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"एक ज़ाहिदा, एक फ़ाहिशा" अध्याय 1: मुलाक़ात जो तक़दीर से थी ज़िन्दगी कभी-कभी...
अध्याय 5: किताब का प्रभावएक दिन, जब अमन का मनोबल पूरी तरह टूट चुका था, उसने किता...
24 जेल के उस मुलाकात के कमरे में बग्गा सिंह अपने बेटे के साथ दुख सुख बाँट रह...
ख्वाइशों का समंदर बहुत दूर तक फेला हुआ हैं l एक आरज़ू ने ज़मीं से लेकर अर्श को छ...
अगले दिन माधव फिर से उसी टाइम कॉलेज में गया मीरा को ढूंढने के लिए.... वो कॉलेज क...
सुबह जलेश्वर मंदिर के लिए निकला। जलेश्वर मंदिरभगवान शिव को समर्पित पहाड़ी पर स्थ...
अब तक हम ने पढ़ा के लूसी ने रोवन को एप्लीकेशन लिख कर कॉलेज से ना जाने की बात कही...
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दुनिया वालों ने फुर्सत के लम्बे संडे के दिन को चुना जी हां रविवार कहलों या संडे...
रजनी की शादी हुए अभी डेढ़-दो साल ही गुजरे थे। वह दांपत्य की खुशियाँ...
शंकर ओ रे शंकर। हां भाभी, क्या हुआ काहे हमारा नाम पुकारे जा रही हो ? अरे वक्त देख। तेरे भैया वहां खेत पर खाने की राह देख रहे होंगे और तू यहां खाट तोड़ रहा है। भाभी हम तो खे...
मोहन खासते-खासते बोला दरवाजा खोलो सूरज बेटा। चंदा एकदम बौखला गई उसको लगा इस वक्त कौन आया होगा। मोहन बोला मैं चाचा मोहन आया हूं। चंदा झलाए हुए स्वर में कहा अच्छा-अच्छा रुको कपड...
सुबह के 8:00 बजे थे और सना अब भी सोई हुई थी कि तभी Sara ने उसे आवाज दिया,सना कब तक सोएगी अब तो उठ जा सुबह के 8:00 बज चुके हैं और तू अब तक घोड़े बेच कर सो रही है और आज तुझे कॉलेज जा...
बारिश का मौसम था । आज मुंबई मैं बहुत तेज बारिश हो रही थी । उसी बारिश में रेवा अपने शादी के जोड़े में भागी जा रही थी । उसने भागते भागते पीछे मुड़कर देखा एक आदमी अभी भी उसके पीछे दौड...
दानी अक्सर अपनी तीसरी पीढ़ी के बच्चों को अपने ज़माने की कहानियाँ सुनाती हैं | बच्चों को भी बड़ा मज़ा आता है क्योंकि उनके लिए आज का माहौल ही सब कुछ है | वो कहाँ जानते हैं दानी के ज़माने...
इतनी बेचैनी, इतनी घबराहट शायद ही कभी वर्तिका को हुई थी जितनी आज हो रही थी। रह रह कर घड़ी देखना, कभी माथे पे लटकती लटो को कान के पीछे करना तो कभी अपने कुर्ते को ठीक करना, बस स्टॉप पे...
खबर नहीं शायद तुम्हे तेरे मेरे प्यार के पल वो अहसास गुजर रहे खबर नहीं तुम्हे शायद मगर ख्वाब प्यार के बिखर रहे है तुम्हे अहसास नहीं बहुत कुछ बदल रहा है रहते थे जिस अंदाज हम पहल...
रात का समय भारी बारिश हो रही है बिजली कड़कना किसी छोटे से गांव में कहीं एक बूढ़ी औरत अपनी छोटी पोती से, (पुराना कच्चा मकान, एक टुटी सी चारपाई पर लेटी हुई) -कहा जाता है क...
नीता अपने माता पिता के साथ अपने घर में रहती थी। नीता की कमरा अलग थी, नीता बड़ी हो चुकी थी। इसलिए वो अपने कमरे में अकेले सोया करती थी। नीता के माता पिता उसके पास वाले ही कमरे में सो...
कमरा छोटा है l एक पलंग, एक कुर्सी, एक तरफ की दीवाल पर बीचो-बीच, दीवाल की अंदर ही शेल्फ बना हुआ है, उस के अंदर कुछ किताबे, घड़ी, कुछ फ्रेम किए हुए फोटोग्राफ, भगवन के कुछ फोटो, सब सही...
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