Bheema has a problem that many of us have every morning. He just can\'t wake up on time! A little friend helps him. Would you like to find out how?
भीमा गधा
लेखन - किरण कस्तूरिया
भीमा, रामू धोबी का गधा है।
उसकी परेशानी यह है
कि उसकी नींद नहीं खुलती।
इसलिए उसे डाँट सुननी पड़ती है।
एक दिन पड़ोस की गाय गौरी ने पूछा,
“भीमा तू उदास क्यूँ है?”
भीमा बोला, “मेरी नींद नहीं खुलती।
तू मुझे जगा देगी?”
“ठीक है।” गौरी बोली।
दूसरे दिन, गौरी “माँ... माँ...” रंभाती रही
पर भीमा नहीं जागा।
शाम को भीमा घाट से लौटा।
मोती कुत्ता वहाँ आया।
“मोती, मेरी नींद नहीं खुलती।
तू मुझे जगा देगा?”
“हाँ... हाँ...” मोती बोला।
अगले दिन, मोती
“भौं... भौं...” भौंकता रहा
पर भीमा की नींद नहीं खुली।
फिर उस दिन शाम को चीनू मुर्गा मिला।
“चीनू, तू तो मुर्गा है, सबको जगाता है,
मुझे भी सुबह जगा देगा?”
“ठीक है।” चीनू बोला।
अगले दिन, चीनू
“कूकडूँ कूँ... कूकडूँ कूँ...” बाँग देता रहा,
पर भीमा नहीं जागा।
शाम को भीमा ने कालू कौवे को
काँव-काँव करते देखा।
“भैया कौए, तुम मुझे सुबह जगा दोगे?”
“हाँ... हाँ... ज़रूर।” कालू बोला।
अगले दिन, कालू
“काँव... काँव...” करता रहा
पर भीमा नहीं जागा।
अब तो भीमा निराश हो गया।
अगले दिन,
सुबह-सुबह एक मक्खी उसकी नाक में जा बैठी।
“आ... आ... आक छीं!”
ऐसा होते ही भीमा की नींद खुल गयी।
“अरे, मैं कैसे जाग गया!”
“मैंने जगाया।” उसके सिर पर बैठी मक्खी बोली।
“सच! मुझे रोज़ जगा दोगी?”
“ठीक है।”
अब भीमा खुश था।
यह तरक़ीब काम आई!
Story: Kiran Kasturia
Illustration: M.Kathiravan
Narration: Bhupesh Bhayana
Music: Rajesh Gilbert
Translation: Kiran Kasturia
Animation: BookBox