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सभी नाश्ता करके अपने काम पे निकल जाते है अक्षत और जसवंत जी कंपनी के लिए और सिया...
वीरेंद्र प्रताप सिंह , बाड़मेर के हुकुम सा , साक्षात यमराज , दुश्मनों के लिए डरव...
कोई ठहर नहीं जाता किसी के भी जाने से यहां कहां फुरसत है किसी को नया पाने से पहले...
आलिया के आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है और उसे कुछ भी समझ में नहीं आता है कि व...
वीर बहुत प्रकार के होते हैं।। जैसे की वीर हनुमान , वीर बेताल और भी वीर नाम है...
डॉक्टर को आभास हुआ कोई उनकी और मिश्रा जी की बातें सुन रहा है तो उन्होंने कहा "...
जिसे सुन रुही ,,,,,आयुष की तरफ देखते हुए ,,,,,,,ठीक है ,,,,,,,मैं इस शहर से और,,...
"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -३६)ज्योति जी,जो ऐन जी ओ की हेड है,वह शुभ...
तपस्या विराट के यादों में खोई हुई रिमोट उठा कर म्यूजिक सिस्टम ऑन कर खुद को मिरर...
'तेरी मेरी बने नहीं और तेरे बिना कटे नहीं' कुछ ऐसा ही है मनु और जागृति क...
“शंकर चाचा, ज़ल्दी से दरवाज़ा खोलिए!” बाहर से कोई इंसान के चिल्लाने की आवाज़ आई। आवाज़ के साथ कोई आँगन का दरवाज़ा धड़धड़ाने लगा, जो पूरी तरह से जंग खाए बैठा था और पक्की दीवार पर टिका हुआ...
आज खुद को किसी की जुबान से सुना एक नन्ही सी परी ओर इतने बड़े बड़े शब्दों में सिमटी हुई कुछ तो गुजर रहा होगा जिन्दगी में उसके जो खेलने कूदने खिलकर हंसने की उम्र में डिप्रेशन,एंजायटी...
यहाँ हमने पहले बुज़ुर्गो के आशिष नाम से novel मतलब motivational कहानियाँ लिखी थी, अभी कहानियाँ पुरानी हैँ, अनसुनी हैँ, सीखने बहुत मिलता हैँ *!! कठिनाईयां !!* ~~~~~~~~~~~~~~~~...
प्रिया के घर के सामने वाले खाली घर में महीनों से सन्नाटा पसरा था। उस घर के आँगन में धूल से नहाये हुए पत्ते, हवा के साथ यहाँ से वहाँ उड़ते नज़र आते थे। जगह-जगह पत्तों के छोटे-छोटे ढ...
में अकसर सोचती थी की अगर हम कोई अच्छा काम करे तो हमारे माता पिता एवम् परिवार वालो की कीर्ति तो बढ़ेंगी ही पर उन शिक्षको और दोस्तो का क्या जिसने भी हमारी सफलता में अमूल्य योगदान दिय...
एक बड़ा सा बंग्लो जिसके entrance gate पर एक बड़ा सा बोर्ड लगा हुआ था, जिसके ऊपर बड़े बड़े अक्षरों में "Oberoi Villa" लिखा हुआ था। उस Bungalow के entrance gate से लेकर main...
अपना पुरा ब्रम्हांड चक्राकार रुप में घुमता रहता है। उसकी घुमने की प्रक्रिया बहुत ही धीरे से चलती रहती है। कभी-कभी व्यक्ति जीवन के सफर में पिसते हुए ऐसे निर्णायक मोड पर आकर रुकता है...
~आरंभ~पतझड़ के दिन अभी अभी खत्म हुए थे, अब मौसम का सफर बसंत ऋतु की सुगंध सेमहकती हवाओं की रवानगी की और बढ़ रहा था | यह कहानी भी कई सौ साल पहले इन्हीं दिनों शुरू हुई थी | यह वह समय...
हम लोग एक व्हाट्सएप समूह के मार्फत आभासी मित्र थे। वह लगभग अस्सी-नब्बे लोगों का समूह। रोज सभी लोग एक दूसरे को सुप्रभात वाले पोस्टर डालते। दिन में कुछ लोग तो अपनी मौलिक रचनाएँ पर अध...
रागिनी का जन्म एक ऐसी रात को हुआ, जो माँ दुर्गा के पूजन के दिनों में ख़ास मानी जाती है—नवरात्रि का चौथा दिन। रात के ठीक तीन बजे, जब चारों ओर सन्नाटा था और रात अपने पूरे अंधकार में...
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