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अब आगे,नितिन अपने कैफ़े आ गया । ये जगह उसे बहुत पसंद है क्युकी ये कैफ़े नितिन ने अ...
प्रकरण - ४१अमिता बोली, "रोशनजी! हमारे दर्शक यह जानने के लिए बहुत उत्सुक हैं कि आ...
नीलम कुलश्रेष्ठ डॉ. उर्मिला शिरीष जी ने अपने उपन्यास 'चाँद गवाह '...
" प्लीज इशू खत्म करो ना..!! किसी की गलती नहीं थी। बस हालत गलत हो गए और उन्ही ह...
दूसरी ओर कनिषा को मुड़ता देख इशांक को लगा जैसे वो खुद को किसी कमरे या पास के ही...
58“सुनों मित्रों।” अभियान का नेतृत्व कर रहे युवक ने कहा, “समुद्र किसी भी मृत शरी...
कल हमने पढ़ा था,,,,,,कि अंश अपनी मां से बात कर रहा था ,,,,,,कि तभी उसके फोन में...
1.तन मेरा महका है जब - जब ख़्याल तुम्हारा महका है, इत्र से भला क्या काम मुझे अब...
अधूरी चाहत और मरता परिवार (उपन्यास)भाग-१अधूरी ख़्वाहिशें डॉ. अनामिका एक...
लैंप अभी उस छोटी बच्ची पर गिर पाता .. उसे पहले ही वो लड़की आ कर उस नन्ही सी जान...
शंकर, जब से शहर आया था, बहुत बदल गया था, छोटे से गांव से आया एक सीधा सादा युवक शंकर, वहां के सम्मानीय गिरिजा पंडित जी की पहली औलाद, बड़े सपनों से पाल पास के शहर पढ़ने भेजा था उन्होंन...
पाप या पुण्य, जीवन में किये गए किसी भी कार्य का फल माना जाता है। इस पुस्तक में दादाश्री हमें बहुत ही गहराई से इन दोनों का मतलब समझाते हुए यह बताते है कि, कोई भी काम जिससे दूसरों...
उदास हूं पर इस क़दर नही,, की तेरी खुशी भी न देख सकू,,, मैं वहां भी चुप रहती हूं,, जहां मेरे अपनो की खुशी हो ╭─❀⊰╯ ╨────────────━❥ ╭─?•••••••अंजू कुमारी••••• ╨───,,,,,,,,────...
हम अभी भी ऐसे समाजमें रहते हैं जहां किसी अंजान रोगने इंसान को घेर लिया है | तो उसके निदान या इलाज के बारे में सोचना तो दूर की बात, वह मरीज़ को नफरत की नज़रो से देखा जाता है, उस व्यक...
आज की यह रात अमावस की काली अंधियारी रात थी। इस रात के बीच में बिजली की चमक अँधेरे का सीना चीरती हुई धरती पर आ गिरती कभी मद्धम कभी भीषण। बादल नाराज़ लग रहे थे, ऐसा लग रहा था इस भयानक...
कूंज विला..... मूंबई... सावित्री :- जगदीश, अनिल, भावना, सुरेखा..... सारी तैयारी हो गई ना? (सावित्री खुश होकर पुछती है.) ( इस कुंज विला में रहता है गुजरात से आकर बसा हुआ मेहता परिवा...
यदि आप सच में आगे बढ़ना चाहते हैं,तो फिर आपको इस दूनियाँ की कोई ताकत नहीं रोक सकतीं, ये मैं कहती हूँ ! लेकिन, तकलीफ़ यह है कि, इन्सान आगे बढ़ नहीं पाता है ; सिर्फ अपनी ही सोच की वज...
पूरा पढ़ना न भूलें :- यह एक काल्पनिक कहानी है इसका वास्तविक जीवन से कोई वास्ता नहीं। वह ट्रेन के आरक्षण की बोगी में बाथरूम के तरफ वाली सीट पर बैठी थी... उसके चेहरे के भाव से पता...
6...7...8...9...10... रेडी???? मेरे 8 साल के भाई ने अपनी तुतलाती सी आवाज में पूछा. "नहीं आशु ...मैंने कहा था न कम से कम 20 तक काउंट करो." आशीष - ओके दी...11..12......
माया, अपने बीस के दशक के अंत में एक युवा पेशेवर, हमेशा एक जिज्ञासु और आत्मविश्लेषी व्यक्ति रही है। उसने खुद को लगातार जीवन के गहरे अर्थ और अपने अस्तित्व के उद्देश्य पर विचार करते ह...
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