यशवन्त कोठारीसर्वत्र तंत्र का राज्य है । गण मोहताज है । हर विकास,योजना पर तंत्र का अधिकार है । गण को कोई नहीं पूछता उसेक्या चाहिये । तंत्र जो उचित समझता...

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75 वां आज़ादी का अमृत महोत्सव। By Harshit Mathur

यह निबंध लिखने से पहले हमारे कवि श्री रविन्द्र नाथ टैगोर द्वारा लिखा गया राष्ट्रीय गीत ।राष्ट्रीय - गीत वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,शस्यश्यामलाम्, मातरम...

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बड़े गुरुजी (संस्मरण) By राज कुमार कांदु

जी हाँ, हम लोग उन्हें बड़े गुरूजी ही कहते थे। तब हम कक्षा तीसरी के विद्यार्थी थे जब हम उन्हें पहचानने लगे थे। लंबा कद, कठोर अनुशासन के पक्षधर, चेहरे से मुस्कान तो जैसे हमेशा कोसों द...

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क्या आप मुझे जानती हो! By Saroj Prajapati

" मम्मी! अगर आज आप मेरे एनुअल डे फंक्शन में नहीं आई तो मैं आपसे कभी बात नहीं करूंगी ।" माधवी की दस साल की बेटी दिशा बोली। " अच्छा बाबा आज मैं और तेरे पापा ज़रूर आएंगे । छुट्टी ले ल...

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वर्ण-व्यवस्था - जय भीम By Bhavin

वैसे तो इस मूवी को पर्दे पर आए काफी वक्त हो गया है मगर कल मैंने यह फिल्म दोबारा देखी। सच बताऊं तो सबकुछ जानते हुए कि क्या होने वाला है मैं यह फिल्म देखते उबासी नहीं ले रहा था जो कि...

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