हीर... - 19 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

हीर... - 19

रात के करीब ग्यारह बज चुके थे और जहां एक तरफ़ दिल्ली में राजीव के सामने हाथ जोड़कर बैठी चारू उसे किसी भी तरह से नॉर्मल करने की कोशिश कर रही थी वहीं दूसरी तरफ़ भुवनेश्वर में अजीत के साथ रेस्टोरेंट में डिनर करने के बाद अंकिता और निर्मला दोनों वापस घर आ चुके थे... घर आने के बाद अंकिता के कमरे में उसके बिस्तर पर बैठीं निर्मला ने उससे धीरे से कहा- अजीत अच्छा लड़का है, बातचीत में भी अच्छा है और देखने में भी बहुत हैंडसम है और गोरा भी है!! ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठकर अपने कानों के बुंदे उतार रही अंकिता ने मुस्कुराते हुये कहा- आपको अच्छा लगा? निर्मला ने कहा- हां बहुत... अम्म् तेरा क्या इरादा है? अंकिता बोली- किस बात का इरादा? निर्मला ने मुस्कुराते हुये कहा- अजीत के साथ... आगे का? निर्मला की बात सुनकर अंकिता अपनी जगह से उठी और निर्मला के पीछे से जाकर उन्हें हग करके उनके गालों पर प्यार करते हुये उसने कहा- जैसा आप सोच रही हो ना मम्मा वैसा... ही और बिल्कुल वैसा ही इरादा है हमारा!! निर्मला ने अपने गले में हाथ डालकर और अपना चेहरा उनके कंधे पर टिकाकर बैठी अंकिता के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुये कहा- हम्म् मतलब तूने ये घर छोड़कर जाने की तैयारी कर ली है!! अंकिता बिल्कुल ऐसे जैसे चौंक गयी हो वैसे चौंकते हुये बोली- नहीं बिल्कुल नहीं... हम क्यों छोड़ेंगे अपना घर, हमारे बचपन की और हमारे पापा की यादें जुड़ी हुयी हैं इस घर से.. हम क्यों छोड़ेंगे? निर्मला ने कहा- शादी के बाद तो ये घर छोड़कर तुझे अपने घर जाना ही होगा ना फिर.. मैं और ये घर हम दोनों अकेले रह जायेंगे!! निर्मला की ये बात सुनकर अंकिता जोर से हंसी और उनके गाल खींचकर उनके बगल में आकर बैठ गयी, उनके बगल में बैठने के बाद अंकिता अपने बालों को खोलते हुये बोली- कोई अकेला नहीं रहेगा.. ना आप और ना हमारा ये घर क्योंकि हम यहां से नहीं जायेंगे..(निर्मला को आंख मारते हुये) अजीत यहां आयेगा!!निर्मला बोलीं- पर अगर इसने भी राजीव की तरह घर जमाई बनने से मना कर दिया तो?अंकिता हंसी का ठसका लेते हुये बोली- हुंह... तो ये भी वहीं जायेगा जहां राजीव है यानि हमारी ब्लैक लिस्ट में लेकिन हम हमारा ये घर नहीं छोड़ेंगे!!अपनी बात कहते कहते अंकिता अपनी जगह से उठी और ड्रेसिंग टेबल के मिरर के सामने खड़े होकर बोली- राजीव स्वाभिमानी था, अपने मम्मी पापा का श्रवण कुमार... वो उनको उनके बुढ़ापे में कभी अकेला ना छोड़ता, वो यहां आने को तैयार हो जाता अगर हम उसके मम्मी पापा को भी यहां रहने के लिये परमीशन दे देते तो... लेकिन हम हमारे पापा के घर में किसी और के मां बाप का बोझ क्यों ढोयें...अपनी बात कहते कहते अंकिता गहरी सांस छोड़कर वापस निर्मला के बगल में आकर बैठ गयी और उनके बगल में बैठकर उसने कहा- हम राजीव के बर्थ डे पर दिल्ली गये ही इसीलिये थे ताकि उससे लास्ट बार इस बारे में बात कर लें लेकिन हमें वहां उसके बेडरूम में लंबे सफ़र की वजह से थक कर सो रही चारू दिख गयी और हमने सोचा राजीव से दूरी बनाने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा क्योंकि वो अपने मम्मी पापा से दूर होने के लिये मानता नहीं और हम उसके मम्मी पापा को यहां रखते नहीं इसलिये हमने उस नॉर्मल सी बात को ऐसे मोड़ा कि सारा ब्लेम राजीव और चारू पर लगाकर हमने उससे छुटकारा पा लिया, हमारी बात ना मानने का यही नतीजा है कि अब वो जिंदगी भर इसी गिल्ट में जियेगा कि मैंने अंकिता का दिल दुखाया है... रही बात अजीत की तो वो वही करेगा जो हम कहेंगे, आप चिंता मत करो मम्मी अजीत यहीं रहेगा हम दोनों के साथ!! जहां एक तरफ़ अंकिता बेशर्मी से राजीव की आज की हालत के लिये उसे ही जिम्मेदार ठहरा रही थी वहीं दूसरी तरफ़ दिल्ली में... अपने सामने जमीन पर हाथ जोड़कर बैठी और बहुत दुख करके रो रही चारू को देखकर राजीव का दिल जैसे रोने लगा था, उससे अपनी सबसे अच्छी दोस्त और हमराज़ को इस तरह कमजोर पड़ते देख शायद बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था इसलिये वो खुद भी सुबकते हुये चारू के ठीक सामने जमीन पर बैठ गया और उसके जुड़े हुये हाथों को थामकर सुबकते हुये उससे बोला- तू क्यों खुद को ब्लेम करती है हर बार चारू?चारू रोते हुये बोली- अभी तो तूने कहा कि तुझे मेरी भी जरूरत नहीं है इसका मतलब तो यही हुआ ना कि तू मुझे ही दोषी मानता है उस दिन यहां आने की वजह से... (चारू अपनी आंसुओं से भरी आंखों से राजीव की तरफ़ देखकर बड़ी मासूमियत से बोली) तुझे सच में मेरी जरूरत नहीं है क्या.. हां राजीव??चारू की मासूमियत से करी गयी ये बात सुनकर राजीव और जादा इमोशनल हो गया और अपने हाथों में थामे हुये उसके जुड़े हुये हाथों को अपने माथे पर लगाकर किसी बच्चे की तरह फूट फूट कर रोते हुये बोला- इस लड़की ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा चारू, कितने सपने देखे थे मैंने कि मैं अपने मम्मी पापा के लिये वो सब करूंगा जो वो डिजर्व करते हैं लेकिन इस लड़की ने मुझे खराब कर दिया चारू.. इस लड़की ने मुझे प्यार की इतनी बड़ी सजा दी कि मैं सच में खराब हो गया चारू, मैं खराब हो गया..!!रोते हुये अपनी बात बोलकर राजीव ने चारू की गोद में अपना सिर रखते हुये कहा- चारू... मेरी जॉब चली गयी यार, अब मैं क्या करूं... मेरी जॉब चली गयी!! मैं क्या मुंह लेकर जाउंगा मम्मी पापा के सामने चारू मैं क्या मुंह दिखाउंगा उन्हें... चारू मैं बर्बाद हो गया, मैं खतम हो गया चारू, चारू मैं खतम हो गया!! इस लड़की ने मुझे जीते जी मार डाला चारू मैं खतम हो गया!!


क्रमशः