The Author Dr.Chandni Agravat फॉलो Current Read परछाईया - भाग 3 By Dr.Chandni Agravat हिंदी फिक्शन कहानी Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books दरिंदा - भाग - 3 प्रिया को घर के अंदर से सिसकियों की आवाज़ लगातार सुनाई दे रह... स्पंदन - 5 ... बुजुर्गो का आशिष - 3 *आज का प्रेरक प्रसंग**"दीपावली का असली अर्थ: हौसले और मेहनत... रूहानियत - भाग 11 Chapter - 11नील चाहत के हॉस्पिटल मेंअब तकनील," बिल्कुल ....... मोमल : डायरी की गहराई - 29 पिछले भाग में हम ने देखा कि मोमल पर निक्कू की आत्मा हावी हो... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Dr.Chandni Agravat द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी कुल प्रकरण : 5 शेयर करे परछाईया - भाग 3 825 1.9k पार्ट 3सनत को पता चल गया की उसकी तरकीब काम कर गई हैl उसे एक यही तरीका ठीक लगा जीससे बाप बेटी को मिल सकता है अपनी जीत छोड़कर,और मनोहर सिंह को निर्वा के पास ला सकता है ।दूसरे दिन जब उसे पता चला की मनोहर सिंह पहुंचने वाले हैं, तो वह डॉक्टर और नर्स से बात करके थोड़ी देर के लिए कहीं चला गया।जैसे ही मनोहर सिंह अस्पताल पहुंचा और निर्वा के कमरे में गया तो उसे इस हालत में देखकर वह टूट गया और जब डॉक्टर ने उसकी स्थिति बताइ तो उसको इतने साल अपनी बेटी से दूर रहने के लिए बहुत अफसोस हुआ। बीस बीस साल तक उसे गुनाह की सजा देता रहा जो उसने किया ही नहीं क्योंकि कहीं ना कहीं वह दबाव में आ गया था।समाज के परिवार के।वह उसके पास बैठकर उसका चहरा सहलाने लगा निर्वा जो की सब देख रही पर रेस्पॉन्ड नहीं कर पा रही थी। वह इस स्पर्श को पहचान गई उसने अपनी आंखें खोली और बंद कर दी क्योंकि उस उसको विश्वास नहीं हो रहा था , जो वह देख रही है वह सच है थोड़ी देर बाद उसने धीरे से फिर से आंखें खोली और कुछ अस्फुट आवाज में वह बोली बा बा....थोड़ी देर बाद सनत आया उसने कहा कि माफ कीजिएगा सरकार मुझे एक यही तरीका सही लगा तो मैंने किया।इस वक्त अस्पताल के कॉरिडोर में खड़ा कोई निर्वा के रूम की ग्लास विंडो से अंदर जाकर था।वह शख्स वहां से अस्पताल के ऑफिस में गया और वहां रिसेप्शन पर वेटिंग लॉन्ज में बैठ गया थोड़ी देर बाद एक चपरासी आया और उसने उस शख्स को बुलाया की "डॉक्टर साहब आपको डीन इंटरव्यू के लिए अंदर बुला रहे हैं।"डीन ने औपचारिकता के बाद उसको पूछा आप आपके स्टेट में इतनी अच्छी पोस्ट छोड़कर यहां पर बतौर आसीस्टन्ट डॉक्टर क्यों ज्वाइन करना चाहते हैं? हमने आपको फोन पर भी बताया था कि आपके लिए न्यूरोलॉजी की पोस्ट यहां खाली नहीं है तो आप असिस्टेंट डॉक्टर की पोस्ट पर क्यों राजी हो रहे हैं कोई खास वजह!।उसने मुस्कुराते हुए बोला " मेरा कोई खास यहां इस शहर में रहता है इसलिए शहर खास है मेरे लिए ,और मुझे अपना भविष्य इसी शहर में बनाना है" डीनने कहा "ठीक है अगर आप जैसा कोई डॉक्टर हमारे हॉस्पिटल में हो तो हमें क्या दिक्कत है पर आपका पगार है वह असिस्टेंट के तौर पर ही होगी क्या आपको मंजूर है तो आज ही आपका अपॉइंटमेंट लेटर निकल जाएगा। "उसमें फुर्ती से कहां "है सर पर मैं ड्यूटी तो अभी से ज्वाइन करना चाहूंगा अगर आपको कोई दिक्कत ना हो तो"*************************वह अपने स्क्रब हो पहन के न्यूरोसर्जन के साथ सब पेशेंट की विजीट कर रहा था ।उसी के साथ वह निर्वा जीस रूम में एडमिट थे वहां गया, सीनियर डॉक्टर जब उसके रिफ्लेक्स चेक कर रहे थे तब वह धीरे से उसके पास गया।और निर्वा के कान में बोला "मैंने तो तुम्हारा स्वागत किया था तुम नहीं करोगी ?कोई बात नहीं मैं ही बोल देता हूं आगे खतरा है।"सनत ने देखा की डॉक्टर निर्वाह के कान में कुछ बड़बड़ रहा है तो उसे अजीब लगा। और दो-तीन दिन से निर्वा यहा थी पर उसने कभी इस डॉक्टर को नहीं देखा था। आज वह पहली बार उसे देख रहा था ।उसने डॉक्टर को पता ना चले ऐसे उसका नाम प्लेट देख लिया डॉक्टर बिरेन कुमारउसने अपने तरीके से छानबीन शुरू की तो उसको पता चला कि वह डॉक्टर आज ही यहां पर ड्यूटी ज्वाइन किए हुए हैं और वह दिल्ली से है ।पर पता नहीं उसका मन नहीं मान रहा था उसे लगता था की जरूर इसका कुछ ना कुछ तो निर्वासे कनेक्शन है ।उसने अभी मनोहर से कुछ नहीं बताया पर उसने सोचा की वह अब निर्वा के साथ साये की तरह रहेगा और इस डॉक्टर पर नजर रखेगा ।आखिर कौन था यह डॉक्टर ?उसका निवा के साथ क्या कनेक्शन था ?प्रिया वाचक आपको अगर मेरी कहानी पसंद आई तो कृपया करके आपका प्रतिभाव दे और पढ़ते रहिए मुझे सब्सक्राइब करें मुझे फॉलो करें ।धन्यवाद डॉचांदनी अग्रावत ‹ पिछला प्रकरणपरछाईया - भाग 2 › अगला प्रकरण परछाईया - भाग 4 Download Our App