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अध्याय 6 “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच’ सच बोलो, यह...
छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसका तो मानो दूसरा जन्म...
तीन दिन बीत चुके थे, लेकिन मनोज और आदित्य की चोटों की कसक अब भी सहदेव के ज़हन मे...
बिछुड़े बारी बारीकाफी पुराना गाना है।आपने जरूर सुना होगा।हो सकता है बहुत से कहे न...
पिछले भाग में हम ने देखा कि अमावस की पहली रात में फीलिक्स को एक मैदान में पिंजरे...
"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -२३)डॉक्टर शुभम युक्ति के भाई रवि के साथ ब...
(-----11------)जितना सोचा था, कही उनसे जेयादा लहरों का उ...
जानवी की भी अब उठ कर वहां से जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी,,, क्योंकि आज अंश ने...
इस तरह अचानक अशोक अंकल को अपने सामने खड़ा देखकर अल्पा समझ ही नहीं पा रही थी कि वह...
74उत्सव काशी में बस गया था। काशी को अत्यंत निकट से उसने देखा - परखा। उसके भीतर ए...
एक लड़की अभी खिड़की के पास खड़ी खड़ी कुछ सोच रही थी .. असमान में बेहद ही प्यारा सा moon ? चमक रहा था. जो उसकी रोशनी से बेहद ही प्यारी लाइट अपने आसपास के वातारण में नई ऊर्जा भर रहा...
अपने जन्म वर्ष 1953 से अपने जीवन की युवावस्था और दाम्पत्य तथा नौकरी शुरुआत तक की अवधि का आत्मगंधी लेखा- जोखा मैंने अपनी आत्मकथा के पहले खंड “ आमी से गोमती तक “ में दे दिया है जिसे...
ये कहानी है बनारस की रूही की जो अपनी जिंदगी से परेशान हो चुकी है आप उस की जिंदगी में कोई नही बचा जिसे वो अपना कह सके। और दूसरी तरफ है राजवीर सिंघानिया जो है सिंघानिया ग्रुप कंपनी क...
मित्रों ! प्रणाम जीवन की गति बहुत अदभुत है | कोई नहीं जानता कब? कहाँ?क्यों? हमारा जीवन अचानक ही बदल जाता है ,कुछ खो जाता है ,कुछ तिरोहित हो जाता है |हम एक आशा की प्रतीक्षा में खड़े...
ये कहानी शुरू होती है एक बड़े से बंगलो से जिस के बाहर एक नेम प्लेट लगा हुआ था। जिस पे सिंघानिया निवास लिखा हुआ होता है।बंगलो के बाहर बहुत सी रंग बिरंगी महंगी महंगी गाड़िया लगी होती...
"दोस्तो! मैं हूं इस शो की होस्ट अमिता। आप सभी का तहे दिल से स्वागत करती हूं हमारी इस चैनल संवाद में। और आप देख रहे है हमारा ये कार्यक्रम रुबरु। जिसमें हम जानीमानी हस्तियों को ह...
~आरंभ~पतझड़ के दिन अभी अभी खत्म हुए थे, अब मौसम का सफर बसंत ऋतु की सुगंध सेमहकती हवाओं की रवानगी की और बढ़ रहा था | यह कहानी भी कई सौ साल पहले इन्हीं दिनों शुरू हुई थी | यह वह समय...
एक 16 साल की लड़की दुल्हन के लिबास में एक जंगल में बने हुए नाग मंदिर के सामने बैठी हुई थी। रंग गोरा और मासूम चेहरा लेकिन चेहरे में घबराहट। उसके सामने शादी में उपयोग होने वाली हर ची...
बुजुर्गो ने मुझे बहुत सी कहानियाँ सुनाई है उसमें से कुछ.... आशिष / आशीर्वाद *!! समस्या रूपी बंदर !! *एक बार स्वामी विवेकानंद को बंदरों का सामना करना पड़ा था। वह इस आप बी...
में और मेरे अहसास भाग-१ *** ईश्क में तेरे जोगन बन गई lआज राधा जोगन बन गई ll *** गरघर कीदीवार केकर्णहोतेकोई घरखड़ाना होता ll *** काटे नहीं कटता एक पल यहां lकैसे कटेगी एक उम्र भला यहा...
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