फिर भी शेष - 5 Raj Kamal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें प्रेम कथाएँ किताबें फिर भी शेष - 5 फिर भी शेष - 5 Raj Kamal द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ (13) 11.1k 7.4k समय का चक्र कब रुका है— महामारी हो, ज्वारभाटा आए... विषाद की गहन छाया हो या हंसी—खुशी के पर्व... एकांत में सिसकती जिंदगी हो या सार्वजनिक उत्पीड़न, चक्र नहीं थमता। रुकेगा तो फिर गति नहीं होगी। जब गति नहीं तो ...और पढ़ेकहां? जीवन, सत्य और सिर्फ सत्य कहें तो गति—चक्र निरंतर सापेक्ष को कलवित कर उसे गूंथता, लुगदी बनाता, अतीत की प्रक्रिया में इतिहास के कागज बनाता चलता है। हादसे के निशान उसके बाद उसकी प्रभावकारी शक्ति के अनुसार कम या देर तक रहते हैं। हिमानी का अतीत हादसों की ‘बारहमासी' है। कलेंडर के पन्ने की तरह उतर जाती हैं घटनाएं... कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी सुनो मोबाईल पर डाऊनलोड करें फिर भी शेष - उपन्यास Raj Kamal द्वारा हिंदी - प्रेम कथाएँ (548) 210.4k 140.7k Free Novels by Raj Kamal अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Raj Kamal फॉलो