Arun Sabharwal

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आपके बारे में

अरुणा सब्बरवाल…. अरुणा सब्बरवाल पूरी तरह से ब्रिटेन की हिन्दी लेखिका हैं कयोंकि उन्होंने अपने हिन्दी साहित्यिक लेखन की शुरूआत बर्मिंघम में आयोजित एक कहानी कार्यशाला में शिरक़त करने के बाद ही की। इस कार्यशाला का संचालन रवीन्द्र कालिया, ममता कालिया एवं तेजेन्द्र शर्मा ने किया था। पच्चीस वर्ष मुख्यधारा के विद्यालयों में और पांच वर्ष स्पेशल एजुकेशनल नीड्स के विद्यालयों में शिक्षण कर रही अरुणा जी का अधिकांश कार्य अंग्रेज़ी भाषा में ही होता था। वर्ष 2008 में बर्मिंघम की गीतांजली बहुभाषी समुदाय संस्था से जुडनें के बाद ही अरुणा सब्बरवाल की वापसी हिन्दी साहित्य की ओर हुई। उनकी पहली कहानी “वे चार पराँठे” रवीन्द्र कालिया द्वारा संपादित पत्रिका ‘नया ज्ञानोदय’ में प्रकाशित हुई जिसकी बहुत सराहना हुई। धीरे धीरे उनकी कहानियाँ अन्य साहित्यिक पत्रिकाओं जैसे कि वागर्थ, कथाकर्म, संचेतना, आधारशिला, वर्तमान साहित्य और सरिता आदि में निरंतर प्रकाशित होने लगीं। स्वर्गीय महीप सिंह, शेरजंग गर्ग, ममता कालिया एवं राजी सेठ ने समय समय पर अरुणा सब्बरवाल की कहानियों को सराहा है। अरुणा सब्बरवाल ब्रिटेन की साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल होती हैं। 2008 में उनकी जो साहित्यिक यात्रा शुरू हुई, उसके नतीजे में अब तक अरुणा जी की पांच पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं . कविता संग्रह: (२०१०) सांसो की सरगम, (२०११) बाँटेंगे चंद्रमा कहानी संग्रह (२०१०) कहा–अनकहा, (२०१४) वे चार पराँठे, (२०१७) उडारी अरुणा जी की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंचों जैसे बरमिंघम, नॉटिंघम, लंदन, न्यूजर्सी, न्यूयॉर्क, कनाडा, दिल्ली, गाज़ियाबाद, यमुनानगर, लखनऊ आदि में आयोजित साहित्यिक आयोजनों, सम्मेलनों एवं कवि गोष्ठियों में सक्रिय भागेदारी रही है। उनके लेखन की एक ख़ूबी निरन्तरता भी है। सम्मान : २००८ साहित्यक संस्कृत परिषद मेरठ . २००८ अक्षरम ७ वां अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव . २००९ अखिल भारतीय मंचीय कवि पीठ ,उतर प्रदेश . २०१० मान-पत्र ,उच्चायोग लंदन २०११ यू .के हिन्दी सम्मेलन ...२४ ...२६ जून बर्मिंघम विशिष्ट सम्मान से अलंकृत . कहानी और काव्य पाठ : २०१६ : जामिया मिलिया विश्वविद्यालय दिल्ली, हंस राज कॉलेज, दिल्ली, खालसा कॉलेज, दिल्ली एवं साहित्य आकादमी (प्रवासी मंच ) दिल्ली । २०१६ कथा यू .के द्वारा आयोजित कथा गोष्ठी में उनकी कहानी “उडारी “ का पाठ अत्यंत सफ़ल रहा। सभी लेखकों से बहुत सराहना मिली। अरुणा सब्बरवाल मित्र मण्डल।

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