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मेरी यादों की किताब - भाग 3

#अप्रैल फूल#

आपके जन्मदिन पर आपको कोई रुलाये तो आपको कैसा लगेगा? मैने थोड़ा अजीब सवाल कर दिया न। मेरे साथ कुछ ऐसा ही हुआ था। मेरा मजाक मुझ पर ही पड़ा, और पुरा दिन उदासी मे गुजरा। दरसल मेरा रोंग नंबर लग गया था। जिसकी वजह से हम उदास हो गए थे।

ये बात 2018 की है......!!
मेरा जन्मदिन पहली अप्रैल को आता है। आप सब तो जानते है, अप्रैल यानी सबको बेवकूफ बनाने का दिन, साल का ऐसा महिना जिस महीने मे हम छोटे - बड़े सबके साथ मस्ती कर सकते है, और कोई नाराज भी नहीं होता है।

31 मार्च को ....
मेरी दीदी का नया नया रिश्ता पक्का हुआ था। मेरे जीजू महेन्द्र कंपनी मे जॉब करते थे। अप्रैल महिना आने वाला था। मैने सोचा, जीजू के साथ थोड़ी मस्ती करती हु। इसलिए मैने मेरे दूसरे नंबर से जीजू को कॉल किया।

मे : मेरी गाडी आपके कंपनी मे सर्विस के लिए आई है अभी तक हुई क्यु नही है?
जीजू : कब भेजी थी, गाड़ी कोनसी है, नंबर बताईये।
मे : GJ 11 5622
जीजू : इस नंबर की गाड़ी हमारे शो रूम मे आई नहीं है।
मे : मुझे इसी कंपनी का अड्रेस दिया है।
जीजू : मे फिर से देखता हु।
मे : (उसी आवाज मे) मुझे आपकी ही कंपनी का बोला है।
जीजू : इस नंबर की गाड़ी नहीं है। फिर भी मे देखता हु।

जीजू को थोड़ा शक हो गया की कोई मेरे साथ मस्ती कर रहा है। उन्होंने मेरी दीदी को ये सबकुछ बताया। पर मेरी दीदी ने उनको ये नहीं बताया की कॉल मैने किया था।

1 अप्रैल को .....
दूसरे दिन सुभाह फिर कॉल किया। तब कॉल जीजू ने नहीं बल्कि किसी और ने उठाया, उन्होंने मुझे बोला की वो कंपनी के मैनेजर है। मैनेजर का नाम सुनकर, सोच मे पड़ गई। अब क्या करू? अगर वो सच मे मैनेजर है तो मे उनसे क्या बात करू?

मजाक वाली वात तो बता नहीं सकते थे। इसलिए उनको वही बोला जो मैने जीजू को बोला था। मैनेजर मुझे गलत साबित करने मे लगे थे। सवाल पर सवाल पूछने लगे, कुछ जवाब देते और फिर कॉल कट कर देते। फिर कॉल आता, थोड़ी बहस होती फिर कॉल कट, कभी उनका आता, कभी हम करते, ये सब दोपहर तक चला।

वो सच मे कंपनी के मैनेजर है? इसबात से हम डर गए। सोच मे पड़ गये, की जो सोचा था उससे ज्यादा हो गया है। फिर मेरी दीदी ने जीजू को कॉल किया, बिना कुछ बताये पता लगाया की उनका फोन किसके पास है, उनसे बात करने के बाद पता चला। जीजू अपने भाई का सिम use कर रहे थे। और वो मैनेजर कोई और नहीं बल्कि उनके छोटे भाई "प्रवीण" है।

मेरी मि. मैनेजर (प्रवीण) से इतनी पहचान नहीं थी। उनसे क्या बात करे, क्या कहे, कुछ समझ नहीं आ रहा था। वो मेरे लिए अजनबी थे। फिर सोचा, इसबात को यही पर खत्म कर देते है। इसलिए मैने मि. मैनेजर (प्रवीण) को कॉल किया। उनको सच बताने की कोशिस की, पर वो एक ही बात बार बार बोल रहे थे। मैनेजर का भूत उन पर से उतरने का नाम नही ले रहा था।

(कॉल पर.....)
मे : आप प्रवीण हो ना?।
प्रवीण : नहीं! मे कंपनी का मैनेजर हु।
मे : आपके पापा का नाम............. और आप इस .......... गाँव के हो ना?
प्रवीण : आप मेरा एगो हट कर रहे हो।
मे : आप मेरे जीजू के भाई हो ना?
प्रवीण : मे वो नहीं हु।

इतना सबकुछ होने के बाद मे रोने लगी। बहोत बुरा लग रहा था। ये मैने क्या कर दिया। बार बार प्रवीण को समझाया पर वो समजे नहीं। कॉल कट कर दिया। फिर आखिर मे एक मैसेज भेजा " मे आपके भाई की साली हु, उनको अप्रैल फुल बना रही थी।" उनका जवाब आया.....

जवाब मे उन्होंने ने मुझे गाली दी। फिर तो मेरी हालत खराब हो गई।

मेरा मजाक मुज पर भारी पड़ गया। क्या करना चाहते थे और क्या हो गया।

पता नहीं मि. मैनेजर (प्रवीण) को क्या हुआ था। शायद उन्होंने किसी और का गुस्सा मुझ पर डाल दिया। मेरे बार बार कहने पर वो माने ही नहीं।

कुछ समय बाद उनका एक मैसेज आया "बुरा लगा हो तो दो रोटी ज्यादा खा लेना" मि. मैनेजर (प्रवीण) का सॉरी बोलने तरीका उनकी तरह समझ मे नहीं आया। यही मैसेज दो बार आया, पर उनको कौन समजाये, बुरा तो इतना लगा था की आँखों मे आँसू आ गये थे।

यही पर बात पूरी नहीं होती है। एक साल के बाद.......

तब दीदी की शादी हो गई थी। उनके परिवार से मेरी जान पहचान अच्छी हो गई थी। फिर वही दिन आया, पहली अप्रैल यानी मेरा जन्मदिन, हम तो रोज की तरह सुभह अपनी जॉब पर जा रहे थे।

तभी रास्ते मे मेरे फोन की रिंग बजी, स्क्रीन पर देखा तो जीजू का कॉल था। जन्मदिन तो बादमे विस किया पहले उन्होंने बोला "एक साल से आपकी गाड़ी मेरी कंपनी मे पडी है, अभी तक कोई लेने आया नहीं है।" मे समझ गई वो क्या कहना चाहते थे। फिर जीजू ने जन्मदिन की बधाई दी। मैने मुस्कान के साथ उनको thank you बोला।

जीजू से बात करने के बाद मैने मि. मैनेजर (प्रवीण) को कॉल किया था। उन्होंने मुझे कितना परेसान किया था। बदले मे हम थोड़ी मस्ती तो कर सकते है ना।

(कॉल पर .....)
मे : एक साल पहले आपकी कंपनी मे मेरी गाड़ी सर्विस के लिए भेजी थी। आपने अभी तक सर्विस की नहीं है?
प्रवीण : (मस्ती करते हुए) गाड़ी हम ने भंगार मे देदी।
मे : आपकी सर्विस अच्छी नहीं है।
प्रवीण : (हँसते हुए बात को पुरा किया) Happy birthday to you
मे : thank you

मि. मैनेजर (प्रवीण) उन्होंने भले ही मुझे दुःखी किया था। पर अब उस दिन को याद करके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। तब से अब तक हर साल मि. मैनेजर (प्रवीण) मुझे जन्मदिन की बधाई देते है। और उस दिन को याद करते है।

अब मेरी यादों की किताब की अगली कहानी क्या होगी, सोचना पड़ेगा। तब तक आप मेरी सभी कहानी को पढे और एंजॉय कीजिये।

स्टोरी को रेटिंग जरूर दीजिये। 🙏

_Miss -Chhotti

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