जूते के अन्दर बूता Learn Hindi - Story for Children
हिंदी |
06m 39s
Boos are playful creatures. Meera stumbles upon Puzzle, the Boo, stuck inside her shoe.
जूते के अन्दर बूता
कुड़ाली मनिकावेल द्वारा लिखित।
क्या तुमने कभी \'बूते\' देखे हैं?
ये वे मज़ेदार जीव हैं जिन्हें रात को
शायद तुम बिस्तर के नीचे देखते हो।
कुछ नारंगी ज़ेबरा जैसे दिखते हैं
और कुछ उड़ने वाले घोंघों जैसे।
वे तुम्हें छेड़ सकते हैं,
या छींकने पर मजबूर कर सकते हैं!
यहाँ तक कि वे ख़ाली जेबों में
चॉकलेट भी बना सकते हैं।
हमारा बूता पज़ल
कुछ हाथी-सा दिखता था,
केवल उसका रंग ज़्यादातर बैंगनी
और आकार चूहे जैसा था।
एक सुबह संयोग से
मीरा उसके साथ जा टकराई।
वहाँ वह गहरी साँसें भर कर
कराह रहा था।
उसकी पीठ कस के
मीरा के जूते में फँस गई थी।
मैं अवश्य ही सपना
देख रही हूँ,\" उसने सोचा।
उसने उसे खोंचा,
देखने के लिए कि क्या होता है।
आह! पज़ल चीखा!
ओह! मुझे क्षमा करना,
मीरा ने माफ़ी माँगी।
मैं अटक गया हूँ! वह चिल्लाया।
असल में
वह वहाँ पूरी रात अटका हुआ था,
और कभी भी मुक्त होने की
आशा छोड़ चुका था।
मीरा ने ध्यान से उसकी जाँच की।
मुझे देखने दो,
शायद मैं मदद कर सकूँ
उसे पैरों से खींचते हुए उसने कहा।
मीरा ने उसे पीछे से धकेला।
यहाँ तक कि उसने जूते को भी
ज़्ामीन पर दे मारा।
मैं तुम्हें साबुन के पानी में डाल सकती हूँूं
उसने सुझाव दिया।
नहीं, पज़ल बुलबुलों से डरता था।
अच्छा, अगर मैं तुम्हारे ऊपर
तेल डालूँ तो?\"
मीरा ने पूछा।
पज़ल गिड़गिड़ाने और सुबकने लगा।
वह हरगिज़्ा नहीं चाहता था
कि उसके ऊपर तेल डाला जाए।
मुझे पता है
तुम्हारा रोना कैसे बन्द किया जाए!
मीरा ख़ुुशी से चीखी।
उसने पज़ल को गुदगुदाना शुरू किया।
बूते\' को बहुत गुदगुदी होती है
और वह शीघ्र ही
खिलखिलाने और बल खाने लगा।
जितना ज़़्यादा मीरा उसे गुदगुदाती
वह उतना ही छटपटाता, फिर अचानक...
देखो, तुम छूट गए! ताली बजाते हुए
मीरा ख़ुशी से चीखी।
पज़ल ने आँखें झपकार्इं।
उसने अपने पैरों को हिलाया।
उसने अपनी पूँछ हिलाई।
फिर उसने ख़ुद को पूरी तरह हिलाया,
अपने-आप को विश्वास दिलाने के लिए।
ओह! मैं मुक्त हो गया!
कमरे के चारों ओर उछलते हुए
उसने ढिंढोरा पीटा
वह मीरा के हाथ पर आ कूदा
और मुस्कुराया,
इसके पहले कि मैं जाऊँ,
तुम क्या चाहती हो?
चॉकलेट?
क्या मैं तुम्हारा स्कूल ग़ायब कर दूँ?\"
क्या तुम्हें जाना होगा?
उदास होकर मीरा ने पूछा।
काश! तुम रुक पाते!
हम दोस्त बन जाते!
बूते\' के मनुष्य-मित्र नहीं होते।
यह बहुत अच्छा विचार है। वह चहका,
तुम केवल कहना
पज़्ाल बेटू, मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ,\'
और मैं आ जाऊँगा!
वादा? उसने पूछा, \"वादा!\"
पज़ल ने आँख मारी।
तभी स्कूल बस का हॉर्न ज़्ाोर से बजा।
ठीक है, हम स्कूल ख़त्म होने पर खेलेंगे।
फिर मिलते हैं!
उसने कहा और बाहर भागी।
स्कूल के बाद मीरा बाग़ में गई,
उसने अपनी आँखें बन्द कीं
और वह जादुई शब्द बुदबुदाई।
एक गुंजन के साथ
पज़ल एक पल में सामने हाज़िर हो गया।
वे सूर्यास्त तक हँसते और खेलते रहे।
उस दिन से
मीरा और पज़ल
गहरे मित्र बन गए।
Narration: Pratima Srivastava
Illustrations: Emanuele Scanziani
Animation: Alfrin Multimedia
Music & Art Direction: Holger Jetter
Translation: Aparna Roy