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मेरे अनकहे जज्बात। - अकेला पथिक

by Mr Un Logical
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यह वसुधा न तो कभी किसी की थी न ही यह किसी की है ।सब तो हैं बस ...

उजड़ता आशियाना - अनकही दास्तान - 5

by Mr Un Logical
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वह एक थकी हुई सी शाम थी,हर तरफ खामोशी फैली हुई थी।लग रहा था जैसे कोई तूफान गुजरा था।जिसके ...

मेरे अनकहे जज्बात। - मृत्यु कुण्ड - 2

by Mr Un Logical
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शब्दों की सार्थकता तो तब ही है जब वह अपने उद्देश्य को प्राप्त कर ले , समान्यतः मौलिक रूप ...

उजड़ता आशियाना - जीवन पथ - 4

by Mr Un Logical
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किसी ने क्या खूब कहा है।जन्म हुआ तो मैं रोया और लोग हँसे, मौत आयी तो सब रोये मैं ...

उजड़ता आशियाना - पतझड़ - 2

by Mr Un Logical
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आज बहुत दिनों के बात एक सुहानी शाम को कुछ फुरसत के पल मिले थे।ऐसा लग रहा था जैसे ...

मेरे अनकहे जज्बात।

by Mr Un Logical
  • (4/5)
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अक्सर हम चाह कर भी जो कह नही पाते उन अनकहे शब्दों मैं सबके सामने लाने की कोशिश कर ...

उजड़ता आशियाना

by Mr Un Logical
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अनहोनी की निशानी होती है कि हमें अंदाजा नहीं होता,और जो हो जाता फिर उस से उबरने के कोई ...