A little boy looks for something he has lost and guesses what happens when he finds it? Watch to find out for yourself. खोया पाया लेखिका - सुखदा राहाल्कर यहाँ नहीं, वहाँ भी नहीं, तुम कहाँ खो गए हो? सोफ़े के ऊपर नहीं। बिस्तर के नीचे भी नहीं। डिब्बे के अन्दर नहीं। मेरी बहन की फ्रॉक के नीचे भी नहीं। मेरे तकिये के नीचे भी नहीं, मेरे बैग में भी नहीं। ऊँहू ऊँहू, तुम कहाँ चले गए हो? मैंने हर एक कमरे में ढूंढा। मैंने हर एक किताब के नीचे देखा। मैंने कुर्सी के नीचे भी तलाश किया। मैंने स्टूल के नीचे भी देखा। तुम कहाँ खो गए हो? सैर से लौटने के बाद नानी ने कहा, \"देखो यह मुझे पार्क में क्या मिला? यह लहराता है, उछल-कूद करता है, गोल-गोल घूमता है, और... और यह झूलता भी है।” ओह नानी, तुम कितनी अच्छी हो! तुमने मेरा प्यारा यो-यो ढूंढ निकाला।” “यो-यो? कितना बढ़िया नाम है। यह कितना मजेदार खिलौना है! मैं इससे खेलना चाहती हूँ, मुझे इससे खेलकर बहुत मज़ा आता है!” हँसते-हँसते, मस्ती करते, नानी मेरे प्यारे छोटे खिलौने से खेलती रहीं, पूरे दिन! Story:Sukhada Rahalkar Illustration:Sukhada Rahalkar Narration:Neha Gargava Music:Rajesh Gilbert Translation: Poonam S. Kudaisya Animation:BookBox
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