सो जाओ टिंकू Learn Hindi - Story for Children

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Tinku, a little pup at Mangu\'s farm is not sleepy at all. He decides to step out into the night and meets many interesting animals. सो जाओ टिंकू लेखन: प्रीति नाम्बियार खूबसूरत चाँदनी रात थी, मंगू के खेत में भी सारे पशु पक्षी सो रहे थे। सिर्फ़ टिंकू जागा हुआ था। “मुझे नींद नहीं आ रही अम्मा!” टिंकू फुसफुसाया। लेकिन अम्मा ने उसकी बात सुनी ही नहीं। वो गहरी नींद में थी। टिंकू पहले बाएँ मुड़ा फिर दाएँ मुड़ा। उसने कम्बल ओढा फिर उतार फेंका। वो पेट के बल लेटा, फिर चित हो के लेटा, इधर-उधर खूब करवट बदली, पर नहीं! वो सो ही नहीं पाया। तंग आकर वो रात में ही बाहर निकल पड़ा, ये देखने के लिए कि रात में उसे कौन मिल सकता है। ऊपर आसमान में टिंकू ने चाँद देखा। सफ़ेद, जगमग करता गोल चाँद जो मुस्कुराता हुआ उसे देख रहा था। वह बहुत ख़ुश हुआ। ‘रात तो बहुत सुन्दर है,’ टिंकू ने सोचा। उसे दूर पेड़ पर, पत्तों के बीच टिमटिमाती रौशनी दिखाई दी। “ये रौशनी कैसी?” वह चकित हुआ। एक छोटी सी रौशनी उड़ती हुई उसके पास आई। उस उडती हुई रौशनी ने कहा, “मैं जुगनू हूँ| मैं अँधेरे में चमकता हूँ!” “क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे?” टिंकू ने पूछा। “ज़रूर बनूँगा,” जुगनू बोला। एक पंछी उड़ता हुआ आया। पेड़ की शाख पर उलटा लटक गया। “तुम कौन हो भाई?” टिंकू ने पूछा। “मैं... मैं चमगादड़ हूँ।” पंछी ने कहा। “मैं रात के अँधेरे में देख सकता हूँ!” “मेरे दोस्त बनना चाहोगे?” टिंकू ने पूछा। “बड़े शौक से,” चमगादड़ बोला। पीछे झाड़ियों में पत्तियों की सरसराहट हुई। कोई छिप रहा था! “रुको, रुको, तुम कौन हो?” टिंकू ने पूछा। “मैं... मैं एक लोमड़ी हूँ।” लोमड़ी ने कहा। “मैं रात को टहलने निकलती हूँ।” “क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी?” टिंकू ने पूछा। “बिलकुल बनूँगी।” लोमड़ी बोली। एक पेड़ से दो चमकती आँखें उसे घूर रही थीं। “अब तुम कौन हो?” टिंकू ने पूछा। जवाब आया, “मैं... मैं उल्लू हूँ। मैं रात को भोजन के लिए शिकार की तलाश में निकलता हूँ।” “क्या तुम मुझ से दोस्ती करोगे?” टिंकू ने पूछा। “अरे क्यूँ नहीं!” उल्लू बोला। तभी वहाँ झीं...झीं की आवाज़ गूंजी। “कौन है वहाँ?” टिंकू ने पूछा फिर वो चारों ओर देखने लगा। “मैं एक झींगुर हूँ।” झींगुर ने अपने बारे में बताया। “जब अँधेरा हो जाता है, मैं झीं...झीं... झनकार-सी आवाज़ निकालता हूँ।” “क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे?” टिंकू ने पूछा। “हाँ, ज़रूर!” झींगुर बोला। टिंकू और उसके दोस्त हँसे खिलखिलाए, उछले कूदे और इतनी धमाचौकड़ी मचाई की टिंकू को उबासी आने लगी। “ज़ोर की नींद आ रही है, अब मुझे घर जाना है,” टिंकू बोला। लौटते समय वो बहुत ख़ुश था कि उसने आज बहुत से नए दोस्त बनाए। लौट कर टिंकू अपनी अम्मा से कसकर लिपट गया। उसने फुसफुसाते हुए कहा, “रात को सिर्फ़ सन्नाटा नहीं होता अम्मा! रात में तो बहुत सारे कमाल के दोस्त मिलते हैं।” “हाँ!” अम्मा बोली, “तुम्हारे रात के दोस्त रात को ही अपना काम करते हैं। वे रात को ही खाते हैं और खेलते हैं। लेकिन दिन में आराम भी करते हैं। अब तुम सो जाओ। नींद तुम्हें ताकत देगी, ताकि कल तुम अपने दिन के दोस्तों के साथ खेल सको। सो जाओ मेरे प्यारे बच्चे!” चमकीला गोल-गोल चाँद पूरी रात चमकता रहा। उसकी शीतल चाँदनी चारों ओर बिखरी थी। और टिंकू खर्र-खर्र खर्राटे लेकर सोया हुआ था| Story: Preethi Nambiar Illustrations: Kallol Majumder Narration: Neha Gargava Music: Rajesh Gilbert Translation: Aarti Smit Animation: BookBox

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