फिर भी शेष - 13 Raj Kamal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें प्रेम कथाएँ किताबें फिर भी शेष - 13 फिर भी शेष - 13 Raj Kamal द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ (14) 5.9k 2.9k सुबह छत पर गुनगुनी ‘धूप—छांव' में उन्होंने चाय पी। रितु भी उनके साथ थी, लेकिन पढ़ाई के दो—चार औपचारिक प्रश्नों के उत्तर देकर, ‘सॉरी आण्टी! मुझे जाना है...शाम को मिलती हूं।' कहती हुई जल्दी ही चली गई। सुखदेव तो ...और पढ़ेआया ही नहीं। सिर्फ इतना कहा, ‘‘नहीं जी! ये कि दो सहेलियों के बीच में मेरा क्या काम।' दरअसल वह रात की घटना से शर्मिंदा भी हो रहा था, पर चोर की दाढ़ी में तिनके वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए बोला, ‘‘कल दोस्तों ने खुशी में थोड़ी पिला दी थी जी...वैसे नहीं जी कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी सुनो मोबाईल पर डाऊनलोड करें फिर भी शेष - उपन्यास Raj Kamal द्वारा हिंदी - प्रेम कथाएँ (548) 210.4k 140.7k Free Novels by Raj Kamal अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Raj Kamal फॉलो