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विकास कहता है ---विकास :- ये क्या बनाकर लाई हो जानवी । छी : इसे खाना और जहर खाना...
part - 3दिल्ली की रातें अब सयुग को डराती नहीं थीं। पहले जिन सड़कों पर चलते ह...
चंद्रमुखी अध्याय 1 – अंबरलोक की अप्सराअनंत तारों के बीच, एक रहस्यमयी ग्रह था — अ...
–––अधूरी प्रेम कहानीलेखक : विजय शर्मा एरीमालगाँव में गर्मियों की दोपहरें इतनी लम...
माटी की कसमहिमालय की गोद में बसा एक छोटा लेकिन स्वाभिमानी देश है—नेपाल। यहाँ की...
--- एपिसोड 54 — “किस्मत की दबी हुई आवाज़ें”हवा में कुछ अनकहा ज़िंदा था।जैसे किसी...
(शादी — खामोशी का सबसे सुंदर इज़हार)सुबह की हल्की धूपघर की खिड़कियों से छनकर अंद...
चेहरे मरे नहीं… मिटाए गए हैं। ताकि असली बच सके।”Location मुंबई – रात 12:08 बजेT...
भूल-90 इतिहास से की गई छेड़छाड़ को दूर करने की दिशा में कुछ न करना “और अगर अन्य सभ...
“Raju ra Sita”Comedy + Action + Youthful AdventureकहानीPokhara की हल्की-फुल्की ग...
गाँव की सुबह हमेशा की तरह शांत थी। हल्की धूप खेतों पर फैल रही थी, हवा में मिट्टी की सोंधी खुशबू घुली हुई थी। वह उसी गाँव में पला-बढ़ा था, सयुग जहाँ हर कोई एक-दूसरे को नाम से जानता...
एक भयानक खोज दिल्ली की पुरानी लाइब्रेरी, जहां धूल से भरे शेल्फ़ और पन्नों की हल्की महक थी, रिया का पसंदीदा ठिकाना था। 22 साल की रिया, इतिहास की छात्रा थी, और उसे लगता था कि हर पुर...
बेजुबान इश्क – लव स्टोरी नज़रों की खामोश बातेंमुंबई की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में, भीड़ से भरी लोकल ट्रेन के बीचदो आँखें रोज़ एक-दूसरे को ढूँढ़ती थीं—अन्या, एक सीधी-सादी, शांत और सम...
Location: अंडरग्राउंड RAW फ़ैसिलिटी, लद्दाख वक्त: सुबह 4:30 बजे काँपती हुई ठंडी हवा उस बंकर के लोहे के दरवाज़े से टकरा रही थी, जहाँ देश का सबसे ख़ुफ़िया मिशन शुरू होने जा रहा...
नेहरू की भूलों की सूची में ‘आजादी से पूर्व की भूलों’ के तहत अधिक भूलें दर्ज नहीं हैं, जबकि उनकी ‘आजादी के बाद की भूलों’ की सूची काफी लंबी है और ऐसा शायद इसलिए है; क्योंकि आजादी से...
आठ वर्ष पूर्व :- दूसरे दिन प्रात: ब्राह्म मुहूर्त से ही सेलेना की योग साधना प्रारंभ होनेवाली थी। सेलेना को रात्री भर निद्रा नहीं आई। कारण यह नहीं था कि पहाड़ पर सभी सुख सुविधा का...
अमावस्या की रात थी और रात के 11 बज रहे थे । भानपुर गांव का एक तांत्रिक अपनी तात्रिकं साधना करने के लिए सुंदरवन की तरफ जा रहा था । गांव मे ये मान्यता थी के जो कोई भी तात्रिकं अमावस्...
1. प्रारंभिक स्वरूप परंपरागत मानसिकता में पूजा–पाठ धर्म का आरंभिक और सबसे प्रचलित रूप है। यह वह अवस्था है जहाँ व्यक्ति बाह्य देवताओं या प्रतीकों की आराधना करता है, मंत्रोच्चार औ...
हिमालय की ढलानों पर रात पूरी तरह उतर चुकी थी। देवदार के घने जंगल के बीच बने छोटे-से कैम्प में एक अलाव जल रहा था, जिसकी लपटें सबके चेहरों पर नारंगी रोशनी बिखेर रही थीं। ठंडी हवा तम्...
खामोश पेंटिंग की पहली साँस पुरानी गली की वह कला-दुकान हमेशा की तरह उस शाम भी आधी अँधेरे में डूबी हुई थी। बाहर बारिश की हल्की बूँदें पत्थरों से टकरा रही थीं और अंदर हवा में पुरान...
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