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Featured Books

कामवासना से प्रेम तक By सीमा कपूर

एक सभ्य समाज में पुरुष और महिला के बीच सुंदरता से भरे संबंधों के बारे में यदि कहां जाए तो ----उसे कामसूत्र कहते हैं (क्या है ,कामवासना )और (क्या है, प्रेम), कामसूत्र से संबंधित कई...

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सुखा पत्ता️ By Alone Soul

ये कहानी है बस दो जोड़ी जूतों जैसी जिसमे सिर्फ प्यार भी मिलता ही हैं और जब खत्म भी होता है तो सिर्फ घिस घिस के , ये वो जूते है जो साथ में एक रिश्ते की नीव रखते है , जो कदम ताल को...

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दर्द दिलों के By Anki

आरवी अंधेरे कमरे में बैठी न जाने कहां खोई हुई है। उसकी आंखों से पानी की जगह मानो उसके सपने टूट कर बह रहे हो। तभी आवाज आती है.. आरवी दरवाजा खोलो। आरवी क्या हुआ यार .. आरवी तुम सुन र...

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गोमती, तुम बहती रहना By Prafulla Kumar Tripathi

अपने जन्म वर्ष 1953 से अपने जीवन की युवावस्था और दाम्पत्य तथा नौकरी शुरुआत तक की अवधि का आत्मगंधी लेखा- जोखा मैंने अपनी आत्मकथा के पहले खंड “ आमी से गोमती तक “ में दे दिया है जिसे...

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मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ By राज कुमार कांदु

पूरे गाँव में रामलाल काका की ही चर्चा थी। जब से उस विशाल घर परिवार के मुखिया की जिम्मेदारी उन्हें मिली थी, उन्होंने कई क्रांतिकारी फैसले लिए जिनके खिलाफ उनके पुरखे सदैव ही रहे।
सा...

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दो बूँद आँसू By Pradeep Shrivastava

सकीना यह समझते ही पसीना-पसीना हो गई कि वह काफ़िरों के वृद्धाश्रम जैसी किसी जगह पर है। ओम जय जगदीश हरे . . . आरती की आवाज़ उसके कानों में पड़ रही थी। उसने अपने दोनों हाथ उठाए कानों को...

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किस्मत से मिला रिश्ता By Saloni Agarwal

यह कहानी है रुद्र और मीरा की, एक तरफ है 28 वर्षीय "रुद्र सिंघानिया" जो है सिंघानिया ग्रुप ऑफ कंपनी के सीईओ और साथ में है ये बहुत ही ज्यादा गुस्से वाले इंसान और साथ में है य...

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पुस्तक महोत्सव (हिंदी) By Mahendra Sharma

दिव्य प्रकाश दुबे के काफे में मज़ेदार चाय के साथ पराठे वाली फीलिंग कराने वाली कहानी है। क्या हम कभी मिले हैं? हाँ शायद कहाँ? किसी किताब में जो अभी लिखी ही नहीं गई... ऐसी बहुत सारी म...

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सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... By Tripti Singh

ये कहानी पूरी तरह से मेरी कल्पना पर आधारित है ये कहानी पूरी तरह से मेरी कल्पना पर आधारित है अगर इस कहानी या इसके किसी भी पात्र से आपको भावनात्मक रूप से ठेस पहुंचाती हैं तो मैं क्षम...

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उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए By Neerja Hemendra

मुझे अपना यह नया उपन्यास " उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए " पाठकों को समर्पित करते हुए अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है। मेरे इस उपन्यास का कथ्य यद्यपि समकालीन न होते हुए अब से लग...

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कामवासना से प्रेम तक By सीमा कपूर

एक सभ्य समाज में पुरुष और महिला के बीच सुंदरता से भरे संबंधों के बारे में यदि कहां जाए तो ----उसे कामसूत्र कहते हैं (क्या है ,कामवासना )और (क्या है, प्रेम), कामसूत्र से संबंधित कई...

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ये कहानी है बस दो जोड़ी जूतों जैसी जिसमे सिर्फ प्यार भी मिलता ही हैं और जब खत्म भी होता है तो सिर्फ घिस घिस के , ये वो जूते है जो साथ में एक रिश्ते की नीव रखते है , जो कदम ताल को...

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गोमती, तुम बहती रहना By Prafulla Kumar Tripathi

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मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ By राज कुमार कांदु

पूरे गाँव में रामलाल काका की ही चर्चा थी। जब से उस विशाल घर परिवार के मुखिया की जिम्मेदारी उन्हें मिली थी, उन्होंने कई क्रांतिकारी फैसले लिए जिनके खिलाफ उनके पुरखे सदैव ही रहे।
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सकीना यह समझते ही पसीना-पसीना हो गई कि वह काफ़िरों के वृद्धाश्रम जैसी किसी जगह पर है। ओम जय जगदीश हरे . . . आरती की आवाज़ उसके कानों में पड़ रही थी। उसने अपने दोनों हाथ उठाए कानों को...

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