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@bhagirath.jadejagmail.com5716
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I do engineering for earning, poetry for reliving. मत छेड़ मेरे ख़्वाबों को, ख़्वाबों के जज़्बात होते है। ढलते है वे ग़ज़लों में, शायरों के ये अन्दाज़ होते है।
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