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Featured Books

ये तुम्हारी मेरी बातें By Preeti

"सुनो, कहां हो तुम"?

"सुबह घर से निकलते वक्त बता कर आया था , भूल गई "?

"सीधे सीधे जवाब देने में दिक्कत है क्या कोई "?

"आज अचानक से मेरी जासूसी...

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मुंबई By Komal Mehta

अखिर क्या व्याख्या है हमारे मुंबई की।

मेरे मुंबई को यू तो सपनों की नगरी से जाना जाता है। ये नगरी में इंसान कभी भूखा नहीं रहेगा लेकिन रहने को छत नहीं है।यहां की मानो बाकी शहरों क...

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जिंदगी By Jay Khavada

जीवन की परिभाषा प्रत्येक व्यक्ति की दृष्टि में भिन्न होती है। आज के परिवेश में हम दौड़भाग में इतने व्यस्त हैं की स्वयं के लिए समय ही नहीं है। अर्थात हम स्वयं से कभी ये भी नहीं पूछ प...

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थ्री गर्लफ्रैंड By Jitin Tyagi

भट्टी में डाली गई लकड़ी कोयला बनकर अंगारों का रूप धारण कर चुकी हैं। थोड़ी देर पहले तक इसमें कल की जली हुई लकड़ियों की राख बिखरी थी। पर अब ये आग का कुआँ बन चुकी हैं। इस कुएँ के मुहाने...

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प्रायश्चित By Suresh Chaudhary

अमन न चाहते हुए भी बिस्तर से उतर कर बाथ रूम में घुस गया और नहा कर अनमने मन से तैयार भी हो गया, तभी बाहरी गेट पर आहट हुई। अमन समझ गया कि महेश आ गया है।
,, यार तू अभी तक तैयार भी नह...

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Mafia's unconditional Love By The_sweet_girl

ouis enterprises

Meeting room

चारो तरफ बहुत डेंजरस था ।

केविन सबको घूर रहा था क्योंकि कुछ लोगों के लापरवाही के चलते एक डील लोगों के हाथों से निकले हुए बच्ची थी

केविन अभ...

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कंगन. By Ashish Bagerwal

गांव की सभी महिलाएं अपने कंगन तोड़ रही थी परंतु एक बुजुर्ग महिला जो की मृत शरीर था उसको कंगन पहनाये जा रहे थे। यह गतिविधि शहर से आए एक रिपोर्टर ने भी देखी और वह आश्चर्यचकित हुआ तथा...

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मंजिल अपनी अपनी By Awantika Palewale

मोहन खासते-खासते बोला दरवाजा खोलो सूरज बेटा।
चंदा एकदम बौखला गई उसको लगा इस वक्त कौन आया होगा।

मोहन बोला मैं चाचा मोहन आया हूं।
चंदा झलाए हुए स्वर में कहा अच्छा-अच्छा रुको कपड...

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इंस्टालमेंट By Bharat(ભારત) Molker

कमरा छोटा है l एक पलंग, एक कुर्सी, एक तरफ की दीवाल पर बीचो-बीच, दीवाल की अंदर ही शेल्फ बना हुआ है, उस के अंदर कुछ किताबे, घड़ी, कुछ फ्रेम किए हुए फोटोग्राफ, भगवन के कुछ फोटो, सब सही...

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बदनसीब By Suresh Chaudhary

चाय का कप हाथ में लेकर धीरे धीरे कांपकपाते पैरों से आराम कुर्सी तक का सफ़र मेरे लिए ऐसा लगा, जैसे एक किलोमीटर का सफ़र। आराम कुर्सी के बराबर में पुराने स्टूल पर चाय का कप रख कर अपने...

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ये तुम्हारी मेरी बातें By Preeti

"सुनो, कहां हो तुम"?

"सुबह घर से निकलते वक्त बता कर आया था , भूल गई "?

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"आज अचानक से मेरी जासूसी...

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मुंबई By Komal Mehta

अखिर क्या व्याख्या है हमारे मुंबई की।

मेरे मुंबई को यू तो सपनों की नगरी से जाना जाता है। ये नगरी में इंसान कभी भूखा नहीं रहेगा लेकिन रहने को छत नहीं है।यहां की मानो बाकी शहरों क...

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थ्री गर्लफ्रैंड By Jitin Tyagi

भट्टी में डाली गई लकड़ी कोयला बनकर अंगारों का रूप धारण कर चुकी हैं। थोड़ी देर पहले तक इसमें कल की जली हुई लकड़ियों की राख बिखरी थी। पर अब ये आग का कुआँ बन चुकी हैं। इस कुएँ के मुहाने...

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गांव की सभी महिलाएं अपने कंगन तोड़ रही थी परंतु एक बुजुर्ग महिला जो की मृत शरीर था उसको कंगन पहनाये जा रहे थे। यह गतिविधि शहर से आए एक रिपोर्टर ने भी देखी और वह आश्चर्यचकित हुआ तथा...

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मंजिल अपनी अपनी By Awantika Palewale

मोहन खासते-खासते बोला दरवाजा खोलो सूरज बेटा।
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चाय का कप हाथ में लेकर धीरे धीरे कांपकपाते पैरों से आराम कुर्सी तक का सफ़र मेरे लिए ऐसा लगा, जैसे एक किलोमीटर का सफ़र। आराम कुर्सी के बराबर में पुराने स्टूल पर चाय का कप रख कर अपने...

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