There was a donkey who felt so happy that he sang through the night in the cucumber field. The problem was that the cucumbers couldn\'t bear it. What did they do? सुरीला गधा पुनर्कथन निवेदिता सुब्रमणियम दिन में गधा धोबी के लिए काम करता। रात को वह अपने दोस्त सियार के साथ लंबी सैर पर जाता। सियार सुनता नहीं पर गधा बोलता रहता, बोलता रहता, खीरे के खेत में पहुँचने तक। फिर गधा अपना मुँह खोल ताज़े, रसीले खीरे का चख मारता, चाँद जैसा ठंडा। रोज़ रात को दोनो खाते। गधा खूब खाता। वह खुशी से मोटा हो गया। और फिर एक दिन वह खुशी से गाने लगा। “अरे नहीं!” सियार बोला और कान बंद कर लिए। “अरे हाँ!” गधा बोला और उसने अपना मुँह और खोला। “बंद करो!” सियार चिल्लाया। “किसान तुम्हें सुन लेगा।” पर गधे ने गाना बंद नहीं किया। “बंद करो!” सियार चिल्लाया। “खीरे तुम्हें सुन लेंगे।!” फिर भी गधे ने गाना बंद नहीं किया। पर किसान ने उसे सुना नहीं। पता है क्यों? वह सपना देख रहा था कि उसके खेत में हज़ार खीरे हैं। वह जागना नहीं चाहता था। खेत में असली खीरे इंतज़ार करते रहे। पर किसान नहीं आया। और सुरीले गधे ने गाना नहीं बंद किया। खीरे यह सह नहीं सके। वे क्या करते? वे एक-एक करके खेत से बाहर कूदे और किसान के घर की ओर भागे। सुबह जब किसान जागा तो वह अकेला नहीं था। उसके चारों ओर खीरे थे — एकदम जगे हुए, उसे घूरते हुए। और खेत में गधा गहरी नींद सोया था।
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