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सवा का महीन था। चारों तरफ हरी चादर पेड़ पौधों को ढके हुए थी । आकाश में काली घटाए...
एपिसोड 1: खामोश पेंटिंग की पहली साँसपुरानी गली की वह कला-दुकान हमेशा की तरह उस श...
विशाल, अथाह समुद्र के बीचों-बीच एक आलीशान-सी क्रूज़ लहरों से जूझ रही थी। चारों ओ...
1.माया-जाल में फंसे नारदएक बार नारद जी को यह अभिमान हो गया कि उनसे बढ़कर इस पृथ्...
1 एक बुद्धिमान मनुष्य था, बड़े काम करने वाला मनुष्य था, और प्रभु ने उसके प्रति प...
सुबह के चार बजे थे। बाहर अभी भी गहरा अंधेरा छाया हुआ था, और पूरा मोहल्ला गहरी नी...
मुंबई शहर के एक कोर्ट में एक लड़की रजिस्ट्रार के कमरे के बाहर बैठी थी। तभी कमरे...
चाहत की खुशियों का संसार तब बिखर गया जब उसकी शादी के दिन ही वह विधवा हो गई। चाहत...
तीस साल की दिव्या, श्वेत साड़ी में लिपटी एक ऐसी लड़की, जिसके कदमों में घुंघरू थे,...
इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है इसका किसी जीवित, जंतु, मानव संसाधन से कोई लेना...
अशोक कहता है ----->" ये पैरो मे चोट और कल तुम कहां गयी थी , दामाद जी से पूछा तो उन्होने कहा के तुम अपने दोस्तो के साथ बाहर गयी हो । पर मैं जानता हूँ के तुम्हारे ऐसे कोई दोस्त है ही...
विरोधापभाष कम होता प्रतीत नहीं हो रहा था, बल्कि बढ़ता ही जा रहा था। बाहर का विरोधाभाष होता तो स्नेहा उन बातों पर बिल्कूल भी ध्यान नहीं देती और खुद को एक कमरे में बंद करके अपने का...
[23]“शैल जी, मृतदेह के विषय में कुछ ज्ञात हुआ क्या?”“क्या ज्ञात करना चाहती हो?”“यही कि वह व्यक्ति कौन थी? किस देश परदेश की थी? क्या आयु होगी? आदि।”“आयु का भी अनुमान नहीं लगा सका पो...
“पहली छुट्टी… और परिवार का नया सपना” के बाद की सुबह कुछ अलग थी।हवा हल्की थी, सूरज नरम…और घर में पहली बार कोई अलार्म नहीं बजा।आयुष देर तक सोया रहा—न यूनिफॉर्म, न बूट,बस एक आम-सा इं...
Part .1 गाँव की सुबह हमेशा की तरह शांत थी। हल्की धूप खेतों पर फैल रही थी, हवा में मिट्टी की सोंधी खुशबू घुली हुई थी। वह उसी गाँव में पला-बढ़ा था, सयुग जहाँ हर कोई एक-दूसरे को नाम...
दिव्या की ट्रेन नई पोस्टिंग की ओर बढ़ रही थी। अगला जिला—एक छोटा-सा पहाड़ी इलाका, जहां सड़कें संकरी थीं और हवा में चीड़ की ताजगी भरी खुशबू। प्रोबेशन का दूसरा चरण। रेस्ट हाउस यहां भी...
जंगल अब पहले जैसा नहीं रहा था। जहाँ कभी राख और सन्नाटा था, वहाँ फिर से हरियाली लौट आई थी। नई बेलें पुराने पेड़ों से लिपट गई थीं, पक्षियों की आवाज़ें सुबह को जगाने लगी थीं और नदी का...
एपिसोड 52 — “हवेली का प्रेत और रक्षक रूह का जागना”(सीरीज़: अधूरी किताब)️ 1. हवा फटी — और हमला शुरू हुआकाली रूह ने जैसे ही चीखकर अपना रूप फैलाया,हवेली की नीली रेखाएँ काली पड़ने लगीं...
मुंबई 2099 – डुप्लीकेट कमिश्नररात का समय। मरीन ड्राइव की पुरानी सुरंग वीरान थी। हवा में नमी और अजीब सा सन्नाटा।कमिश्नर अरुण देशमुख जैसे ही आगे बढ़े, अचानक उनकी नज़र पास पड़े एक पत्...
भूल-87 ‘सिक्युलरिज्म’ बनाम सोमनाथ मंदिर (जूनागढ़ के लिए कृपया भूल#31 पढ़ें। सोमनाथ और गजनी के महमूद के लिए भूल#92, 93 देखें) सोमनाथ मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के काठियावाड़ के...
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