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Featured Books

बसंत के फूल By Makvana Bhavek

अरे, यह तो बिल्कुल बर्फ जैसे लग रहे है," अनामिका ने कहा था।


सत्रह साल पहले की बात है जब उसने यह कहा था। हम अभी-अभी प्राइमरी स्कूल के स्टूडेंट्स बने थे और हम हमेशा अपने छोट...

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मैं तो ओढ चुनरिया By Sneh Goswami

कोई भूखा मंदिर इस उम्मीद में जाय कि उसे एक दो लड्डू या बूंदी मिल जाय तो रात आराम से निकल जाएगी और वहाँ से मिले मक्खन मलाई का दोना तो जो हालत उस भूख के मारे बंदे की होगी , बिल्कुल व...

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नक़ल या अक्ल By Swati

शाम का समय है, सूरज डूबने के लिए तैयार प्रतीत हो रहा है, उत्तरप्रदेश के मालपुरा गॉंव में खेतों की मुँडेर पर किशन और सोमेश बैठे हैं । किशन तो आराम से ढलते सूरज की तरफ देख रहा है तो...

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इतना तो चलता है By Komal Mehta

आज की कविता का टॉपिक थोड़ा सा नाजुक है, ये औरत के लिए है जिन्हे अक्सर ये समझाया जाता है की इतना तो चलता है।

एक औरत एक लड़की ने नई जॉब ली है, यहां उसके लिए तो पूरा ऑफिस स्टाफ उसक...

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देवांश वेड्स दर्शना.. By piku

अक्सर अर्जुन उसे 'बूढ़ी लड़की' कह कर चिढ़ाते हैं। अर्जुन-दर्शना के पति...। उम्र बढ़ने के साथ ही साथ पति-पत्नी का लगाव भी बढ़ता जाता है। दर्शना-जिसके चेहरे पर उम्र बढ़ने के...

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डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट By Saloni Agarwal

ये कहानी है बनारस की रूही की जो अपनी जिंदगी से परेशान हो चुकी है और वही दूसरी तरफ है दिल्ली के राजवीर सिंघानिया जिन्हे सब अंडरवर्ड की दुनिया में डेविल नाम से जानते है..!

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रावी की लहरें By Sureshbabu Mishra

‘जीवन संघर्ष और उत्कट जिजीविषा से जुडी हैं संग्रह की कहानियां’

मानव जीवन और उसके कार्य व्यवहार सदा ही अनंत कौतुक - कौतूहलों व जिज्ञासाओं का केंद्र रहे हैं । साहित्य किसी भी कालख...

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शून्य से शून्य तक By Pranava Bharti

माउंट आबू के उस अंतिम छोर पर स्थित एक छोटे से आश्रम में अपने कमरे के बाहर लॉबी में एक कुर्सी पर बैठी आशी दूर अरावली के पर्वतों की शृंखला को न जाने कब से टकटकी लगाकर देख रही थी| शीत...

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सावन का फोड़ By नंदलाल मणि त्रिपाठी

तपती गर्मी लोग परेशान चारो तरफ हाहाकार जेठ कि भयंकर गर्मी भुवन भास्कर का कहर जैसे आग उगल रहे हो पृथ्वी के जल स्रोत सूखते जा रहे थे नगरों एव गांवों की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था चरमरा...

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Devils Passionate Love By Moonlight Shadow

Manali,

एक छोटा सा प्यारा सा शहर,

यहीं पर एक फैमिली रहता है।इस फैमिली को ज्यादा गरीब भी नहीं बोल सकते या ज्यादा पैसे वाले भी नहीं बोल सकते।

एह एक ठिक ठाक फेमिली है जो अच्छ...

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बसंत के फूल By Makvana Bhavek

अरे, यह तो बिल्कुल बर्फ जैसे लग रहे है," अनामिका ने कहा था।


सत्रह साल पहले की बात है जब उसने यह कहा था। हम अभी-अभी प्राइमरी स्कूल के स्टूडेंट्स बने थे और हम हमेशा अपने छोट...

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कोई भूखा मंदिर इस उम्मीद में जाय कि उसे एक दो लड्डू या बूंदी मिल जाय तो रात आराम से निकल जाएगी और वहाँ से मिले मक्खन मलाई का दोना तो जो हालत उस भूख के मारे बंदे की होगी , बिल्कुल व...

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नक़ल या अक्ल By Swati

शाम का समय है, सूरज डूबने के लिए तैयार प्रतीत हो रहा है, उत्तरप्रदेश के मालपुरा गॉंव में खेतों की मुँडेर पर किशन और सोमेश बैठे हैं । किशन तो आराम से ढलते सूरज की तरफ देख रहा है तो...

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इतना तो चलता है By Komal Mehta

आज की कविता का टॉपिक थोड़ा सा नाजुक है, ये औरत के लिए है जिन्हे अक्सर ये समझाया जाता है की इतना तो चलता है।

एक औरत एक लड़की ने नई जॉब ली है, यहां उसके लिए तो पूरा ऑफिस स्टाफ उसक...

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देवांश वेड्स दर्शना.. By piku

अक्सर अर्जुन उसे 'बूढ़ी लड़की' कह कर चिढ़ाते हैं। अर्जुन-दर्शना के पति...। उम्र बढ़ने के साथ ही साथ पति-पत्नी का लगाव भी बढ़ता जाता है। दर्शना-जिसके चेहरे पर उम्र बढ़ने के...

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ये कहानी है बनारस की रूही की जो अपनी जिंदगी से परेशान हो चुकी है और वही दूसरी तरफ है दिल्ली के राजवीर सिंघानिया जिन्हे सब अंडरवर्ड की दुनिया में डेविल नाम से जानते है..!

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तपती गर्मी लोग परेशान चारो तरफ हाहाकार जेठ कि भयंकर गर्मी भुवन भास्कर का कहर जैसे आग उगल रहे हो पृथ्वी के जल स्रोत सूखते जा रहे थे नगरों एव गांवों की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था चरमरा...

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एह एक ठिक ठाक फेमिली है जो अच्छ...

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