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एपिसोड 44 — “कलम जो खुद लिखने लगी”(कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है)--- 1...
चैप्टर 1: मिशन मालवा 7 सितंबर 2006 अमरती, मालवा अगहन का मास का आरंभ हों चुका था,...
महाभारत की कहानी - भाग-१५२ सत्रहवें दिन अश्वत्थामा और कर्ण के साथ युधिष्ठिर और अ...
यह एक ऐसी पौराणिक कथा है । यकीनन अपने अभी तक कही और कभी नहीं सुनी होगी । ...
रात गहरी हो चुकी थी. बंगले के तहखाने में जल रही मद्धम पीली रोशनी रहस्यमयी माहौल...
"AI का नाम होगा और इंसान बदनाम होगा"कभी यह वाक्य एक मज़ाक जैसा लगता था, लेकिन आज...
1 दिन निशा की बेटी गुनगुन निशा के पास आई और बोली मम्मा हमारी स्कूल में छोटे बच्च...
बेजुबान इश्क रोमांटिकअगले दिन सुबह 8:22 की लोकल हमेशा की तरह आई…भीड़ वही, स्टे...
अध्याय 12-जो दिखता है, वही भ्रम है वेदांत-2.0 Vedānta 2.0 © 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲---य...
मोनिका :- क्यो , आज मैं चुप नही रहूंगी । ये सजावट किससे कराया जानती हो , विक्की...
गाँव की सुबह हमेशा की तरह शांत थी। हल्की धूप खेतों पर फैल रही थी, हवा में मिट्टी की सोंधी खुशबू घुली हुई थी। वह उसी गाँव में पला-बढ़ा था, सयुग जहाँ हर कोई एक-दूसरे को नाम से जानता...
नेहरू की भूलों की सूची में ‘आजादी से पूर्व की भूलों’ के तहत अधिक भूलें दर्ज नहीं हैं, जबकि उनकी ‘आजादी के बाद की भूलों’ की सूची काफी लंबी है और ऐसा शायद इसलिए है; क्योंकि आजादी से...
1. प्रारंभिक स्वरूप परंपरागत मानसिकता में पूजा–पाठ धर्म का आरंभिक और सबसे प्रचलित रूप है। यह वह अवस्था है जहाँ व्यक्ति बाह्य देवताओं या प्रतीकों की आराधना करता है, मंत्रोच्चार औ...
हिमालय की ढलानों पर रात पूरी तरह उतर चुकी थी। देवदार के घने जंगल के बीच बने छोटे-से कैम्प में एक अलाव जल रहा था, जिसकी लपटें सबके चेहरों पर नारंगी रोशनी बिखेर रही थीं। ठंडी हवा तम्...
विशाल, अथाह समुद्र के बीचों-बीच एक आलीशान-सी क्रूज़ लहरों से जूझ रही थी। चारों ओर सिर्फ़ काला पानी, तेज़ हवा और इंजन की भारी-भरकम आवाज़। उसी क्रूज़ के एक कोने में तुलसी बिखरे बालों...
खामोश पेंटिंग की पहली साँस पुरानी गली की वह कला-दुकान हमेशा की तरह उस शाम भी आधी अँधेरे में डूबी हुई थी। बाहर बारिश की हल्की बूँदें पत्थरों से टकरा रही थीं और अंदर हवा में पुरान...
खुली खिड़की से आती ठंडी हवा प्रीतम के कुछ कुछ सफेद हुए बालों को धीरे धीरे सहेला रही थी। 56 साल का प्रीतम अपनी कुर्सी पर बैठा बैठा कुछ सोच रहा था ।बाहर से आता शोर मानो उसके कानो तक...
यह शब्द सुना तो बहुत था, बचपन में इस पर निबंध भी बहुत लिखे थे पर मेरे लिए यह शब्द तब तक अस्तित्व में नहीं था जब तक की मुझे मेरी सहेली ने इसका असल अर्थ समझाया नहीं था। मेरे पिताज...
अमावस्या की रात थी और रात के 11 बज रहे थे । भानपुर गांव का एक तांत्रिक अपनी तात्रिकं साधना करने के लिए सुंदरवन की तरफ जा रहा था । गांव मे ये मान्यता थी के जो कोई भी तात्रिकं अमावस्...
एक बड़े से बंगले के पीछे बने आउट हाउस के एक कमरे में बिल्कुल अंधेरा था , और उसी अंधेरे कमरे के अंदर से किसी लड़की की सिसकियों की आवाजें आ रही थी, जो आवाज सिसकियों में भी बहुत प्यार...
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