Matsya Kanya - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

मत्स्य कन्या - 1

नैस्टी ओसियन...खतरो का दूसरा नाम लेकिन खुबसूरती में बेमिसाल है...जो भी यहां आता उसकी सुंदरता में खो जाता था.... लेकिन सुरज ढलते ही सबको यहां से जाने की चेतावनी दी जाती थी... जिसने भी सुरज ढलने के बाद यहां रूकने की कोशिश की वो अगले दिन सुबह बहुत बुरी तरह मरा हुआ मिलता...इस कारण लोग सुरज ढलते ही यहां से चले जाते थे..... नैस्टी ओसियन की शाम तो खतरनाक थी ही लेकिन दिन के समय में भी ...जाइंट गुफा किसी को भी डराने के लिए काफी थी... कई अस्थियों और कंकालों के देखने के बाद लोग जाइंट गुफा के आस पास भटकना भी नहीं चाहते थे. ...ये सब ‌क्यू होता है किसी को कुछ नहीं पता और शायद कोई जानना भी नहीं चाहता है....

‌‌इतना सबकुछ जानने के बाद भी पर्यटकों की एक लम्बी लाइन लगी रहती थी घंटों अपनी बारी‌‌ ‌‌का इंतजार करना पड़ता था......अब मिलिये त्रिश्का से जिसको सब वाटर रेंजर कहते हैं... बिना आक्सीजन मास्क लगाएं पानी की गहराई में जाकर वापस आना उसके लिए आसान बात थी.... जितना सबको इससे हैरानी थी उतनी ही त्रिश्का दिन प्रतिदिन हो रही अपनी घटनाओं से परेशान थी..... त्रिश्का अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद रोज शाम को अपने फ्रेंड्स के साथ टाइम स्पेंड करके ही घर जाती थी....रोज की ही तरह आज त्रिश्का फ्रोस्टी कैफे पर पहुंची जहां काफी देर से उसके दोस्त उसका ही इंतजार कर रहे थे....

. त्रिश्का के पहुंचते ही पायल थोड़ा रूडली कहती हैं " लो आ गई मैडम जी.."

पायल के पास जाकर त्रिश्का मासुमियत से कहती हैं.." यार साॅरी आगे से पक्का लेट नहीं हूंगी..."

" ये आगे से आगे कब से कह रही है.." पायल ने हाथ बांधते हुए कहा

" अब आ तो गई न गुस्सा छोड़ दें पल्लू..." त्रिश्का ने चिढ़ाते हुए कहा

" अब तो बिल्कुल नहीं.." इतना कहकर उसने मुंह फेर लिया..तभी पीछे से आवाज़ आई

" अब बस भी करो तुम दोनों..."

त्रिश्का पीछे मुड़ती हुई कहती हैं.." ओ ..सिड तुम ....देखो न मैं कबसे इससे कह रही हूं साॅरी लेट हो गई...पर मैडम जी देखो मुंह फूला कर बैठ गई है..."

" वैसे तुम सच में लेट आती हो ...." सिद्धार्थ ने कहा

" तुम भी सिड.. रौनक तुम समझाओ न..."

" इस मामले में मैं कुछ नहीं कहता जो करना है करो..." रौनक न साफ साफ कह दिया..

" मैंने तुम्हें माफ़ किया.... लेकिन एक शर्त पर.." पायल ने शरारती अंदाज से कहा

त्रिश्का ने हैरानी से पूछा.." कैसी शर्त..?..."

" ह यही की आज का बिल तू पै करेंगी...."

इतना सुनते ही दोनों हंस जाते हैं.... लेकिन पायल अभी भी सवालिया निगाहों से त्रिश्का को देख रही थी.. त्रिश्का हां में सिर हिला देती है...

" अब खुश ...अब तो बैठ जा या भागने का प्लेन है.."

" बिल्कुल नहीं......"

वैटर सबके आर्डर लेकर जाता है.....

" और वाटर रैंजर क्या हाल है ...तुम्हारी जाॅब के..." पायल ने पूछा

इतना सुनकर त्रिश्का थोड़ी परेशान हो जाती है..

" क्या बात त्रिश्का..?.." सिद्धार्थ ने अपना हाथ अविका के हाथ पर हाथ रखते हुए पूछता है...

" मैं जाब से परेशान हो चुकी हूं..." त्रिश्का ने उदासी में कहा

" लेकिन क्यूं...सब तुम्हें वाटर रैंजर कहते हैं...कितनी प्राउड की बात है..." उत्साहित होकर सिध्दार्थ ने पूछा

" तुम्हें प्राउड लगता होगा लेकिन मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता रोज रोज किसी न किसी को समुद्री चक्र से बचाना... लोगों को पता है नैस्टी ओसियन के किनारे किनारे घुमना है लेकिन पागलों की तरह चक्र में फंस जाते हैं...फिर सबकी नजरें मेरी तरफ आ जाती है..." इतना कहते ही त्रिश्का कोल्ड ड्रिंक की केन उठा लेती है

" वैसे बैस्टी ....सबके लिए तू सुपर हिरोइन से कम नहीं है.."त्रिश्का के पास आते हुए पायल ने कहा

पायल की हां में हां मिलाते हुए सिध्दार्थ और रौनक ने कहा.." बिल्कुल..."

" त्रिश्का तू इतनी देर तक पानी में बिना आक्सिजन मास्क लगाएं कैसे रह लेती है..."

" ये तो मैं भी नहीं जानती यार...."

दोनों की बात को काटते हुए सिद्धार्थ कहता है..." पायल त्रिश्का रियली एक सुपर हिरोइन है..... पानी में इतनी देर तक बिना मास्क के रहना और तो और तीन दिन पहले की बात याद है जब हम सर्फिंग कर रहे थे ...तब त्रिश्का ने एक छोटी सी मछली को हाथ में ले रखा था...

तुरंत याद करते हुए पायल कहती हैं..." हां हां याद आया हमने पुछा तूने इसे क्यूं ले रखा है तो कहा ये मुझे मदद के लिए बुला रही थी.... इसका मतलब यही है न हमारी त्रिश्का सबके लिए एक रेंजर है...."

पायल की बात आगे बढ़ाते हुए सिद्धार्थ ने कहा..." सबके लिए रेंजर है और मछलियों के लिए क्या हैं

पायल सिद्धार्थ को टोकते हुए कहती हैं..." जलपरी..."

इतना कहते ही तीनों हंस जाते हैं लेकिन त्रिश्का टेबल पर हाथ पटकते हुए खड़ी होकर कहती हैं..." व्हाट नोनसेन्स जलपरी जैसा कुछ नहीं होता और आगे से दोबारा ऐसा कुछ मत कहना (कार्ड देते हुए कहती हैं)..लो बिल पै कर लेगा... मैं जा रही हूं..."

"...रिलेक्स त्रिश्का हम मजाक कर रहे थे...."तुरंत सिद्धार्थ खड़े होकर त्रिश्का को कंधे से पकड़ते हुए कहा

" मुझे ऐसा मजाक बिल्कुल पसंद नहीं है..." त्रिश्का ने ऊंगली दिखाते हुए कहा और वहां से चली गई...

" तुम दोनों भी न नाराज़ कर दिया उसे ..." रौनक ने दोनों को देखते हुए कहा

" हम उसे मना लेंगे..." साइलेंटली पायल ने कहा

त्रिश्का घर पहुंचती है ....

" मां मैं आ गई...." अपनी ओर ध्यान देने के लिए त्रिश्का ने कहा

" आ गई मेरी बच्ची.... बिल्कुल सही टाइम पर आई है खाना खा ले... तेरे पापा भी आ गये है..."

" पापा आ गए इतनी जल्दी....." हैरानी से त्रिश्का ने पूछा

" हां...ले आ गये फ्रेश होकर..."

अविका तुरंत जाकर उनके गले लग जाती है..." पापा इतने दिनों बाद टाइम मिल गया हमारे लिए..."

" बेटा तुझे पता है मुझे अपने काम की वजह से लांग टाइम बाहर रहना पड़ता है..." अविनाश जी ने कहा

दोनों टेबल पर बैठते हैं....

" और तेरे वो डरावने सपने बंद हुए..." अविनाश जी ने कहा

" आप भी न " डांटते हुए मालविका जी ने कहा

" नहीं पापा.... पता नहीं वो कौन है जो मुझे बार बार दिखाई देता है..."

इतना सोचकर त्रिश्का डर जाती है......




........... to be continued.......

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