Dhara - 20 books and stories free download online pdf in Hindi

धारा - 20

देव ध्रुव के बारे के बताए जा रहा था और धारा के मन मे तो अलग ही हलचल मची हुई थी !! धारा ने अचानक ही देव से पूछा , " जब तुम्हे सब याद था देव तो घर मे इतनी सारी चाभियो का मिलना और वो मंदिर में सब मिलना..... इसका क्या राज़ है ??"


देव, "वो चाभियाँ लाकर्स की है !! बस मैंने तो लोगो का ध्यान भटकाने के लिए ही घर मे इधर उधर चाभियाँ छुपाई हुई थी !! एक समय मैं सारी कॉन्फिडेंशियल फाइल्स, सीडी सब वहीं रखता था ! फिर एक बार मेरी एब्सेन्स में कोई घर मे घुसा था !! शायद उन्ही फाइल्स के लिए !! बस तबसे लोगो को चकमा देने के लिए उन्हें बेवकूफ बनाने के लिए मैंने ये तरीका अपनाया !! हां वो मंदिर वाला जरूर सच था ! ये तरीका मैंने पापा से सीखा था !
मतलब आप किसी राज़ को छुपा रहे हो किसी से और कभी आपके साथ कोई हादसा हो जाये तो इस राज़ की सेफ्टी के लिए ऐसा कर सकते हैं !! ताकि दुश्मन को तो पता ना चले मगर जो हमारा राजदार है उसे क्लू मिल जाये !!"

धारा, "मैं समझी नही !! मतलब ...!!"


देव, " मतलब ये की जैसे मेरा एक्सीडेंट हुआ ! अब अगर मेरे राजदार तक मुझे कोई सबूत देना हो तो मैं कैसे देता ?? इसलिए पहले से ही तैयारी कर के रखनी होती है आगे की सोचकर !! मैंने पंडित जी को एक पेन ड्राइव दिया था और एक बॉक्स जिसमे कुछ कीज़ थी !! और जो चौपाई पर मैंने हाईलाइट किया था वो कॉडवोर्ड था ! जो भी उस चौपाई को पंडित जी को तीन बार बोलकर सुनाता, उसे पंडित जी वो पेन ड्राइव दे देते !! पर तुमने उन्हें ऐसा कुछ नही कहा था और तुम्हारे पीछे ही मैं भी पहुंच गया था तो मैंने ही पंडित जी को तुम्हे पेन ड्राइव ना देने का इशारा किया था !!"


इतना भयंकर गुस्सा आया धारा को देव पर, की जान ले ले उसकी !! मतलब देव इतने दिनों से उसे बेवकूफ बना रहा था और उसे लग रहा था जैसे वो बहुत समझदार है !! धारा खा जाने वाली नज़रो से देव को घूर रही थी और देव घबराकर इधर उधर देख रहा था !!
धारा ने भौहें उठाई और होठों पर उंगली रखकर बोली," ओ........ ,तभी मैं सोचूं, सिर्फ मुझे ही उतावली है तुम्हे सब याद दिलाने की ! तुम्हे तो कोई जल्दी है ही नही !!"


धारा के चेहरे के भाव देखकर देव ने चुप रहना ही बेहतर समझा इसलिए बदले में सिर्फ झूठ का मुस्कुरा दिया !! धारा ने उससे पूछा, " हाँ तो तुमने नाम नही बताया, तुमपर हमला करने वाले का !!"

देव, "मनन श्रीवास्तव !!"


"व्हाट...??" नाम सुनकर धारा चौंक गई !! "मनन श्रीवास्तव, !!"
धारा सन्न रह गयी बिल्कुल ! हाथ पैर एकदम ढीले पड़ गए उसके !!

देव बोला, " ये मनन श्रीवास्तव वही है धारा, जो तुम सोच रही हो !!"
धारा ने देव की ओर देखा ! देव अपनी बात जारी रखते हुए बोला, " तुम्हारे मेडिकल कॉलेज के एक्स प्रोफेसर !! जो सेक्स स्केंडल में गिरफ्तार हुए थे !!"

धारा के चेहरे का रंग फीका पड़ गया ! क्योंकि जब धारा होस्टल में थी तब कई लड़कियों का डॉ मनन से अवैध संबंध है , ये बात वो सुन चुकी थी ! और कई लड़कियों को वो ब्लैकमेल भी करता था ये कहकर की, " एग्जाम में या तो फैल कर दूंगा या फिर कॉलेज से बाहर करवा दूंगा !!" इसके अलावा उनके पास लड़कियों के एमएमएस भी थे, जिनसे वो लड़कियो को अपने हवस का शिकार बनाया करते थे !!

धारा की बेस्ट फ्रेंड मीतू भी इसी का शिकार हुई थी और उसने सुसाइड कर लिया था ! पर मनन श्रीवास्तव की पॉलिटिक्स में भी काफी पहचान थी, ऊंचे ओहदे वालो तक पहुंच थी इस वजह से उनपर कोई डायरेक्ट एक्शन नही ले सका और केस को रैगिंग की वजह से सुसाइड करार देकर क्लोज कर दिया गया था !!


धारा को नफरत थी मनन श्रीवास्तव से ! यही तो वो शख्स था जिसकी वजह से उसका ध्रुव उससे दूर हुआ था !!
धारा को केस जैसा लगा रहा था वैसा था नही !! वास्तव में ये एक बहुत ही पेचीदा और उलझा हुआ केस था ! जिसमे कई हस्तियां एक दूसरे से कड़ी के रूप में जुड़ी हुई थी !! किसी एक पर भी अगर पुलिस की पकड़ बनती तो दूसरे तक पहुंचना आसान हो जाता ! इसलिए सब एकदूसरे को बचाते रहते थे !! और कोई पकड़ा ही नही गया कभी !
अगर कभी पकड़ा भी जाता तो सबूत के अभाव में रिहा हो जाता या फिर केस का रुख ही मोड़ दिया जाता पूरा !!
फिर वही सालों साल कोर्ट कचहरी के चक्कर !!

धारा के मेडिकल कॉलेज के लोगों के अलावा और भी कई लोग थे जो इस केस से जुड़े हुए थे !! इसलिए बहुत ही बारीकी और सावधानी से सबलोग मिलकर इस केस की इन्वेस्टिगेशन कर रहे थे !!!

अब तक इस केस के सिलसिले में जितने भी लोगो के हाथ अहम सबूत लगे हैं उनमे से कई तो गायब हो गए तो कितनो को ही मौत के घाट उतार दिया गया!! देव के पिता की मौत भी इसी वजह से हुई थी !!
अपने पिता के कातिल को ढूंढते हुए देव शायद उस शख्स के करीब पहुंच चुका था या उसके खिलाफ कोई सबूत उसके हाथ लग चुका था, और इसी कारण उसपर जानलेवा हमला किया गया था !!


डॉक्टर ने आकर देव को चेक किया ! "अब आप बिलकुल ठीक हैं देव !! आप जा सकते हैं घर !!"

देव, " थैंक यू डॉक्टर !!"


देव और धारा जाने के लिए बाहर निकले ही थे कि ध्रुव आ गया ! पहले ध्रुव ने आंखों पर चश्मा नही चढ़ाया हुआ था पर अबकी बार वो ब्लैक गॉगल्स लगाकर आया था ! शायद धारा की वजह से ! धारा बस उसकी आँखों मे ही झांकती रहती थी ! या यों कहें कि अपने लिए प्यार ढूंढती थी उसकी निगाहों में !।
धारा का इस तरह एकटक घूरना ध्रुव को बैचेन कर रहा था इसलिये अबकी बार वो चश्मा लगाकर आया था !!


देव ने कहा, " सर मैं आज ही आपको वो सारी फाइल्स और वो पेन ड्राइव लाकर देता हूँ, फिर आपको मुझपर विश्वास हो जाएगा !!"

ध्रुव, " बिल्कुल, वो फाइल्स और पेन ड्राइव तो आपको लाकर देना ही है पर आप अकेले घर नही जा सकते !!"

"देव, " सर, अकेले नही जा रहा हूँ, धारा है मेरे साथ !!"

ध्रुव , " आप समझ नही रहे हैं मेरी बातों का मतलब !! आपकी हेल्थ की वजह से नही कह रहा हूँ , आप पर विश्वास करना शायद घातक हो सकता है इसलिए कह रहा हूँ !! अब तक केस कभी का सॉल्व हो चुका होता पर आपकी वजह से नही हो पाया !!"


"इंसान कोमा में पड़ा हुआ था, बेहोन्शी में कहां से लेकर आता सबूत !!" धारा देव का पक्ष लेकर टोंट कसते हुये बोली।


ध्रुव को पसन्द नही आया धारा का देव को समर्थन करना, उसका पक्ष लेना इसलिए वो देव पर सख्ती दिखाते हुए बोला, " कोमा में आप सिर्फ छह महीने रहे हैं ! लेकिन होंश में आये आपको सालभर से ज्यादा हो चुका है !! अबतक आप चाहते तो यहां आकर अपनी हाज़िरी लगा चुके होते या वो सबूत देकर अपने निर्दोष होने का प्रमाण दे सकते थे पर आपने ऐसा कुछ नही किया ! इसलिए मैं खुद भी आपके साथ चलूंगा !!"


ध्रुव साथ चलेगा, सुनकर ही धारा का चेहरा खिल उठा !! लेकिन फिर उसने अपने आप को नार्मल किया और ऐसे दिखाने लगी जैसे ध्रुव के चलने न चलने से उसे कोई फर्क ही नही पड़ता हो !!

ध्रुव ने गाड़ी मंगवाई ! तीनो उसमे बैठकर निकल लिए ! ध्रुव आगे ड्राइवर के बगल वाली सीट पर जबकि धारा जस्ट ध्रुव के पीछे सीट पर और देव बगल में बैठे थे !
धारा मन ही मन बहुत खुश हो रही थी ध्रुव को अपने इतने करीब देखकर !! पर वो ये भी जानती थी कि ध्रुव सिर्फ दिखावे के लिए नार्मल होने की एक्टिंग कर रहा है !!! वरना जितनी नफरत वो उससे करता है, उस हिसाब से तो वो देखता भी नही धारा को !!

धारा ध्रुव को देख रही थी। उसने निचले होंठ को दांतों से दबाया और मन ही मन सोचने लगी, " पहले तो ये बन्दा सिर्फ गम्भीर था अब तो सख्त बन गया !! आसानी से नही पिघलने वाला !! इससे पहले की ये वापस तुझसे दूर हो जाये.... कुछ ना कुछ तो करना ही होगा !!"


कॉलोनी पहुंचते ही ध्रुव और देव कार से बाहर निकले!! धारा को कुछ सुझा ! कार से उतरते समय उसने जानबूझकर अपना पैर ऐसे रखा जैसे मुड़ गया हो या जानकर ही पैर मोड़ के रखा ! धारा चीख पड़ी ! देव घबराकर उसके पास आया और उससे पूछने लगा, " धारा...क्या हुआ तुम्हे ?? ठीक तो हो ना ..???"

धारा ध्रुव को देख रही थी और ध्रुव तो ऐसे बन रहा था जैसे उसे कोई फर्क ही ना पड़ा हो !! वास्तव में ही ध्रुव को कोई फर्क पड़ा भी नही ! क्योंकि धारा की रग रग स वाकिफ था वो !! और साथ ही सीबीआई का इंस्पेक्टर भी !! तो जाहिर था चेहरा देखकर ही बता सकता था इंसान सच बोल रहा है या झूठ !!

धारा, " धारा कराहते हुए बोली, " आह..देव बहुत दर्द हो रहा है !! शायद मोच आ गयी पैर में !!"

"तुम्हे सम्भलकर उतरना चाहिए था न ! कौन सी जल्दी हो रही थी !!" देव चिंता जाहिर करते हुए बोला !


धारा अपनी आवाज़ में थोड़ा दर्द लाते हुए, " देखकर ही उतर रही थी ! पता नही बैलेंस कैसे बिगड़ गया ??"

"बहुत दर्द हो रहा है..??" देव भी धारा का दर्द महसूस करते हुये बोला !

"हाँ...!!" धारा एकदम रोनी सूरत बनाकर बोली।

ध्रुव धारा और देव की नौटंको देखकर चिढ़ रहा था ! अपनी आवाज़ में थोड़ा गुस्सा डालते हुए ध्रुव ने देव से कहा, " मि देव.... जाकर फाइल्स और पेन ड्राइव लेकर आइए !! इतना समय नही है कि जाया करें !!"

देव धारा के प्रति चिंता जाहिर कर बोला,, " पर सर इसको चोट लगी है !! दर्द में अकेले छोड़कर कैसे जा सकता हूँ..??"

ध्रुव, "हल्की सी मोच आई है, हड्डी नही टूट गयी कि बर्दाश्त नही कर पाएंगी ये !!! सहनशील होना चाहिए व्यक्ति को !! और डॉक्टर है .... ध्यान रख लेंगी !!"

"आपको कैसे पता ये डॉक्टर है..?? मैंने तो बताया ही नही कभी ...??" देव ने हैरानी जताई।

ध्रुव हड़बड़ा गया ! फिर सम्भलकर बात बदलते हुए बोला , " मैंने इनको डॉक्टर नही कहा है !! मेरा मतलब था कि डॉक्टर है उनको दिखा लेना वो दवाई दे देंगी और ध्यान भी रख लेंगी !!"

देव, " ओह !!"


ध्रुव, " अब जल्दी जाइये !"

देव घर मे गया और कुछ फाइल्स के साथ बाहर आया ! फिर सीधे मंदिर गया और पंडित जी से वो पेन ड्राइव लेकर आया !!



ध्रुव ने देव से सब चीज़े ले और वापस ऑफिस निकल गया ! लेकिन जाने से पहले देव को वार्निंग दी कि , " अगर इन फाइल्स या पेन ड्राइव में कुछ भी गड़बड़ निकली तो कार्यवाही के लिए तैयार रहना देव !! तुमने वैसे ही इतने समय तक सबसे छुपकर अपने लिए बहुत बड़ी समस्या खड़ी कर ली है !!"


ध्रुव चला गया ! जबतक उसकी कार आंखों से ओझल नही हो गई तबतक धारा उसे जाते देखती रही !!

देव ने कहा, " अंदर चलें ??"

धारा ने हाँ में सिर हिलाया और चल दी ! देव को आश्चर्य हुआ ! उसने धारा को टोका , "तुम्हारी मोच ठीक हो गयी ??"

धारा ने दांतो के बीच जीभ दबा ली ! और झूठ का मुस्कुराते हुए बोली, " वो तो... उस अकड़ू के सामने नाटक कर रही थी !!"


"अकड़ू मत बोलो ! बहुत ही तेज़ चलता है उनका दिमाग !! तुम्हारी सोच से भी आगे !!" देव ध्रुव की तारीफ करते हुए बोला! जिसे सुनकर धारा को। भी बहुत गर्व हुआ !

दोनो जब घर मे पहुंचे तो देव ने कहा , " तुम बैठो में मूव का स्प्रे कर देता हूँ पैरों में ! रिलीफ मिलेगा तुम्हे !!"


देव को अपनी यू चिंता करते देख धारा को बुरा लग रहा था ! अब धारा के दिल मे एक कश्मकश बढ़ गयी थी कि देव को।ध्रुव के बारे में अभी बता दे या थोड़ा समय ले उसे नॉर्मल होने में !!"




ध्रुव वो सीडी, फाइल्स और पेन ड्राइव लेकर अपने घर पहुंचता है !! उसका घर जो कि एक शासकीय आवास था! केस सॉल्व होने तक के लिए उसे दिया गया था !! घर।पहुंचकर ध्रुव सबसे पहले अपना कोट उतारकर हेंगर पर टांगता है और आईने के सामने खड़े होकर टाई खोलते हुए खुद को देखने लगता है !!!

अपनी टाई को खोलकर उसने बेड पर फेंका और आईने को देखते हुए खुद से ही बात करने लगा, " धारा, धारा, धारा....!! बहुत ढूंढा था मैंने तुम्हें अपने सवालो का जवाब देने के लिए !! पर तुम मिली ही नही !! मिलती भी कैसे..... तुम्हे तो कोई और पसन्द आ गया था !!"

ध्रुव आंखे बंद कर अपने अतीत के घटनाक्रम को याद करने लगता है !! जब वो धारा को प्रोपोज़ करने जाता है मगर वहां के हालात देख उल्टे पैर वापस लौट आता है !!

ध्रुव शॉवर लेते हुए भी धारा के बारे में ही सोचता है !! "बहुत गलत किया तुमने मुझे धोखा देकर धारा !! माफी तो तुम्हे मरते दम तक नही मिलने वाली ! कभी नही !!"



धारा बैठकर ध्रुव और देव के बारे में सोच रही थी !! देव की लाइफ में दिव्या पहले से ही थी !! धारा ने सोचा कि देव से किसी तरह दिव्या का पता लगवाया जाए ताकि वो यहा आकर देव को सम्भाल सके !! अगर वो देव से दिव्या का कॉन्टेक्ट डायरेक्ट मांगती है तो शायद देव बहाना बना जाए, इसलिए कोई तिकड़म भिड़ाकर दिव्या की डिटेल्स लेना होगा !!!




ध्रुव नहाकर आया ! उसने चाय बनाकर लाने को कहा ! बारिश का मौसम लग रहा था ! अचानक ही मौसम ने करवट ले ली थी ! थोड़ी ही देर में चाय आ गयी ! ध्रुव ने चाय का कप उठाया और बालकनी में खड़े होकर चाय की चुस्की लेते हुए बोला, " तुम्हे क्या लगता है धारा..?? देव को तुम लेकर गयी थी अपने साथ ?? देव के मिलने से लेकर उसके ठीक होने तक, इंदौर से लेकर देहरादून आने तक सबकुछ तुम्हारी मर्ज़ी से हो रहा है...???
"नही डॉक्टर धारा, बिल्कुल नही !! देव का तुम्हे मिलना कोई इत्तेफाक नही था !! उस दिन तुम उस हॉस्पिटल में आई नही बुलाई गई थी !! जानबूझकर तुम्हे देव के पास ले जाया गया !
फिर तुम्हारा देव को अपने साथ लेकर जाना, उसे अपने हॉस्पिटल में शिफ्ट कराना! सबकुछ मेरी मर्ज़ी से हो रहा था !! अगर देव किसी ओर के हाथ लग जाता तो ना जाने कितने दोषी आज़ाद हो जाएंगे !! कितने ही अहम सबूत हैं उसके पास ....! लेकिन देव इतनी आसानी से वो सबूत किसी को नही देने वाला !! पर मैं भी लेकर ही रहूंगा !!"
"देव, अगर तुम उस दिन मर जाते तो मेरा संकल्प अधूरा रह जाता !! मेरा वो वादा अधूरा रह जाता जो किसी ने मरते वक्त मुझसे लिया था !!"




जारी.......


(JP)

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