किरण बेदी, बॉयकट बालोंवाली लड़की Learn Hindi - Story for Children

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Kiran Bedi was not the type to let her hair get in the way of anything, and certainly not tennis. The last thing on her mind was to start a trend. बॉयकट बालोंवाली लड़की आधी रात के बाद, ट्रेन एक सुनसान स्टेशन पर रुकी। मैंने बैकपैक कंधे पर डाला और ट्रेन से उतर कर इधर-उधर देखा, तो पाया। कुछ कुली अपनी ठेलागाड़ियों पर सोए हुए थे। उनके पास ही सोया था एक आवारा कुत्ता, जो मुझे देखकर भौंकने लगा। एक कुली ने अपनी गर्दन उठाई, कुत्ते के कान में कुछ बुदबुदाया और फिर मुझे देख कर बोला, सर जी, यह जगह रात को ठीक नहीं है, रिटायरिंग रूम में चले जाओ। मैं मन ही मन मुस्कुराई, और सोचने लगी कि इसे पता नहीं है कि मैं लड़की हूं... स्कूल के दिनों से ही मैंने पैंट और ढीली-ढाली कमीज़ पहननी शुरू कर दी थी। टेनिस मैच खेलने के सिलसिले में, मैं अक्सर देशभर में अकेले ही सफ़र करती थी। और कई जगह पर मेरी यह ड्रेस मुझे बचा लेती थी। मेरे बाल भी छोटे-छोटे थे, यानि बॉय कट। मेरी ड्रेस और छोटे बालों के कारण लोग अक्सर समझ नहीं पाते थे कि मैं लड़का हूं या लड़की। क्या आप मेरे बाल कटने की कहानी जानना चाहेंगे? उन दिनों मेरी सभी सहेलियों की लम्बी-लम्बी चोटियां थीं, लेकिन मेरी ये चोटियां जी का जंजाल थीं। मैं चोटी बनाकर, अपने बालों को पिनों से पूरी तरह कस देती थी, लेकिन इसके बावजूद थोड़ी देर में मेरे बाल चेहरे पर बिखरे होते। एक दोपहर मैं मैच खेल रही थी। एक तो गर्मी और ऊपर से मेरी हिलती-ढुलती चोटियां... मेरा ध्यान बार-बार खेल से उचट रहा था। मैं परेशान हो गई। मैं दौड़ कर, खेल देख रहे मम्मी-डैडी के पास गई, और उनसे पूछा, \"मैं बाल कटवा लूं?\' उन्होंने मुस्कुराकर हामी भर दी। मैं रैकेट को वहीं छोड़कर, सड़क के पार नाई की दुकान पर जा पहुंची। नाई था तो काफ़ी मशहूर, लेकिन वो सिर्फ़ आदमियों के बाल काटता था। उसने मुझ से पूछा, \"क्या चहिए?\' मैंने जवाब दिया, \"बाल कटवाने हैं।\" बस, उसने मेरी चोटियां पकड़ीं और खचाखच कैंची चला दी। उसकी इस हरकत पर कोई भी लड़की चिल्ला उठती। फिर बड़े गर्व से उसने, मेरी चोटियां, मेरे चेहरे के सामने लहरायीं, गीली, लाल रिबन से बंधी चोटियां। ये दृश्य मैं कभी नहीं भूल सकती। फिर उसने मेरे बालों को और भी काट-छांट कर लड़कों जैसा कर दिया। मैं नहीं जानती थी कि यह मेरा बॉय कट किसी दिन लड़कियों का ज़बर्दस्त फ़ैशन बन जाएगा। छोटे बालों से मुझे बहुत चैन मिला, क्योंकि अब मैं पूरी एकाग्रता से खेल सकती थी। बहुत देर बाद, एक बात मेरी समझ में आई, कि कम उम्र में ही बाल कटवाने जैसे सीधे-सादे फ़ैसले ने मुझे जीवन में ज़रूरी चीज़ों को प्राथमिकता देने की आदत सिखाई। मेरे लिए खेल अच्छी तरह खेलना, सुन्दर दिखने से ज़्यादा इम्पोर्टनट था। Story: Kiran Bedi Story Adaptation: Ananya Parthibhan Illustrations: M Kathiravan Music: Acoustrics (Students of AR Rahaman) Translation: Madhu B Joshi Narration: Kiran Bedi

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