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Featured Books

उल्टे पैर. By Sonali Rawat

शंकर, जब से शहर आया था, बहुत बदल गया था, छोटे से गांव से आया एक सीधा सादा युवक शंकर, वहां के सम्मानीय गिरिजा पंडित जी की पहली औलाद, बड़े सपनों से पाल पास के शहर पढ़ने भेजा था उन्होंन...

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पाप-पुण्य By Disha Jain

पाप या पुण्य, जीवन में किये गए किसी भी कार्य का फल माना जाता है।

इस पुस्तक में दादाश्री हमें बहुत ही गहराई से इन दोनों का मतलब समझाते हुए यह बताते है कि, कोई भी काम जिससे दूसरों...

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दिल की बाते तुम्हारी याद मे By Anju Kumari

उदास हूं पर इस क़दर नही,,
की तेरी खुशी भी न देख सकू,,,
मैं वहां भी चुप रहती हूं,,
जहां मेरे अपनो की खुशी हो
╭─❀⊰╯
╨────────────━❥
╭─?•••••••अंजू कुमारी•••••
╨───,,,,,,,,────...

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अग्निजा By Praful Shah

हम अभी भी ऐसे समाजमें रहते हैं जहां किसी अंजान रोगने इंसान को घेर लिया है | तो उसके निदान या इलाज के बारे में सोचना तो दूर की बात, वह मरीज़ को नफरत की नज़रो से देखा जाता है, उस व्यक...

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हर्जाना By Ratna Pandey

आज की यह रात अमावस की काली अंधियारी रात थी। इस रात के बीच में बिजली की चमक अँधेरे का सीना चीरती हुई धरती पर आ गिरती कभी मद्धम कभी भीषण। बादल नाराज़ लग रहे थे, ऐसा लग रहा था इस भयानक...

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तक़दीर का खेल By Aarushi Varma

कूंज विला..... मूंबई... सावित्री :- जगदीश, अनिल, भावना, सुरेखा..... सारी तैयारी हो गई ना? (सावित्री खुश होकर पुछती है.) ( इस कुंज विला में रहता है गुजरात से आकर बसा हुआ मेहता परिवा...

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क्या सच में तुझे आगे बढ़ना है .. By Pari Boricha

यदि आप सच में आगे बढ़ना चाहते हैं,तो फिर आपको इस दूनियाँ की कोई ताकत नहीं रोक सकतीं, ये मैं कहती हूँ ! लेकिन, तकलीफ़ यह है कि, इन्सान आगे बढ़ नहीं पाता है ; सिर्फ अपनी ही सोच की वज...

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मेरे अजनबी हमसफ़र By DINESH KUMAR KEER

पूरा पढ़ना न भूलें :- यह एक काल्पनिक कहानी है इसका वास्तविक जीवन से कोई वास्ता नहीं।

वह ट्रेन के आरक्षण की बोगी में बाथरूम के तरफ वाली सीट पर बैठी थी...
उसके चेहरे के भाव से पता...

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खेल खौफ का By Puja Kumari

6...7...8...9...10... रेडी????

मेरे 8 साल के भाई ने अपनी तुतलाती सी आवाज में पूछा.

"नहीं आशु ...मैंने कहा था न कम से कम 20 तक काउंट करो."

आशीष - ओके दी...11..12......

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जीवन कैसे जिएं? By Priyanshu Jha

माया, अपने बीस के दशक के अंत में एक युवा पेशेवर, हमेशा एक जिज्ञासु और आत्मविश्लेषी व्यक्ति रही है। उसने खुद को लगातार जीवन के गहरे अर्थ और अपने अस्तित्व के उद्देश्य पर विचार करते ह...

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पाप-पुण्य By Disha Jain

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इस पुस्तक में दादाश्री हमें बहुत ही गहराई से इन दोनों का मतलब समझाते हुए यह बताते है कि, कोई भी काम जिससे दूसरों...

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उदास हूं पर इस क़दर नही,,
की तेरी खुशी भी न देख सकू,,,
मैं वहां भी चुप रहती हूं,,
जहां मेरे अपनो की खुशी हो
╭─❀⊰╯
╨────────────━❥
╭─?•••••••अंजू कुमारी•••••
╨───,,,,,,,,────...

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अग्निजा By Praful Shah

हम अभी भी ऐसे समाजमें रहते हैं जहां किसी अंजान रोगने इंसान को घेर लिया है | तो उसके निदान या इलाज के बारे में सोचना तो दूर की बात, वह मरीज़ को नफरत की नज़रो से देखा जाता है, उस व्यक...

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हर्जाना By Ratna Pandey

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तक़दीर का खेल By Aarushi Varma

कूंज विला..... मूंबई... सावित्री :- जगदीश, अनिल, भावना, सुरेखा..... सारी तैयारी हो गई ना? (सावित्री खुश होकर पुछती है.) ( इस कुंज विला में रहता है गुजरात से आकर बसा हुआ मेहता परिवा...

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