शम्बूक होम पेपरबैक शम्बूक पेपरबैक Name : शम्बूक नाम ramgopal bhavuk(लेखक) अयोध्या में जब राज सिंहासन पर रामचंद्र जी विराजमान हुए तो उनके गुप्तचर ने बताया कि जंगलों में शंम्बूक नाम का एक बनवासी अपने आश्रम में जड़ी बूटी से बहुत अच्छी दवाएं बनाता है और आसपास के वनवासियों को शिक्षा प्रदान करता है । शंम्बूक के बारे में शम्बूक का बचपन का दोस्त बताता है कि वह बचपन से ही तपस्या करता था और एकांतवास के प्रति समर्पित था और अब जब शम्बूक बुजुर्ग हो चुका है तो समाज की सेवा करने लगा है। शम्बूक के बारे में यह तारीफ की बातें सुनकर राम निर्णय करते हैं कि वे खुद शम्बूक के आश्रम में मिलने जाएंगे। रामजी आश्रम में जाते हैं तो वहां उनकी एक बुजुर्ग मुनि से होती है। वही शम्बूक हैं । वे रामचंद जी को अपना आश्रम दिखाते हैं । वहां बनाई जा रही वस्तुओं को दिखाते हैं । राम जी निर्णय लेते हैं कि इसी आश्रम से बनाया गया सारा सामान अब राज महल में क्रय किया जाएगा। राम अपने महल को लौट जाते हैं और बूढ़े ऋषि शंबूक एकांतवास में चले जाते हैं। लोग इसके बारे में अलग-अलग तरह की बातें फैलाने लगते हैं कि राम ने शम्बूक का वध कर दिया । खरीदें शेयर करे बिक्री की किम्मत : 250 महत्तम बिक्री किम्मत : 300 आपकी बचत : 50 निशुल्क पहुँचाया जाएगा (७ से १० दिनों में भारत देश में )मौजूद है . अपना नया पता यहाँ लिखें नाम : पूरा नाम लिखें मोबाईल : अपना मोबाईल नम्बर लिखें पते की प्रथम पंक्ति : अपना पता लिखें पते की द्वितीय पंक्ति : अपना पता लिखें शहर : अपने शहर का नाम खोजें राज्य : अपने राज्य का नाम खोजें पते का प्रकार: Select Office Home पते का प्रकार चुनें पिनकोड : पिनकोड लिखें खरीदें मूल्य की जानकारी मूल्य (1 वस्तु ) 300 वस्तु पहुँचाने का शुल्क निशुल्क छूट 50 भुक्तान की रकम 250 संख्या : { 1 { 2 { 3 { 4 { 5 { 6 { 7 { 8 { 9 { 10 ऑर्डर पल कुल बचत 50