नाट्यपुरुष - राजेन्द्र लहरिया - 1 राज बोहरे द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें सामाजिक कहानियां किताबें नाट्यपुरुष - राजेन्द्र लहरिया - 1 नाट्यपुरुष - राजेन्द्र लहरिया - 1 राज बोहरे द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 921 3.9k राजेन्द्र लहरिया–नाट्यपुरुष 1 आख्यान बूढ़ा क्यू में था! क्यू 'महामहिमावान’ के सार्वजनिक अभिनंदन करने के लिए लगी हुई थी, जिसमें स्त्री-पुरुष नौजवानों-जवानों से लेकर बूढ़ों तक की मौजूदगी थी। पर उन सबके बीच, क्यू ...और पढ़ेमौजूद वह बूढ़ा कुछ अलग ही दिखाई दे रहा था! वजह यह कि उसके चेहरे-मोहरे, पहनावे और हाव-भाव में औरों से कुछ अलग होने की फ़ितरत नुमायाँ थी: उसका चेहरा गोरा एवं लंबोतरा था; उसके सिर पर झक्क सफेद लंबे बाल थे; उसकी सफेद तराशी हुई दाढ़ी थी; उसने अपनी दुबली-पतली देह पर ढीली नीले रंग की जीन्स की पैन्ट और लाल रंग कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें नाट्यपुरुष - राजेन्द्र लहरिया - 1 नाट्यपुरुष - राजेन्द्र लहरिया - उपन्यास राज बोहरे द्वारा हिंदी - सामाजिक कहानियां 6.8k 27.9k Free Novels by राज बोहरे अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी राज बोहरे फॉलो