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शब्दों की मासूमियत और जज्बातों की खुशबू ...जब मिला दे दोनों को...बन जाये कुछ नई....हँसते रहिये हँसाते रहिये...जिंदगी का साथ निभाते रहिये.....
जमाने की थी फिकर बहुत,मंजिल ए इश्क़ मयस्सर न हुई। तन्हाई के इस आलम में भी जमाने को मेरी फिकर न हुई। -Mr Un Logical
जिंदगी में जूता हो या टोपी हमेशा नाप का ही होना चाहिए।।अगर बड़ा होगा तो बार बार आगे निकल जाता है और छोटा हो तो दर्द देता है। एक व्यक्ति के जीवन में हर चीज बस इन्हीं दो प्रकार के होते है।कुछ इसलिए क्योंकि हमें लगता है ये टोपी की तरह हमारा शान बढ़ाता है तो कुछ इसलिए क्योंकि जूते की तरह हर समय हमारी रक्षा करता है और सफर को आसान बना देता है।
मुस्कुरा ले जरा ए जिंदगी आज अपनों के साथ में। न जाने फिर कभी ऐसी मुलाकात हो भी या न हो। घरों में हैं आज बंद सब बिछड़े हुए एक साथ में। बिखरे हुए रिश्तों में फिर से तो एक नई मिठास हो।
हर सफर में एक हमसफर हो,ये कोई जरूरी तो नही। यूँ भी सफर ए जिंदगी खत्म होती है तन्हा बनकर।
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