One day Maaloo had to get some potatoes from his kitchen garden. Who do you think helped him? Kaaloo, of course! Read about Maaloo\'s morning with Kaaloo as they found some \'Aaloo\'! आलू - मालू - कालू लेखन - विनीता कृष्णा मालू आज पहली बार बगीचे से सब्ज़ी तोड़ने गया। मालू ने तोड़े लाल टमाटर, लम्बे बैंगन और हरी-भरी भिण्डी। दादी ने कहा \"शाबाश मालू! जाओ थोड़े आलू भी ले आओ।\" मालू ने सारे पेड़, बेलें और पौधे देखे। आलू कहीं दिखाई नहीं दिये। मालू ने कहा, \"दादी, आलू अभी उगे नहीं।\" मालू ने खाली टोकरी रख दी। \"नहीं मालू, बहुत आलू उग रहे हैं, ध्यान से देखो।\" दादी ने समझाया। मालू फिर गया बगीचे में। पीछे-पीछे कालू भी चल पड़ा था। मालू आलू खोज़ रहा था कि उसे सुनाई दिया, \"भौं, भौं, भौं।\" \"ओ हो! रुक, रुक कालू,\" मालू दौड़ा। \"बगीचा खराब मत कर।\" मालू ने देखा, कालू ने गड्ढ़ा खोदा हुआ था। खुदी मिट्टी में थे मोटे-मोटे आलू! \"वाह कालू! ढूँढ निकाले आलू,\" टोकरी भर कर बोला मालू। Story:Vinita Krishna Illustration: Kallol Majumder Narration: Neha Gargava Music: Jerry Silvester Vincent Translation: Vinita Krishna Animation:BookBox
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