चीनू का उपहार Learn Hindi - Story for Children and Adults

हिंदी   |   04m 19s

Cheenu has a lot of fun helping his father. Sometimes, there is a special treat for him too! चीनू का उपहार लेखक - श्रीडाला स्वामी स्कूल की छुट्टी होने में पाँच मिनट रह गये थे, पर चीनू और इन्तज़ार नहीं कर सकता था। उसने बाहर देखा। वहाँ कोई नहीं था। तभी कहीं पास से घंटी की टनटनाहट सुनाई दी। “चीनू क्या हो रहा है?” अध्यापक ने कहा “सॉरी मिस,” चीनू बोला, “वह क्या है कि...” तभी, “पेपरवाला, पेपर! पुराने अखबार, कबाड़ी!” चीनू के पिता, कबाड़ी वाले ने गाकर पुकारा। बाहर से ही वे चीनू की मुस्कराहट देख पा रहे थे। स्कूल की घंटी बजी। चीनू, पिता जी के पास दौड़ कर पहुँचा। चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान खेल रही थी। स्कूल में वो अकेला बच्चा था जिसके पिता जी उसे लेने आते थे। चीनू कूद कर ठेले पर जा बैठा और उसने अपने पैर लटका लिये। पिता जी ने ठेले को धक्का दिया और ज़ोर से पुकार लगाई, “पेपरवाला... कबाड़ी!” चीनू ने भी पुकार लगाई। वाह! दोनों की क्या ज़ोरदार आवाज़ निकली! जब एक चौकीदार ने उन्हें रोका, चीनू नीचे कूदा। एक खाली बोरी लेकर वो अपने पिता जी के साथ गया। आज उन्हें जो भी सामान मिलेगा वह इस बोरी में भरा जायेगा। इस घर से, अख़बार। उस घर से अख़बार और पत्रिकाएँ। नीचे वाले घर से, अख़बार और पत्रिकाएँ और खाली बोतलें। चीनू दौड़ कर ठेले से एक और ख़ाली बोरी ले आया। वे लिफ़्ट में ऊपर जाने वाले थे! चीनू की आँखें बड़ी-बड़ी और गोल हो गईं! पाँचवीं मंज़िल से, अख़बार और पत्रिकाएँ, बोतलें, डिब्बे और किताबें मिलीं। जब तक उसके पिताजी उस महिला से बात कर रहे थे, चीनू ने सब सामान ऐसे समेटा कि किताबें सबसे ऊपर थीं। जहाँ वह उन्हें देख सकता था। अब तो ठेले को धक्का देने के लिए चीनू को पिता जी का हाथ बँटाना पड़ा! घर पर सब सामान सहेज कर रखने के बाद चीनू के पिता जी ने उसे बुलाया। “मेरे पास तुम्हारे लिये कुछ है,” वे बोले। वही किताब जिसे चीनू पूरी दोपहर भर देखता रहा! “शुक्रिया पिताजी!” चीनू बोला। उसके बाद, रात को खाने के लिए उन्हें उसे तीन बार बुलाना पड़ा! Author : Sridala Swami Illustrations : Suvidha Mistry Translation : Manisha Chaudhry Narration : Neha Gargava Music : Rajesh Gilbert Animation : BookBox

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