The smart lion thinks he can use the fox to bring him food every day. But the fox is smarter. शेर और लोमड़ी पुनर्कथन दीपा बलसावर किसी समय में एक घना हरा जंगल था जहाँ जानवरों को खाने के लिए बहुत कुछ मिलता था। फिर आदमी मशीनें लेकर आए और उन्होंने पेड़ काटने शुरु किए। कम पेड़ यानि कम जानवर। फिर ताकतवर शेर ने देखा कि खाने को कुछ बचा ही नहीं। \"हमें मिलकर काम करना होगा,\" उसने अपनी मित्र लोमड़ी से कहा। \"तुम जानवर ढूँढकर मेरे पास ले आओ। मैं उसे मारूँगा, और फिर हम दोनों मिलकर उसे खाएँगे।” लोमड़ी ढूँढती रही, ढूँढती रही। आखिर में उसे लट्ठों के एक ढेर के पास खड़ा एक आदमी मिला। \"जंगल के उस तरफ़ इससे भी बड़े और अच्छे पेड़ हैं,\" लोमड़ी ने उससे कहा। \"कहाँ? कहाँ? मुझे दिखाओ!\" लालची आदमी बोला। लोमड़ी उस अदमी को जंगल में यहाँ वहाँ, गोल-गोल घुमाती रही... ...और वहाँ ले गई जहाँ भूखा शेर इंतज़ार कर रहा था। शेर ने आदमी की ओर छलांग मारी। आदमी सबसे पास वाले पेड़ पर बंदर की तरह लपका। शेर और लोमड़ी को ज़्यादा चिंता नहीं थी। वे जानते थे कि यह आदमी बच नहीं सकता है। वे विचार करने लगे कि वे किस तरह खाने को बाँटेंगे। \"मैं पैरों की उँगुलियों से शुरु करूँगा,\" शेर बोला। \"मैं हाथों की उँगुलियों से शुरु करूँगी,\" लोमड़ी बोली। एक-एक करके उन्होंने चुन लिया कि कौन क्या खाएगा। आखिर में शेर ने अपने होठों को चाटते हुए कहा, \"मैं भेजा खाऊँगा। म्म्म्म!\" लोमड़ी भी उस आदमी के भेजे को खाने के सपने देख रही थी। उसने शेर से कहा, \"पर इस आदमी का तो भेजा है ही नहीं! अगर होता तो क्या वह पेड़ काटकर जंगल को नष्ट कर देता?\" ऊपर पेड़ पर बैठे आदमी ने दुख से सिर हिलाया। लोमड़ी की बात सही थी। वह चारों ओर पेड़ ढूँढ रहा था जिनपर वह लपककर भाग सके। पर आसपास कोई पेड़ थे ही नहीं! Story: Deepa Balsavar, Illustrations: Amrita Kanther, Music: Jerry Silvester Vincent, Translation: Shivani Arora, Narration: BookBox, Animation: BookBox
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