सामाजिक कहानियां कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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वह आखिरी पल - भाग -2 By Ratna Pandey

एक दिन अचानक प्रतीक के चचेरे भाई विमल का फ़ोन आया। विमल ने प्रतीक को बताते हुए कहा, "प्रतीक यार तुम्हारी भाभी की बुआ के लड़के को अपने किसी काम से तुम्हारे शहर इटारसी आना है। वह केव...

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सर्कस - 14 By Madhavi Marathe

                                                                                          सर्कस : १४             सुबह हो गई। अपना रोज का काम खतम करने के बाद मैं बाहर आ गया। नहाने क...

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कंचन मृग - 39. हम कला बेचते नहीं By Dr. Suryapal Singh

39. हम कला बेचते नहीं- महोत्सव में भी युद्ध की तैयारियाँ चल रही थीं। सेनाओं का अभ्यास, प्रशिक्षण निरन्तर चलता रहा। रोहित को तो एक क्षण का भी अवकाश नहीं था। शस्त्रों का निर्माण उसी...

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उजाले की ओर –संस्मरण By Pranava Bharti

उजाले की ओर  ===========     स्नेहिल नमस्कार मित्रो        इस ऋतु में जब मौसम ने चारों ओर हाहाकार की...

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श्रृंगार या संघर्ष By Rakesh Rakesh

“क्यों डांट रहे थे तेरे बड़े भैया।” वृंदा पूछती है?“यह मेरे भाई नहीं मेरे चाचा है, कह रहे थे कल आदित्य भैया की बारात में महिलाएं लड़कियां नहीं जाएंगी।” अनुपम बताती है “देखने में तो...

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काबा जाए कि काशी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

पंडित धर्मराज के तीन बेटे हिमाशु ,देवांशु ,प्रियांशु थे तीनो भाईयों में आपसी प्यार और तालमेल था पुरे गाँव वाले पंडित जी के बेटो के गुणों संस्कारो का बखान करते नहीं थकते । पंडित जी...

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मृगमरीचिका By sudha jugran

“मृगमरीचिका”‘वह‘ रवीना को रोज मॉर्निंग वॉक के समय दिखती। दिखती क्या...उसे देखने की आदत ही पड़ गई थी। उसका दिखना, रवीना की मॉर्निंग वॉक का एक हिस्सा बन गया था। वह जैसे ही मुख्य सड़क स...

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एक परिवार ऐसा भी.... By Piyunshi Thakur

ये कहानी नहीं एक सच्ची कहानी है. हम ये नही कहेंगे की ये कोई बनाई हुए बात है.....एक लड़की बो जो अकेली थी पूरे परिवार के होते हुए भी...और एक बो जो अपने परिवार और अपनो के साथ थी....अन...

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सच्चा मित्र By DINESH KUMAR KEER

सच्चा मित्रएक गाँव में एक व्यापारी अपनी पत्नी और बारह साल के बेटे, अनीश के साथ बहुत खुशी - खुशी रहता था। व्यापारी के कारोबार में दिन - रात तरक्की होती थी। अनीश इकलौती सन्तान होने क...

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बन्धन प्यार का - 25 By Kishanlal Sharma

फिर उसे अपने दूसरे शौहर से तलाक लेकर वह पहले शौहर से फिर से निकाह कर सकती है।बहुत से मौलवी और लोग केवल हलाला के लिए तैयार रहते हैं।और इस तरह नई नई औरतों कातीन तलाक कानूनी रूप से गल...

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सन्यासी का सत तप By नंदलाल मणि त्रिपाठी

सन्यासी का सत्य तप -- गोकुल खानाबदोश परिवार में जन्मा था जिसके समाज के लोग मन मर्जी के अनुसार जहां अच्छा लगा वहीं डेरा जमा लिया कुछ दिन रहे मन उबा तो दूसरी जगह चल दिए यही जिंदगी थी...

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शोहरत का घमंड - 67 By shama parveen

अबीर आलिया से बोलता है, "ये यहां पर क्या कर रहा है"।तब आलिया बोलती है, "मुझे घर छोड़ने के लिए आया है"।तब अबीर बोलता है, "मगर तुम तो शाम को आ जाती थी तो फिर आज इतना देर कैसे हो गया"...

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वोट करने जाना है, अपना फर्ज निभाना है ! By H M Writter0

चुनाव: वोट करने का महत्व( "वोट करने जाना है, अपना फर्ज निभाना है!") एक छोटे से गाँव में, एक साधारण आदमी साहिल रहता था। साहिल की जिंदगी में पहली बार चुनाव की प्रक्रिया में शामिल होन...

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आधुनिक बहू, परंपरा का सम्मान By H M Writter0

रिया, एक तेजतर्रार ग्राफिक डिज़ाइनर, हमेशा से ही अपनी शर्तों पर जीने में विश्वास रखती थी। शादी के बाद, ससुराल आना उसके लिए एक नया अनुभव था। रिया की सासूजी, शांतिदेवी, एक सख्त परंपर...

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यूँ ही सफर में By Arvend Kumar Srivastava

“मैं सोचता हूँ कि अब इस घर को बेच दूँ।“राघव (राघवेन्द् ) ने अपने कमरे की खिड़की से बाहर खुले आसमान की ओर बहुत दूर तक देखते हुए कहा। अगले ही पल राघवेन्द्र ने अपनी दृष्टि को दूर आसमान...

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हरसिंगार By Bharati babbar

डॉक्टर के चले जाने के बाद भी आभा देर तक बरामदे में ही बैठी रही।मेज़ पर चाय की जूठी प्यालियों के नीचे मेडिकल रिपोर्ट के पन्ने फड़फड़ाते रहे।कमरे से टीवी चलने की आवाज़ आ रही थी लेकिन आभा...

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कलयुग के श्रवण कुमार - 9 By संदीप सिंह (ईशू)

कलयुग के श्रवण कुमार........ मनोहर ने मुरली से पूछा था- "क्या हो गया था मुरली ।" कुछ नही मनोहर काका.. (सुबकते हुये) मैं खेत से लौटा था, तबियत ठीक नही लग रही थी बुखार था कल दोपहर से...

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वह आखिरी पल - भाग -2 By Ratna Pandey

एक दिन अचानक प्रतीक के चचेरे भाई विमल का फ़ोन आया। विमल ने प्रतीक को बताते हुए कहा, "प्रतीक यार तुम्हारी भाभी की बुआ के लड़के को अपने किसी काम से तुम्हारे शहर इटारसी आना है। वह केव...

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सर्कस - 14 By Madhavi Marathe

                                                                                          सर्कस : १४             सुबह हो गई। अपना रोज का काम खतम करने के बाद मैं बाहर आ गया। नहाने क...

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कंचन मृग - 39. हम कला बेचते नहीं By Dr. Suryapal Singh

39. हम कला बेचते नहीं- महोत्सव में भी युद्ध की तैयारियाँ चल रही थीं। सेनाओं का अभ्यास, प्रशिक्षण निरन्तर चलता रहा। रोहित को तो एक क्षण का भी अवकाश नहीं था। शस्त्रों का निर्माण उसी...

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काबा जाए कि काशी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

पंडित धर्मराज के तीन बेटे हिमाशु ,देवांशु ,प्रियांशु थे तीनो भाईयों में आपसी प्यार और तालमेल था पुरे गाँव वाले पंडित जी के बेटो के गुणों संस्कारो का बखान करते नहीं थकते । पंडित जी...

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मृगमरीचिका By sudha jugran

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सच्चा मित्र By DINESH KUMAR KEER

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सन्यासी का सत तप By नंदलाल मणि त्रिपाठी

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शोहरत का घमंड - 67 By shama parveen

अबीर आलिया से बोलता है, "ये यहां पर क्या कर रहा है"।तब आलिया बोलती है, "मुझे घर छोड़ने के लिए आया है"।तब अबीर बोलता है, "मगर तुम तो शाम को आ जाती थी तो फिर आज इतना देर कैसे हो गया"...

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हरसिंगार By Bharati babbar

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कलयुग के श्रवण कुमार - 9 By संदीप सिंह (ईशू)

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