This ancient story from the life of the great sage, Gautama Buddha, carries a deep lesson about conservation. A disciple finds out that getting the Buddha to sanction a new shawl for him is no easy matter! भिक्षु का नया शॉल लेखक - अरविंद गुप्ता एक दिन एक भिक्षु भगवान् बुद्ध के पास आया। भिक्षु एक नया \'शॉल\' चाहता था। बुद्ध ने उससे पूछा, \"तुम्हारे पुराने शॉल का क्या हुआ?\" \"भगवन, वो बहुत पुराना हो गया था और जगह-जगह से फट गया था। मैं उसका चादर की तरह उपयोग करता हूँ,\" भिक्षु ने जवाब दिया। बुद्ध ने फिर पूछा, \"तुम्हारे पुराने चादर का क्या हुआ?\" \"चादर तो फट गयी थी, इसलिये मैंने उसे काटकर तकिये का गिलाफ़ बना लिया था,\" भिक्षु ने उत्तर दिया। बुद्ध ने फिर पूछा, \"तुम्हारे पुराने गिलाफ़ का क्या हुआ?\" “गिलाफ़ में बड़ा छेद हो गया था, इसलिए मैंने उससे एक पायदान बना लिया,\" भिक्षु ने उत्तर दिया। बुद्ध इस उत्तर से भी संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने फिर पूछा, \"पुराने पायदान का क्या किया?\" भिक्षु ने उत्तर दिया, [SM2] \"पुराना पायदान तो एकदम तार-तार हो गया था। मैंने उसके रेशों को इकट्ठा करके अपने दिये के लिए एक बाती बनाई।\" भिक्षु की बात सुन कर बुद्ध मुस्कराये और भिक्षु को एक नया शॉल दे दिया! Story: Arvind Gupta Illustrations: Debasmita Dasgupta Translation: Arvind Gupta Narration: Neha Gargava Music: Rajesh Gilbert Animation: BookBox
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