तू भी सताया जायेगा ! - भाग - 4 Shalini Chaudhary द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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तू भी सताया जायेगा ! - भाग - 4

जय श्री कृष्णा 🙏

ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने,
प्रणतः क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।

आशा है की आपको मेरा प्रयास पसंद आ रहा होगा। आप सबसे अनुरोध है की कहानी को अधिक से अधिक प्रेम प्रदान करे, और अपने विचारों की टिप्पणी दे, आपकी टिप्पणी मुझे कहानी लिखने में अत्यंत सहायता प्रदान करती है। आप सबको मेरा झोला भर कर प्रेम ❤️

अब बिना देरी किए चलते है कहानी के ओर....

मुंबई ( पाठक मैंशन )

रिवाज की गाड़ी पाठक मैंशन के अंदर आ कर रुकती है, और रिवाज बाहर निकलता है और कोट का बटन लगाते हुए मैंशन के अंदर जाने लगता है तभी शाइनी भी बाहर निकलती है लेकिन तभी उसे किसी का कॉल आ जाता है और वो उसी गाड़ी में बैठ कर चली जाती है। रिवाज मैंशन के गेट पर जैसे ही पहुंचता है, उसे याद आता है की कैसे खनक उसके लिए दरवाजे के पास खड़ी रहती थी। लेकिन वो उस बात को अपने दिमाग से झटकते हुए, बेल बजाता है, अंदर से एक मेड दरवाजा खोलती है और साइड हो जाती है, वो काफी उम्र की महिला था, जिसने पीले रंग का साड़ी पहना हुआ था उस पर काला ब्लाउज था, हाथ में लाल चूड़ियां और मांग में लाल सिंदूर। ऐसा ही, कुछ ऐसा ही श्रृंगार तो खनक भी करती थी। ऐसे ही वो रिवाज में नाम की चूड़ियां पहनती थी, सिंदूर लगाती थी, ना जाने क्यों आज वो हर जगह खनक को याद कर रहा था, आज उसे बार बार खनक याद आ रही थी। वो हर बात को दिमाग से निकालते हुए अपने कमरे में जाता है और शॉवर ले कर जल्दी से कपड़े पहन लेता है क्योंकि उसका सर भारी हो रहा था और उसे कॉफी पीने का मन कर रहा था। कपड़े पहन कर वो जल्दी से अपना फोन निकाल कर।

रिवाज ( फोन पर ) " आंटी जी एक कॉफी भेज दीजिए।"

इतना बोल कर वो कॉल काट देता है। और बेड पर बैठ जाता है, वो इस वक्त खुद को बहुत अकेला महसूस कर रहा था। तभी डोर नॉक होने की आवाज आती है।

रिवाज ( थकी आवाज में ) " कम इन !"

तभी एक मेड हाथ में कॉफी मग पकड़े अंदर आती है और मग को साइड टेबल पर रख कर चुप चाप चली जाती है। रिवाज कॉफी मग उठा कर एक सिप लेता है लेकिन उसे कॉफी में वो टेस्ट नही मिलता है जो वो ढूंढ रहा था। लेकिन जैसे तैसे करके कॉफी खतम करके वो आराम से सो जाता है। उसे बहुत ही अकेला फील हो रहा था।

बनारस ( गंगा घाट )

कश्यप हाउस,

जो बची हुई कप पैकिंग थी वो भी कंप्लीट कर के वो दोनो बैठ जाती है, तभी बाहर से डिलीवरी वाला आता है जो कप्स लेने ही आया था सारे ऑर्डर की गिनती करके वो उसे दे देते है और आज का उनका काम खतम हो चुका था क्योंकि सारे ऑर्डर कंप्लीट हो चुके थे।

अंबर ( खनक से ) " खनक आज खाने में क्या बनाऊं ? कुछ हल्का ही बनाती हूं कल तुझे ट्रैवल भी करना है। वैसे ये बता तेरी टिकट हुई क्या ?"

खनक ( अंबर को देखते हुए ) " हम्म ! तत्काल में बन गया है। ला आज का खाना मै बनाती हूं।"

खनक ने जैसे ही बात खतम की वैसे ही ऊपर से भूमिजा के रोने की आवाज आती है।

अंबर ( हँसते हुए ) " तू अपनी झांसी की रानी को संभाल। खाना मै बना लूंगी।"

खनक दौड़ कर ऊपर जाती है और भूमिजा को अपने सीने से लगाते हुए नीचे आ जाती है, वही नीचे आ कर सीढ़ी पर बैठते हुए।

खनक ( भूमिजा को शांत करते हुए ) " नही ऐसे नही रोते है। मेरी भूमि समझदार है मां को परेशान नहीं करेगी मासी के पास रहेगी। है ना।"

खनक के आवाज पर वो शांत हो जाती है और खेलने लगती है।

खनक ( अंबर से ) " अंबर आज तू इसे संभाल, मै खाना बना लेती हूं।"

अंबर ( हाथ साफ करते हुए ) " ठीक है। ला इसे मै ले लेती हूं। ( भूमि के साथ खेलते हुए ) क्यों भूमि मासी के पास आयेगी मासी अच्छी है मम्मा गंदी है, आजा मेरा बच्चा, मेरी झांसी की रानी, आजा अपनी मासी के पास आजा।"

अंबर भूमि को ले लेती है और खनक खाना बनाने चली जाती है। सब्जी में लौकी रखा था और फ्रिज में पनीर था।

खनक ( मन में ) " हल्का ही बनाती हूं कुछ वरना कल रास्ते में कुछ दिक्कत आ सकती है।"

यही सोच कर वो लौकी की सब्जी और सादी रोटी बना लेती है। और सारा काम निपटा कर दोनो खाना खा लेते है और दूध गरम करके भूमि को भी पिला देते है पेट भरते ही वो फिर से सो जाती है। थोड़ी देर इधर उधर की बात करके वो दोनो भी अपने अपने कमरे में चली जाती है।

खनक ( बिस्तर पर लेटे हुए मन में ) " अगले कदम के लिए मेरा ये काम होना बहुत जरूरी है ! चाहे कुछ भी हो जाए ये रिस्क मुझे उठाना ही होगा, अपनी बच्ची का भविष्य अंधकार में नही डाल सकती हूं।"

खुद को किसी नए जंग के लिए तैयार करके वो सो जाती है।

पाठक मैंशन,

रिवाज बेड पर सोया हुआ था, और बार बार बैचेन हो रहा था फिर अचानक से उठ कर बैठ जाता है। कुछ देर के बाद वो उठ कर अपने कमरे से बाहर निकल कर दूसरे कमरे में जाता है और जैसे ही कमरे की लाइट्स ऑन होती है। पूरा कमरा अलग अलग तरह के शराबों से भरी हुई थी मतलब ये एक बार था।

रिवाज एक बॉटल का ढक्कन खोल कर पीने लगता है और वही चेयर पर बैठ जाता है, तकरीबन दो तीन शराब की बोतल खतम करने के बाद भी उसे शांति नही मिल रही थी। उसे बार बार खनक की आवाज सुनाई दे रही थी। "आज तुमने अपने अजन्मे बच्चे को और अपनी पत्नी को मार दिया। तुम हार गए, तुम हार गए रिवाज पाठक तुम हार गए।" रिवाज अपने कान ढंक लेता है और फर्श पर बैठ जाता है। सामने लगे शीशे में रिवाज को खुद का ही अक्श दिखाई देता है जो उसे बड़ी नफरत से देख रहा था।

रिवाज ( खुद को खुद में समेटते हुए ) " नही वो मेरे बच्चे की मां बनने वाली नही थी। वो झूठ बोल रही थी। मै नही हारा हूं, मै हार ही नही सकता हूं।"

रिवाज खुद को शांत करने की कोशिश कर रहा था और लास्ट में वहीं बेहोश हो जाता है।

तो आगे क्या होगा इस कहानी में ? क्या रिस्क लेने वाली है खनक ? और क्या करेगी रिवाज के साथ जानने के लिए बने रहे। तू भी सताया जाएगा ! मेरे यानी शालिनी चौधरी के साथ।

मेरे मन की बात,

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✍️ शालिनी चौधरी