सत्या, ज़रा संभल के! Learn Hindi - Story for Children and Adults

हिंदी   |   05m 20s

Jump and crawl and climb with Satya as he goes along with his mother to the farm where she works. A story about the different and wonderful ways in which we move. सत्या, ज़रा संभल के! लेखिका - यामिनी विजयन चुलबुला सत्या चैन से नहीं बैठ सकता! वह दौड़ता है, छलाँगे मारता है, चक्कर काटता है और कलामुंडियाँ खाता है... ... और गिर जाता है! \"ज़रा चैन से बैठ जा,\" बाबा कहते। \"चोट लगे तो फिर रोते हुए मेरे पास मत आना,\" दीदी कहती। \"कहीं कुछ तोड़ दिया तो देखना,\" दादा कहते। \"पूरी कक्षा सिर पर उठा रखी है,\" स्कूल में मैडम कहतीं। लेकिन सत्या बेचारा क्या करे अगर उसके हाथ-पैर हमेसा नाचते रहें! आज रविवार है। सत्या के लिए हफ्ते का सबसे चहेता दिन – वह दिन जब वह माँ के साथ खेत पर जाता है। खेत घर से बहुत दूर है। रास्ते में पड़ते हैं खेत, टेढ़ी–मेढ़ी पगडंडियाँ, खुले मैदान, घना जंगल और कलकल-छलछल बहते झरने भी। सत्या ख़रगोश की तरह फुदका, उसने हरण की तरह कुलाँचे भरीं... \"अरे! संभल कर! कीचड़ में फिसल मत जाना,\" माँ ने कहा। वह कनखजूरे की तरह सरका और साँप की तरह रेंगा। \"ज़रा काँटों से बचना,\" माँ ने कहा। वह मकड़े की तरह झूला और लँगूर की तरह कूदा। \"ह्वी!!!\" \"अरे मेरा छोटा बंदर, ज़रा मज़बूत डाल पकड़,\" माँ ने कहा। उसने बतख़ की तरह पैरों से चप्पू चलाया और वह मेंढक की तरह तैरा। \"गहरे पानी में मत जाना बेटा,\" माँ ने कहा। वह छिपकली की तरह ऊपर चढ़ा और बकरी की तरह कूदा। \"ज़रा पैर जमा कर! कहीं पैर फिसल ना जाये।\" माँ ने कहा। सत्या ने अपनी बाँहें पँखों की तरह फैलाईं और उड़ने की कोशिश की। उसने कल्पना की कि वह आसमान में गिद्ध की तरह उड़ रहा है, फिसल रहा है! सूरज डूबने के बाद देर शाम को जब झींगुरों ने अपना राग अलापना शुरू किया, तब घर जाने का समय हो गया। थक कर सत्या माँ की पीठ पर लद गया। दोनों ऊँची-नीची पगडंडियों पर चढ़ते उतरते, खेत-जंगल-झरने पार करते घर लौटे। वह घर पहुँचा तो उसे कीचड़–मिट्टी से सना देख बाबा, दीदी और दादा खूब हँसे। दादा ने उसे नहलाया। बाबा ने बढ़िया खाना पकाया। दीदी ने मनपसंद कहानी सुना कर सुलाया। सपने में सत्या दौड़ा और कूदा और घूमा और उसने कलामुंडियाँ खाईं... ... और उड़ चला। ऊपर! और ऊपर! Story: Yamini Vijayan Illustrator: Vishnu M Nair Animation: BookBox Translation: Madhubala Joshi Narration: Neha Gargava Music: Rajesh Gilbert

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