Ek Hadsa - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

एक हादसा - 1

24-10-2018 का वो दीन आज भी साक्षी भुली नहीं है। आज भी उस दिन को याद करके साक्षी दुःखी हो जाती है। और यहीं सोचती है की, काश उस दिन दश मिनिट घर देर से पहोचते तो शायद.....

शाम सात बजे के आस पास रोज साक्षी अपनी जॉब से घर आती है। उस दिन इसी समय वो घर आ रही थी। घर के थोड़े दुर से उसने देखा की, बहोत सारे लोग हाथ मे लकड़िया लेके उसके घर की तरफ आ रहे थे। साक्षी को कुछ समझ नहीं आया की क्या हो रहा है। वो लोग साक्षी के चाचा को मारने लगे और बुरा बोलने लगे, साक्षी के मम्मी पापा उन सबको रोकने बहार आये। साक्षी ये सब देख रही थी। वो सबको पुछ ने लगी की ये क्या हो रहा है? ये लोग यहाँ ऐसे क्यु आये है? ईसी बीच साक्षी को चोट लग गई और वो नीचे गिर गई। साक्षी उठ कर चली तो जैसे उसके पैर मे जैसे कुछ टकरा रहा हो ऐसा महसूस किया और वो वही बैठ गई। आवजो की वजह से गाँव के लोग इक्कठे होने लगे, उन सबको देख कर वो लोग चले गए। उन सबके चले जाने के बाद तुरंत ही साक्षी और उनके चाचा को गाँव से आठ किमी दुर हॉस्पिटल ले गए। वहाँ इलाज करवाया पर साक्षी के पैर मे दर्द कम नहीं हो रहा था। इसलिए वहाँ के डॉक्टर ने बड़े हॉस्पिटल मे दिखाने को बोला। उसी वक़्त साक्षी को उसके मम्मी- पापा, बड़ी माँ और उसके चाचा बड़े हॉस्पिटल मे दिखाने ले गए। रात के 10:30 बजे वो हॉस्पिटल पहोचे। डॉक्टर ने साक्षी को दाखल कर दिया दर्द का इंजेक्शन लगाया और बोला शुभह पैर का x -Ray होगा। पुरी रात साक्षी दर्द की वजह से सो नहीं पाई। सुभाह x Ray हुआ उसमे कुछ नहीं आया। पैर का दर्द तो था हि इसलिए डॉक्टर ने दुसरी बार x_Ray करवाया, उसमे भी कुछ नहीं आया। उसी हॉस्पिटल मे चार दिन रुके, चार दिन के बाद साक्षी को छुट्टी मिली। तीन दिन साक्षी ने घर आराम किया बादमे फिर अपनी जॉब पर चली गई। उसके पैर मे दर्द तो रहता ही था। पैर से अपना ध्यान हटाने के लिए पुरा दिन काम करती। डॉक्टर ने बोला था तीन महीने थोड़ा थोड़ा दर्द रहेगा। इसलिए साक्षी ने कुछ किया नही। रोज अपनी जॉब पर चली जाती। ऐसे ही एक वर्ष हो गया। पर साक्षी के पैर का दर्द वही का वही था। गाँव मे बुजुर्ग जो भी घरेलू उपसार बोलते वो सभी कर लेती। कोई बोलता यहाँ अच्छा वैद है तो वहाँ दिखाया, दुसरे हॉस्पिटल मे दिखाया। दो वर्ष होने को आये मगर साक्षी के पैर का दर्द वही का वही था।
28-9-20 के दिन पैर का दर्द इतना बड़ गया की साक्षी एक कदम भी चल ना सकी। फिर उसका भाई उसे पास के हॉस्पिटल ले गया। वहाँ डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने उसके के गाँव से 2 घंटे दुर जूनागढ़ जाने को बोला, वहाँ पर राजकोट से हर सोमवार को डॉक्टर आते है। उसी वक़्त साक्षी और उसका भाई जूनागढ़ गए। फिर वहाँ डॉक्टर को दिखया, MRI किया तो पता चला की पैर के अस्थियों को जोडे रखता है वो स्नायु (Ligaments)पुरी तरह टूट गया है। डॉक्टर ने बोला पैर का ऑपरेशन करवाना पड़ेगा। डॉक्टर को दिखाने के बाद दोनों घर आये, घर आके पापा को सब बताया, पापा चाहते थे की दुसरे डॉक्टर को सब रिपोर्ट दिखायेंगे फिर कुछ करेगे। पहले उसके फैमिली डॉक्टर को सब रिपोर्ट दिखाई उन्होंने भी बोला आज नहीं तो कल ऑपरेशन तो करवाना पड़ेगा। वरना साक्षी कभी ठीक से चल नहीं पायेगी। उसी डॉक्टर ने बताया की ऑपरेशन का खर्च एक लाख रुपिया तक होगा। उस वक़्त साक्षी के घर मे दश हजार रुपिया भी नहीं थे वो एक लाख कहाँ से लाते? कुछ दिनों के बाद साक्षी और उसके पापा राजकोट गए और उसी डॉक्टर से मिले जिन्होंने ऑपरेशन के बारे मे बताया था। उनसे बात की और बताया अभी हमारे पास ऑपरेशन के पैसे नहीं है। उन्होंने एक बैंन्डेज लिख कर दिया, बोला इससे पैर को सपोर्ट मिलेगा और दर्द कम होगा। और ये भी बोला की एक बार राजकोट दोशी हॉस्पिटल के डॉक्टर का अभिप्राय ले लीजिये। फिर साक्षी और उसके पापा वहाँ पर भी गए। सब रिपोर्ट देख कर उन्होंने यही कहाँ ऑपरेशन तो करवाना पड़ेगा। लेकिन और एक बात बोली की कोई जल्दी नहीं है। बादमे ऑपरेशन करवा सकते है। तब तक पैर मे बैंन्डेज रखिये ताकि और ज्यादा पैर मे नुकसान ना हो। साक्षी के फैमिली डॉक्टर ने भी कुछ समय के बाद ऑपरेशन करवाने को बोला क्युकी पुरे देश मे कोरोना की महामारी चल रही थी। और तीन महीने गुजर गए......
तीन महीने के बाद क्या हुआ, साक्षी का ऑपरेशन कैसे हुआ, कितनी परेशानी और दिक्कते आई, ये जानने के लिए थोडा इंतज़ार कीजिये। स्टोरी पसंद आई हो तो रेटिंग जरूर दीजियेगा।

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