मोहिनी ( प्यास डायन की ) - 4 Shalini Chaudhary द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मोहिनी ( प्यास डायन की ) - 4

जय श्री कृष्णा 🙏

ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने,

प्रणतः क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।


चंद्रा का कमरा,


चंद्रा, वैशाली, और तारा तीनो फर्श पर ही बैठे थे।और उनके सामने तीन चार किताबे रखी थी, तीनो उसे पढ़ने में लगी हुई थी। वातावरण बिल्कुल शांत था, कमरे की घड़ी दस बजा रही थी, घड़ी से सुईयों के चलने की आवाज साफ तौर पर सुनाई पर रही थी, तीनो ही अपने पुस्तकों में गुम किसी और ही दुनिया की सैर कर रही थी, एक ऐसी दुनिया जहां शक्तियों और साधनाओं का जहान है, जहां भक्ति और परिश्रम की बात थी,जहां सांसारिक द्वेष के परे आध्यात्मिकता की बात थी, अभी तीनो गुम ही थी की तभी दरवाजा खट खटाने की आवाज आती है।

" ठक ठक, ठक ठक......" आवाज सुन तीनो हड़बड़ा जाती है।

चंद्रा ( किताबों को समेटते हुए ) " तारा जा जाकर दरवाजा खोल, देख तो कौन है ? " 

वैशाली " पहले किताब छिपाओ, अगर इस तरह  की किताब किसी ने देख ली हमारे पास तो कहर बरपेगा "

तारा " शायद रानी सा हो "

तभी फिर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है। ठक ठक, ठक ठक... तीनों मिलकर सारी किताबो को संदूक में बंद कर देते है, तारा दौड़ कर दरवाजा खोल देती है, दरवाजे पर गायत्री जी हाथ में एक थाल पकड़े हुए थी, जिसमे चार रसगुल्लों से भरी कटोरियां थी।

तारा " अरे रानी सा आप कुछ काम था ? " 

गायत्री जी ( अंदर आते हुए ) "कुछ काम तो नही था, मैं यहां से गुजर रही थी तो बत्ती जलती देखी तो बस समझ गई की मेरी गुड़िया रानी सब सोई नही है,तभी मुझे याद आया की मैने आज ही महा लक्ष्मी मिष्ठान भंडार से मिठाइयां मंगाई थी सोचा खा भी लेंगे और ढेर सारी बातें भी कर लेंगे "

वैशाली (खुश होते हुए ) " अरे वाह रानी सा आप बोहोत अच्छी है "

फिर सब मिठाई खाते खाते बाते करने लगते है, उधर मालती दुबारा से वीरेंद्र से बात करने की कोशिश करती है पर कोई फायदा नही होता, वीरेंद्र उसकी तरफ ध्यान तक नही देता, जिस वजह से उसका गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था।

मालती ( दांत पीसते हुए ) " चंद्रा ये तूने बहुत गलत किया तुझे मैं नही छोडूंगी, बिल्कुल नही " 

वो इस वक्त पागल लग रही थी। वहीं चंद्रा के कमरे में सब अभी भी बाते कर रहे थे हस रहे थे वहा का माहौल बिल्कुल खुशनुमा था। तभी गायत्री जी की नजर घड़ी पर जाती है।

गायत्री जी " अरे बच्चियों देखो ग्यारह बज गए सो जाओ अब सब हम्म..,मैं भी जाती हूं सोने, सब हां में सर हिला देते है ।" 

गायत्री जी चली जाती है गायत्री जी के जाने के बाद भी वो तीनो थोरी देर तक बात करती है मस्ती करती है ।

तारा " कितने समय के बाद हम सब ने इतनी बाते की न, वरना हमेशा ज्ञान की ही बाते होती है।" 

वैशाली " पता है ये सारी चीजे न  स्मृतियां बन जाती है, फिर जिंदगी के किसी मोड़ पर हमें याद आती है और एक मुस्कुराहट दे जाती है, दुख में भी मुस्कुराने की वजह बन जाती है " 

चंद्रा " हां बिल्कुल सही कहा, पता है मुझे ऐसा लग रहा है जैसे ये मेरी आखिरी स्मृति हो " 

उसकी इस बात पर तारा भड़क जाती है। 

तारा ( गुस्से से ) " ये कैसी बाते कर रही हो, समझ है इन बातों का क्या मतलब निकल सकता है, ऐसा कह कर तुम हमे चोट पहुंचा रही हो चंद्रा " 

वैशाली " हां, तारा बिल्कुल सही कह रही है, तुम्हे ऐसा नही कहना चाहिए था "

चंद्रा " अच्छा ठीक है नही बोलती अब क्षमा कर दो हो गई गलती, तुम सब भी क्या लेकर बैठ गई चलो सोने जाओ बहुत रात हो गई है " 

चंद्रा की बात पर दोनो मुस्कुराते हुए चली जाती है चंद्रा भी अपने कमरे का दरवाजा बंद करके खिड़की के पास खड़ी हो कर खुद से ही कहती है।

चंद्रा ( खुद से ) " मैने तो वही कहा जो मुझे लगा, आज बहुत बैचेनी हो रही है, ऐसा लग रहा है जैसे आज की रात मेरे जीवन का आखिरी हो, जैसे कुछ गलत होने वाला हो " 

वो सोने की कोशिश करती है पर नींद नही आ रही थी जिस वजह से वो फिर से संदूक खोल उसमे से एक किताब निकाल कर पढ़ने लगती है ।

चंद्रा ( किताब पढ़ते हुए ) " साधना का अर्थ है लक्ष्य प्राप्ति के लिए किया जाने वाला कार्य, साधना एक आध्यात्मिक क्रिया है, इस दृष्टिकोण से पूजा, योग, ध्यान, जप, उपवास, तपस्या के करने को साधना कहते है! साधना शब्द मूलतः संस्कृत के साधु शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है, सीधा लक्ष्य पर जाना।

अभी वो पढ़ ही रही थी की उसे लगा जैसे कोई बाहर चहल कदमी कर रहा है, वो दरवाजा खोल कर बाहर देखती है पर उसे कोई नजर नही आता तो वो फिर से कमरे के भीतर चली जाती है, और फिर से किताब पढ़ने लगती है।

चंद्रा " साधना मुख्य रूप से चार प्रकार के होते है ! पहला, तंत्र साधना ,दूसरा, मंत्र साधना , तीसरा, यंत्र साधना और चौथा, योग साधना । तंत्र साधना का अर्थ तन से होता .....

अभी वो पढ़ ही रही थी की बाहर से इस बार कुछ गिरने की आवाज आती है। आवाज सुनते ही चंद्रा कमरे से बाहर आती है तो देखती है की एक गमला गिरा हुआ है,जो टूट चुका था, उसके ठीक बगल वाले कमरे से तारा बाहर आती है। वो चंद्रा को देख कर इशारे से पूछती है की क्या हुआ ? पर चंद्रा कहीं और देख रही होती है तो तारा उसके नजदीक जा कर पूछती है।

तारा " चंद्रा कैसी आवाज थी ? " 

चंद्रा " शू शू... चुप वो देख कोई नीचे जा रहा है "

दोनो की नजर सीढ़ियों पर थी कोई ऊपर से नीचे तक काले कपड़ों में लिपटा नीचे उतर रहा था चंद्रा भी उसका पीछा करने लगती है और तारा वापस कमरे में चली जाती है। चंद्रा देखती है की वो इंसान पीछे के दरवाजे के तरफ जा रहा है जिसे देख वो खुद से कहती है।

चंद्रा (खुद से ) " ये है कौन ?  और इसे महल के बारे में इतनी जानकारी कैसे है ? हो न हो ये यही का है।

तभी तारा हांफते हुए चंद्रा के पास पहुंचती है उसके हाथो में दो कटारे थी।

तारा " बिना हथियार के जाना ठीक नही होगा, न जाने कौन हो और क्या उद्देश्य हो इसका ? " 

चंद्रा हां में सर हिलाती है और उसके हाथों से कटार ले कर अपने कमर पर बांध लेती है तारा भी अपनी कटार को अपने कमर से बांध लेती है। तभी वो देखते है की वो साया पीछे के रास्ते से महल से बाहर निकल आता है, चंद्रा और तारा भी उसके पीछे पीछे महल के बाहर आ जाते है, वो साया सीधा चौराहे के तरफ जाने लगता है अब उसकी चाल बहुत तेज थी ऐसा लग रहा था जैसे वो चल नही दौड़ रहा हो, वो दोनो भी उसका पीछा करते करते महल से बहुत दूर आ गई थी, जिसका अंदाजा उन्हे भी नही था।

तारा " चंद्रा ये हमे कोई जासूस लग रहा है, ये कोई गुप्त जानकारी प्राप्त कर अब किसी को बताने जा रहा होगा"

चंद्रा ( गुस्से में ) " अगर तुम्हारी बात सही हुई ना, तो देखना इसे हम अपने हाथों से मारेंगे " 

तभी वो देखती है की उस साए ने अपने ऊपर से वो काला चादर हटा लिया है जिससे उसके लंबे बाल अब उसकी कमर तक लहरा रहे है वो एक लड़की थी जिसे देख कर चंद्रा और तारा स्तब्ध रह जाती है वो उसे ध्यान से देखने की कोशिश करती है पर अंधेरा होने की वजह से कुछ साफ नही दिखाई पड़ रहा था और ऊपर से उस लड़की ने अभी भी अपने चेहरे को ढंक रखा था। 

तारा " चंद्रा ये तो लड़की है, क्या ये जासूस हो सकती है?" 

चंद्रा " क्यों नही हो सकती ? भूलो मत एक लड़की कुछ भी हो सकती है, वो सोच से परे भी हो सकती है। पर मुझे नही लगता की ये हमारी गुप्त जानकारी  किसी को देने आई है।

तारा " क्यों तुम्हे ऐसा क्यों नही लगता है ? सब कुछ तो सामने है ! " 

चंद्रा " हां, सब सामने है और वो भी जो उसके हाथ में है ! " 

ये कह कर वो उसके बाएं हाथ के तरफ इशारा करती है, जिसे देख कर तारा की आंखे हैरानी और डर से बड़ी हो जाती है।



आगे क्या होगा इस कहानी में ? क्या है उस लड़की के हाथ में ? चंद्रा और तारा का उसके पीछे जाने से क्या होगा अंजाम ? जानने के लिए बने रहे मोहिनी ( प्यास डायन की )।

✍️ शालिनी चौधरी