डेविल सीईओ की डेयरिंग वाइफ - भाग 5 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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डेविल सीईओ की डेयरिंग वाइफ - भाग 5

डेविल सीईओ की डेयरिंग वाइफ भाग

 

" रुद्रांश का रिया को संभाल लेना..!" 

अब आगे,

अगली सुबह,

आज रिया बहुत खुश होती है क्योंकि आज उसका जन्मदिन है और उसको लग रहा होता है कि हर बार की तरह सब घर वाले उसके नीचे जाते ही बर्थडे विश करेंगे...!

बस इसलिए रिया बहुत जल्दी जल्दी तैयार हो रही होती हैं क्योंकि रिया हर बार की तरह आज भी देर से ही उठी होती है..!

रिया जल्दी जल्दी सीढ़ियों से नीचे आ रही है जिससे उसका पैर स्लिप होते होते बच जाता, तो अमृत उससे कहता है,

" अरे छुटकी संभाल के, अभी गिर जाती ना तू, आजकल तेरा ध्यान किधर रहता है..! "

रिया, अमृत को देख कहती है,

" वो अमृत भैया....! "

रिया की बात सुन, अमृत बोलने वाला होता ही है कि सिद्धार्थ बीच में बोल पड़ता है,

" जब भी कोई इससे कुछ पूछता है तो इसकी जबान पर ताले पड़ जाते हैं नही तो वैसे इसकी जबान कैची की तरह चली रहती हैं..! "

सिद्धार्थ की बात सुन, रिया का मुंह उतर जाते है जिसे देख अमृत कहता है,

" सिद्धार्थ, चुप कर तू, जब देखो मेरी छुटकी के पीछे पड़ा रहता है..! "

फिर अमृत, रिया को देख उस से कहता है,

" जा जाके नाश्ता करले नही तो कॉलेज के लिए देर हो जायेगी तुझे..? "

रिया, सिद्धार्थ और अमृत को देख के बोलती हैं,

" भैया आप को कुछ याद नहीं है क्या, कि आज कौन सा दिन है..? "

रिया की बात सुन, सिद्धार्थ और अमृत एक दूसरे को देख मंद मंद मुस्करा रहे होते है पर फिर खुद को नॉर्मल कर अमृत अनजान बनते हुए सिद्धार्थ से पूछता हैं,

" सिद्धार्थ, आज कौन सा दिन है..? "

अमृत की बात सुन, सिद्धार्थ उससे कहता है,

" अमृत भाई, आज तो 20 ऑगस्ट, दिन सोमवार है..! "

पर फिर सिद्धार्थ सोचते हुए कहता है,

"मुझे जितना पता है कि आज तो कुछ खास दिन नही है..!"

फिर सिद्धार्थ, अमृत से पूछता है,

" मैने सही कहा न अमृत भाई...! "

सिद्धार्थ की बात सुन, अमृत उससे कहता है,

" हां, सिद्धार्थ, तू सही कह रहा है..! "

रिया, सिद्धार्थ और अमृत की बात सुन अपना मुंह लटका लेती है और अमृत और सिद्धार्थ से ही कहती है,

" सच में आप दोनो को कुछ भी याद नहीं है..! "

रिया की बात सुन, दोनो अपना अपना सिर न मे हिला देते हैं। और अमृत तो रिया से ही सवाल करते हुए कहता है,

" अगर आज ऐसा कोई खास दिन है तो तू ही बता दे, है ना सिद्धार्थ, मैने सही कहा ना...! "

अमृत की बात सुन, सिद्धार्थ उससे कहता है,

" हा भाई आप ने बिलकुल सही कहा है..! "

सिद्धार्थ अब रिया से कहता है,

" अब बोल भी..! "

सिद्धार्थ की बात सुन, रिया उदास होकर कहती हैं,

"कुछ नही भैया...! " और वहा से उदास होकर रसोई घर की तरफ़ चली जाती हैं..!

रिया के चले जाने के बाद सिद्धार्थ और अमृत दोनो ही हसने लगते हैं, फिर सिद्धार्थ, अमृत से कहता है,

" अमृत भाई, यह छुटकी कितनी पागल है न, सही मे इसको कोई भी आसानी से पागल बना सकता है..! "

सिद्धार्थ की बात सुन, अमृत उससे कहता है,

" नही सिद्धार्थ ऐसी बात नही है और छुटकी पागल नही है बस मासूम है, जो जल्दी ही किसी की भी बातो में आ जाती है चाहे वो घर से हो या फिर बाहर, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है...! "

अब अमृत, यश को खोसते हुए कहता है,

" अगर इस पागल लड़के ने छुटकी के लिए सरप्राइज़ पार्टी के लिए नही बोला होता न तो आज मेरी छुटकी अपने जन्मदिन पर इतनी उदास नहीं होती..! "

अमृत की बात सुन के, सिद्धार्थ हंसते हुए उससे कहता है,

" क्या अमृत भाई आप भी ना, इन दो पागलों के बीच में बोल रहे हो, आप जानते तो हो रिया और यश दोनो एक से बढ़कर है..! "

रसोई घर में,

रिया का चेहरा सिद्धार्थ और अमृत की बातो से उतर तो चुका ही था पर फिर भी वो एक उम्मीद के साथ रसोई घर की तरफ जाने लगती हैं कि संजना जी और सरला जी तो कभी भी उसका जन्मदिन भूल ही नही सकती है..!

रिया रसोई घर में जाते हैं संजना जी के पीछे से गले लग जाती है और उनसे पूछती हैं,

"बड़ी मां, आपको तो याद ही होगा न कि आज किया है..?"

रिया की बात सुनके, संजना जी मुस्करा रही होती है पर रिया उनकी मुस्कान देख नही पाती हैं क्योंकि रिया के सामने संजना जी की पीठ होती है..!

संजना जी अपने आपको कंट्रोल कर के उससे बोलती है,

" क्यो रिया, आज ऐसा भी कौन सा दिन है, जो तुम इतनी खुश नजर आ रही हो..? "

रिया, संजना जी की बात सुनने के बाद, उदास होकर उनसे कहती हैं,

" क्या आपको भी, सिद्धार्थ और अमृत भैया की तरह कुछ भी याद नहीं है...! "

रसोई घर में खड़ी संजना जी और सरला जी समझ जाती है कि रिया को सिद्धार्थ और अमृत की तरह हमे भी रिया को परेशान ही करना है..!

रिया की बात सुनने के बाद, शिवानी जी उसको थोड़ा डाटते हुए कहती हैं,

" ऐसा भी कौन सा दिन आ गया है जो तू इतनी खुश हो रही है और कभी तूने इतनी खुशी अपनी पढाई में तो नहीं दिखाई और हां महारानी जी नाश्ता डाइनिंग टेबल पर लगा दिया है जाओ जाकर कर लो फिर तुम्हे कॉलेज भी तो जाना है नही तो रोज की तरह आज भी देर से जाओगी...! "

अपनी मां शिवानी जी की बात सुन, रिया रोते हुए रसोई घर से बाहर निकल जाती हैं..!

शिवानी जी की बात सुन के, संजना जी उन से कहती हैं,

" क्या शिवानी, भला तुम्हे मेरी बच्ची तो इतना सुनाने की क्या ज़रूरत पढ़ गई थी और वो भी आज उसके जन्मदिन पर, अब उदास कर दिया न तुमने मेरी बच्ची को...! "

संजना जी की बात सुन, शिवानी जी उनसे कहती हैं,

" दीदी आप ने ही इसको बिगड़ दिया है, देखा नही अवनी कितनी होशियार निकल गई हैं और यह एक नंबर की बुद्धू, कोई समझ नही है इस लड़की को, और इतनी बड़ी हो गई है पर अभी तक इसका बचपना नही गया है..! "

शिवानी जी की बात सुनने के बाद, संजना जी उनसे कहती हैं,

" कोई बुद्धू नही है मेरी बच्ची, समझ आया तुझे और रही बात अवनी और रिया की बराबरी करने की तो एक बात समझ लो तुम कि बराबरी दो बराबर इंसानों में होती है जबकि रिया और अवनी मे बहुत ज्यादा अंतर है और रही बात बचपने की तो रिया पूरे परिवार में सबसे छोटी है और बचपना बच्चे नही करेंगे तो क्या तुम और मै करेगे..!"

संजना जी की बात सुन, शिवानी जी उनसे कहती हैं,

" हां... हां दीदी, आप तो रिया की ही साइड लोगे न...! "

शिवानी जी की बात सुन, संजना जी उनसे कहती हैं,

" हां क्यों नहीं, मेरी बच्ची है ही इतनी प्यारी...! "

शिवानी जी सुनने के बाद, रिया उदास होते हुए रसोई घर से बाहर निकल गई थी और फिर अपने कमरे की तरफ जाने लगती ही है कि सीढ़ीओ पर जल्दी जल्दी चढ़ने के चक्कर मे फिर से गिरने वाली होती है तो अब की बार रुद्रांश, रिया को संभाल लेता है और रिया का हाथ कसकर पकड़ लेता है और रिया को ठीक से खड़ा करके उससे पूछता है,

"छुटकी तुम ठीक तो हो ना..?"

रुद्रांश की बात सुन कर रिया अपना सिर हां मे हिला देती हैं और अब रुद्रांश, रिया से कुछ बोलता है तो रिया अपने कमरे की तरफ भाग जाती हैं..!

रिया को जाते देख, यश अमृत से परेशान होते हुए कहता है,

" ओह गॉड, कही रिया ने रुद्रांश भाई ने रिया को बर्थडे विश तो नही कर दिया होगा ना तो सारे प्लान पर पानी फिर जाएगा..!"

तो क्या सच में रुद्रांश ने रिया को उसके जन्मदिन की बधाई दे दी होगी और क्या सच में अब यश की सरप्राइज़ पार्टी पर पानी फिर जाएगा..?

To be Continued....

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