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भारत की आज़ादी के बाद जब पूरा देश एकजुट हो रहा था, तब कुछ रियासतें ऐसी थीं जो भा...
कॉलेज का पहला दिन था। भीगी-भीगी सी सुबह, हवा में मिट्टी की खुशबू थी।आरोही अपनी क...
वृंदा अंजान बनाते हैं पूछती हैं---वृदां :- अच्छा संपूर्णा आज पार्टी किस खुशी में...
अध्याय 1 – यात्री, अज्ञातमुंबई की रातें— जो कभी हज़ारों सपनों की धड़कन हुआ करती...
दुनिया भर में जब हिटलर के अत्याचारों के कारण यहूदियों पर भीषण संकट आया, तब लगभग...
गोवा की रात में, "द अनडिवाइडेड" का अंडरग्राउंड बंकर नीली और हरी नियॉन रोशनी से भ...
नित्य नीमा लेखक राज फुलवरेअध्याय 1 — नीला शहर और रुका हुआ समयनीला शहर… यह नाम कि...
Next Ep,,, अपना इतना सम्मान भरा भाषण सुन जे हॉप सिर अफसोस से ना में हिला कर Rm...
फाइनल और लास्ट पार्ट आ चुका है। समय ऐसे ही गुजरता गया।दिन हँसी में बदल गए,राते...
कबीर की योजना स्पष्ट थी — दोनों परिवारों को एक जगह इकट्ठा करना, दिलों को जीतना,...
19 जनवरी 2022 सुबह 10:30 बजे "वो सच में आयेंगे ना काजल?" फिर आवाज बदलकर "कितना बार यही सवाल करेगी पागल" नॉर्मल आवाज में "कितनी ही बार की हु" फिर आ...
सागर शहर की सुबह हमेशा की तरह सुनहरी थी। सूरज की पहली किरणें जब प्रेम के कमरे की खिड़की से अंदर आतीं, तो उनकी चमक कैमरे के लेंस पर पड़ती — जैसे कोई तस्वीर खुद ज़िंदगी को कैद...
“तुम जैसे लोग दूसरों की ज़िंदगी से खेलते हो, और सोचते हो सबकुछ ख़रीद सकते हो… लेकिन याद रखना, मैं बिकने वालों में से नहीं हूँ।” उसकी आवाज़ धीमी थी, मगर हर लफ्ज़ में आग थी। सा...
उस वक़्त मैं तीन साल का था, मेरा बड़ा भाई सुखेश पांच साल का था औऱ मेरी छोटी बहन भाविका केवल छह महिने की थी. उस वक़्त मेरी मा असाध्य बीमारी का शिकार हो गई थी. उन्हें कांदिव...
कॉफी से सुरु हुआ प्यार दिल्ली की शाम हमेशा शोर से भरी होती है हॉर्न ट्रॅफिक और भागती भीड़ पर जिया की शामे कुछ शांत थी वो रोज दप्तर से निकलकर उसी छोटे से कैफे मे आती है जहा कॉफी क...
अध्याय 1 — रामगढ़ में मेनका का आगमन सुबह की धूप अभी-अभी पहाड़ियों के पीछे से झाँकने लगी थी। रामगढ़ गाँव की मिट्टी से उठती हल्की भाप, खपरैल के घरों की छतों से टपकती ओस की बूंदें...
आठ वर्ष पूर्व :- दूसरे दिन प्रात: ब्राह्म मुहूर्त से ही सेलेना की योग साधना प्रारंभ होनेवाली थी। सेलेना को रात्री भर निद्रा नहीं आई। कारण यह नहीं था कि पहाड़ पर सभी सुख सुविधा का...
इंस्पेक्टर बृजेश। वह एक लंबा,सुंदर,ऊर्जावान और स्वस्थ अधिकारी था। उनकी उम्र तीस साल के करीब थी,लेकिन अभी तक उनकी शादी नहीं हुई थी। चेहरे पर पतली दाढ़ी मरोड़दार मूंछे ओर घुंघराले...
बारिश की हल्की बूँदें हवेली की पुरानी दीवारों से टकरा रही थीं, जैसे कोई अतीत की गाथा गुनगुना रहा हो। यह 'रत्नावली हवेली' थी, सदियों पुरानी, जिसके जंग लगे लोहे के दरवाजे और...
पुराने किले में हलचल..... गामाक्ष के जाते ही सब तरफ सन्नाटा छा जाता है, , सब बेसुध इधर उधर पड़े थे किसी को कोई होश नहीं यहां क्या हो गया,।।। अब आगे............. रात के तीन...
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