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अब तक : शिविका सोच ही रही थी कि इतने में एक जोर दार धमाके की गूंज उसे सुनाई दी ।...
65 “ओह, यह कथा है गुल से पंडित गुल बनने की?”...
गर्भ संस्कार–1 (गर्भवती माँ द्वारा बच्चे से बातचीत)(शिशु को जीवन लक्ष्य के प्रति...
अठारह संकल्प मंगलवार, सोलह मई 2006आज धूप बहुत तेज़ थी।...
अब तकजब रागिनी की मां अपनी गाड़ी में बैठकर रागिनी को बचाने के लिए रवाना हो गई थी...
71 लोमड़ी सोनाली ने राजवीर की बात सुनकर हँसते हुए कहा, ”तुम्हारा दिमाग ठीक है।...
इसी तरह हम शहेर से वापस गाँव रहने आ गये अब आगे मेरी स्कूल की पढाई शरू हो गई । जि...
अब आगे,अर्जुन की बात सुन कर, अब आराध्या ने मासूम सा चेहरा बनाते हुए अर्जुन से क...
प्रकरण - ४८अमिता बोली, "नमस्कार दर्शकों! एक बार फिर से आप सभी का स्वागत है। मेरे...
गजेंद्र सिंह गायत्री जी के पिता दिलराज सिंह को अपनी बातों में फंसा कर उनका पूरा...
"हैलो! बेटा कैसा है? कितने दिन हुए तूने तो एक फोन भी नहीं किया और कई महीनों से तू घर भी नहीं आया! कोई परेशानी की बात तो नहीं है न बेटा और तेरी तबियत तो ठीक है न!!" जहाँ दूस...
इंसानी जिंदगी धरती पर जब अपना पहला कदम, माँ की बाहों से उतर कर रखती है, तो उसकी पहली लड़खड़ाहट उसे ये एहसास करा देती कि आसान नहीं है, जिंदगी का सफर उसके लिए। पर संभलने का संघर्ष उसे...
( एक खूबसूरत शर्मीले अध्यापक को उसके स्टाफ व छात्राओं द्वारा परेशान किए जाने की मनोरंजक दास्तान ) १ उसके अनुसार सारे दुखों की जड़ विवाह ही है । वह सोचता था - पहले गा बजाकर शाद...
आचरण व संस्कार मानवीय नैतिक मूल्यों की दो ऐसी अनमोल निधियाँ हैं, जिनके बिना मानव के सामाजिक जीवन का अस्तित्व खतरे में जान पड़ता है। मानवीय नैतिक मूल्यों का अनुकरण न करना मनुष्य के...
या हू------- पहला लिफाफा खोलते ही उसमे से पत्र के साथ निकले फोटो को देखकर अनुराग खुशी से उछल पड़ा। "क्या हुआ बेटा?" अनुराग की आवाज सुनकर उसकी मां कमरे में चली आयी। "...
उपन्यास भाग---१ - आर. एन. सुनगरया, हॉटल की सीडि़यॉं उतरती शीला, फुरतीले अंदाज में लगभग दौड़ती हुई, मैन गेट पहुँची ही थी कि सामने से गुजरती टैक्सी के ड्राइवर ने सांकेतिक भाषा में...
" मुखौटे दिख रहे हैं आजकल मुखौटे बिक रहे हैं आजकल सच दबाया जा रहा है झूठ बिक रहे हैं आजकल यूँ तो सब ज्ञानी हैं यहाँ परिस्थितियों को देख ज्ञान दे रहे आजकल। इंटरनेट के इस द...
मै एक नवीन लेखक अपनी इन लघु कहानियों से एक समाज की भिन्न - २ समस्याओ से ग्रस्त छवि को दिखाने का प्रयत्न करूँगा। मै हर समस्या के मध्य रह व मुझसे जूडे अनुभवो की भ्रांतियो को अपने लेख...
आयुष एक नॉर्मल लड़का था उश्की जिन्दगी ना जेसे अकेले पन से भरी पडी हुए थी और वोह आज कल परेशान बहुत रेहता था। आयुष फैमिली के साथ रेहता था फिर भी उश्को अन्दर की जो उन्बनी सी अकेले पन क...
जहाँ तक शिक्षा में आमूल परिवर्तन की बात है, वह बहुत कठिन कार्य है, क्योंकि इसमें पर्याप्त श्रम, समय, धन और अन्वेषणों की आवश्यकता है। पहले शिक्षक बदले, तब शिक्षा बदले। एकाएक आमूल पर...
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