खामोश चाहतें - पार्ट 3 R. B. Chavda द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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खामोश चाहतें - पार्ट 3

रात का सन्नाटा हमेशा एक अजीब सा सुकून लेकर आता है। जैसे पूरी दुनिया ठहर गई हो, और सिर्फ दिल की आवाज़ें बची हों। उन्हीं आवाज़ों में कहीं एक सवाल गूंजता है – मेरा मन क्यूँ तुम्हें चाहता है? इसका जवाब आज तक मैं ढूँढ़ नहीं पाई हूँ। पर एक बात पक्की है – ये चाहतें सिर्फ मेरी हैं। खामोश, मगर दिल से निकली हुईं।

पहली बार जब मैंने तुम्हें देखा था, तो कुछ अजीब सा महसूस हुआ था। वो दिन अब भी याद है, जैसे कल की ही बात हो। तुम अपने काम में व्यस्त थे, और मैं बस तुम्हें देखती रह गई थी। तुम्हारी मुस्कान में एक सादगी थी, जो मुझे खींच रही थी। तुम्हारी आँखों में एक गहराई थी, जिसमें मैं डूब जाना चाहती थी। पर उस वक्त मैं ये समझ नहीं पाई थी कि ये सिर्फ एक पल नहीं, बल्कि मेरी जिंदगी का हिस्सा बनने जा रहा है।

वो हर मुलाकात, वो हर नजर, तुम्हारी हर बात – सब मेरे दिल में बसी हुई है। लेकिन फिर भी, मैंने कभी अपनी भावनाओं को बयां नहीं किया। शायद इसलिए क्योंकि मैं डरती थी। डर इस बात का नहीं था कि तुम मना कर दोगे, बल्कि इस बात का था कि अगर मैंने तुम्हें बता दिया और तुमने मुझसे दूरी बना ली, तो मैं खुद को कैसे संभालूँगी? मेरी खामोश चाहतें मेरा सहारा थीं, और मैं इन्हें खोना नहीं चाहती थी।

साल बीत गए। तुमसे मिले हुए अरसा हो गया। तुम्हारा चेहरा अब धुंधला पड़ने लगा है, लेकिन तुम्हारी यादें आज भी ताजा हैं। तुम्हारी मुस्कान, तुम्हारी बातें, और तुम्हारा सुकून भरा चेहरा – ये सब मेरी जिंदगी का हिस्सा बन चुके हैं। मैं हर दिन तुम्हारे बारे में सोचती हूँ। कभी-कभी ख्याल आता है कि अगर तुम्हें मेरी भावनाओं का पता चल जाता, तो क्या तुम भी कुछ महसूस करते? लेकिन फिर खुद को समझा लेती हूँ कि ये ख्याल ही सही है।

तुम्हें चाहना मेरे लिए सांस लेने जैसा है – जरूरी, मगर बिना किसी शोर के। मेरी दुआओं में हर बार तुम्हारा नाम होता है। मैं जानती हूँ कि तुम्हें इसकी कभी खबर नहीं होगी, लेकिन फिर भी, तुम्हारे लिए दुआ करना मेरे लिए सुकून की बात है।

कभी-कभी मैं आसमान की तरफ देखती हूँ। वो चाँद मुझे उसकी याद दिलाता है। चाँद को देखना अच्छा लगता है, लेकिन उसे छू नहीं सकती। ठीक उसी तरह, मैं उसे चाह सकती हूँ, लेकिन उसकी जिंदगी का हिस्सा नहीं बन सकती। ये ख्याल दिल को तोड़ देता है, लेकिन फिर भी मैं उसकी मुस्कुराहट की खैरियत चाहती हूँ।चाँद को देखना सुकून देता है, लेकिन उसे छूना नामुमकिन है। तुम भी मेरे लिए उसी चाँद की तरह हो – खूबसूरत, रोशन, और हमेशा मेरी पहुँच से दूर।

कई बार सोचती हूँ, अगर मैं तुम्हारे सामने होती, तो क्या मैं अपनी बात कह पाती? शायद नहीं। मेरे दिल का डर अब भी मेरे साथ है। लेकिन अब मैं इसे एक बोझ की तरह नहीं, बल्कि अपनी ताकत की तरह देखती हूँ। मेरी खामोश चाहतें मेरे अंदर बसती हैं, और इन्हें शब्दों की जरूरत नहीं।

प्यार का मतलब हमेशा पाना नहीं होता। कभी-कभी सिर्फ चाहना ही काफी होता है। तुम्हारी खुशी, तुम्हारा सुकून – यही मेरी सबसे बड़ी दुआ है। मैं जानती हूँ कि तुम्हें मेरे बारे में कभी पता नहीं चलेगा, और शायद यही बेहतर है।

अब मैंने अपनी ख्वाहिशों को खामोश करना सीख लिया है। मैं जानती हूँ कि ये अधूरी कहानी है, लेकिन हर कहानी को पूरा होना जरूरी नहीं। कुछ कहानियाँ अधूरी रहकर ही खूबसूरत होती हैं। मेरी खामोश चाहतें भी ऐसी ही हैं।

"तुम्हारी यादें, तुम्हारी बातें, और तुम्हारी मुस्कान – ये सब मेरे दिल में हमेशा जिंदा रहेंगी। मैं तुम्हारे बिना भी जीना सीख रही हूँ, क्योंकि मैंने ये समझ लिया है कि तुम्हारा होना मेरी जिंदगी को सुकून देता है, भले ही तुम्हारे साथ होना मेरी तकदीर में नहीं।"

"प्यार जबरदस्ती नहीं किया जा सकता।
ये दिल का वो रिश्ता है, जो बिना शब्दों के भी गहरा होता है।
तुम मेरे नहीं हो, फिर भी मेरे हो।
क्योंकि मेरी खामोश चाहतें सिर्फ तुम्हारे लिए हैं – बिना किसी शर्त, बिना किसी उम्मीद के।"
कहते हैं, कुछ मोहब्बतें खामोश रहकर ही मुकम्मल होती हैं। मेरी ये चाहतें भी वैसी ही हैं – बिना किसी शोर के, दिल के किसी कोने में सजीव।
शायद इस चाहत को नाम देने की जरूरत नहीं, ये बिना कहे ही बहुत कुछ कह जाती है।
तुमसे जुड़ी मेरी हर ख्वाहिश अधूरी ही सही, पर मेरी जिंदगी को एक सुकून दे गई।
मैं जानती हूँ, ये खामोश चाहतें तुम्हें कभी छू नहीं पाएंगी, लेकिन मेरे दिल में हमेशा यूं ही रहेंगी – बिना किसी उम्मीद के, सिर्फ तुम्हारे लिए!!"