प्यार बेशुमार - भाग 9 Aarushi Thakur द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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प्यार बेशुमार - भाग 9

अब आगे,

सीरत अभी टेरेस पर जाने ही वाली थी की उसे पियानो की आवाज आई । वो अभी इस वक़्त तीसरी मंजिल पर थी सढ़ियों के दूसरी तरफ मुड़ कर एक बड़ा सा हॉल था जिसे शीशे का वाल लगा हुआ था पर वो फुल्ली कवर था अंदर की और पर्दे ब्लैक और क्रीम कलर के लगे हुए थे ।

सीरत ने अपने कदम उस तरफ बढ़ा दिए दरवाजे को साइड किया और अंदर आ गयी । अंदर लाइट की हल्की हलकी रौशनी थी । एक साइड दिवार पर बड़ी सी पेंटिंग लगी हुई थी । उसी के दूसरी साइड दिवार से लग कर बुक सेल्फ बने हुए थे । खिड़की के पास एक बड़ा सा ब्लैक एंड वाइट कलर का पियानो था जिसपे एक लड़का पियानो बजा रहा था इसकी पीठ सीरत की और थी जिसके कारण उसने सीरत को आते हुए नहीं देखा । सीरत उसके पास आकर खड़ी हो गयी ।

नितिन को जब आभास हुआ की उसके पास कोई खड़ा है तो उसने अपना सर उठा ले सीरत को देखा और कहा, "तुम यहाँ? सोइ नहीं अभी तक? "
सीरत ने कहा, " आप भी तो नहीं सोये  एंड  मुझे वैसे भी नींद नहीं आ रही थी । तो सोचा की टेर्रेस पर चली जाऊ फिर यहाँ आवाज आयी तो यही आ गयी ।"

नितिन मुस्कुराया फिर उठ कर उसके करीब होते हुए  सीरत के चेहरे को देख रहा था । फिर नितिन ने अपना हाथ आगे बढ़ा सीरत के चेहरे पर आते बाल की एक लट को उसके कान के पीछे करते हुए बोला, " ओह तो तुम्हे नींद नहीं आयी क्या तुम्हे मेरी याद आरही थी । " 
सीरत ने जैसे ही ये सुना उनकी आंखे छोटी हो गयी और नितिन का हाथ झटका फिर वहां से बिना कुछ कहे जाने लगी ।

नितिन ने उसके पलटते जल्दी से उसका हाथ पकड़ा और अपने पास कुछ लिया इस वक़्त सीरत की पीठ नितिन की सीने से लगी हुई थी । नितिन ने उसके कान के पास आकर कहा, " जा कर सो जाना यहां वहां मत भटकना । "
"आप मुझे टीज़ कर रहे हो,, आप चाहते ही हो की मै आपसे फिर लड़ाई करू?," सीरत ने चिढ़ते हुए कहा ।
"नहीं,  मै तो चाहता हूँ की......., " फिर अपनी बात को पलटते हुए, " बस तुम्हारा ख्याल रख रहा हू ", नितिन ने उसको अपनी तरफ घुमाते हुए कहा ।
" हं... इसे ख्याल रखना कहते है  कौन से एंगेल से ,, " सीरत ने घूम कर उसे देखते हुए कहा ।
" हाँ तुम्हे टाइम पर सोने को कहना ख्याल रखना ही है ना, " नितिन ने फ्लर्ट करते हुए कहा ।
" हाँ,, पर आपको जरूरत नही मेरा ख्याल रखने की । मै खुद रख लुंगी हटिए  और वैसे भी मेरा ख्याल रखने को बहुत से लोग है , " सीरत ने उसे पुश करते हुए कहा ।
नितिन ने उसका हाथ पकड़ लिया जो की नितिन के सीने पे थे और करीब होते हुए ,, " आर यू सेडुसिंग मी । "
" हे.... ... कुछ भी ,, " सीरत ने नितिन को हल्का धका दिया और वहां से बाहर आ गयी  ।


सीरत के बाहर जाते, "नितिन ने खुद मे कहा, वैसे मै हो रहा था । पर.... कैसे कहे मिस भारद्वाज की आप हमारे लिए क्या है । ये कह वह खुद मे मिस्कुराया और वाहा से अपने रूम मे चले गया ।" 

"ये समझते क्या है अपने आप को जब देखो, हूं... ",सीरत ने मुँह बनाया और आंखे बंद कर सोने लगी  सहसा ही नितिन का करीब आना याद आगया  और " आंखे फिर से खुल गयी  ओह सीरत ये इंसान तो पागल कर देगा तुझे  सोने ही नहीं दे रहे  । " 


अगली सुबह,
सब तैयार हो कर निचे हॉल मे थे बस नितिन को छोड़ कर । सीरत घर जाने को तैयार थी । नितिन सढ़ियों से निचे आ रहा होता है तभी । "नितिन बेटा तुम ऑफिस जा रहे हो तो, सीरत को घर छोड़ आओ", ममता जी ने नितिन से कहा ।

नितिन ने हामी भर दी । फिर सभी ने नाश्ता किया और सीरत नितिन के साथ घर से जाने लगी । काव्या ने कहा, "ओके कॉलेज मे मिलते है बाय ।" सीरत ने उसे बाय किया और ममता जी और सुरेश जी से मिल कर नितिन के साथ आकर कार मे बैठ गयी । नितिन ड्राइविंग सीट पर बैठा था और सिरता उसके बगल मे पैसेंजर सीट पर बैठी थी । 

नितिन ने एक नजर सीरत की और देखा फिर कार आगे बढ़ा दी । दोनों ने एक दूसरे से कोई बात नहीं की कार मे एक दम शांति सी छायी हुई थी । नितिन ने उस शांती को तोड़ने के लिए कार मे गाने चला देता हुई ।
कार मे गाना बजा,

निगाहों में देखो मेरी जो है बस गया
वो है मिलता तुमसे हू-ब-हू
ओ, जाने तेरी आँखें थीं या बातें थीं वजह
हुए तुम जो दिल की आरज़ू
तुम पास होके भी, तुम आस होके भी
एहसास होके भी अपने नहीं

गाने के बोल जैसे नितिन के दिल का हाल हो उसने सीरत की और देखा जो इस वक़्त उस गाने को सुन रही होती है और बाहर देख रही होती है । नितिन ने उसे एक पल देख फिर अपनी नजर सामने की और कर गाड़ी चला रहा था  

ऐसे हैं हमको गिले तुमसे ना जाने क्यूँ
मीलों के हैं फ़ासले तुमसे ना जाने क्यूँ
तू जाने ना, तू जाने ना
तू जाने ना, तू जाने ना
हो, जाने ना, जाने ना, जाने ना
हाँ, तू जाने ना


"पागल लड़की, " नितिन ने फिर से मन मे बोला और मुस्कुरा दिया ।

कैसे बताएँ क्यूँ तुझको चाहें?
यारा, बता ना पाएँ
बातें दिलों की देखो जो बाक़ी
आँखें तुझे समझाएँ


तू जाने ना, तू जाने ना
तू जाने ना, तू जाने ना, तू जाने ना
तू जाने ना, तू जाने ना


सीरत ने सर नितिन की और घुमा कर कहा, " कितना अच्छा गाना है ना "
"हाँ, पर तुम समझी कहा " नितिन ने कहा ।
"नहीं मुझे समझ आया , " सीरत ने कहा ।
"अच्छा क्या समझ आया ", नितिन ने सीरत की और देखते हुए कहा ।
"यही की लड़का, लड़की से प्यार करता है और लड़की उसकी फीलिंग्स को नहीं समझ रही", सीरत ने कहा ।
नितिन फिर मुस्कुराया और बोला , "जैसे तुम , पागल लड़की ।" और समाने देख कार चलाने लगा ।
सिरता ने गुस्से मे कहा,"  गाड़ी रोकिये । "
"क्यों घर आ गया तुम्हारा? " नितिन ने कहा ।
"आप गाड़ी रोकिये, " सीरत ने कहा तो नितिन ने साइड कर कार रोकी ।
सीरत कार से उतरने लगी तो नितिन ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा, " अब क्या हुआ तुम्हे । "

"आपको मतलब,  आप तो मुझे पागल समझते हो हर वक्त,  हटिए जाने दीजिए, " सीरत ने हाथ हटाते हुए कहा  ।
"ऐसे कैसे बिच रास्ते छोड़ दू । और अगर छोड़ा तो तुम काव्या को बताओगी , फिर वो माँ को बताएगी तो मुझे डांट पड़ेगी तो ऐसे बिच रास्ते नहीं छोड़ सकता ", नितिन ने उसका हाथ पकड़े हुए ही कहा ।

" हाँ तो जैसे आपको बड़ा फर्क पड़ता है ,, " सीरत ने हाथ छुड़वाते हुए कहा ।

आगे जानने के लिए पढ़ते रहिये " प्यार बेशुमार  "
आज के लिए अलविदा 🙏
मिलते है अगले भाग मे ,
प्रणाम  🙏
~ आरुषि ठाकुर  ✍️