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मर्यादा की अर्थी

by Ved Prakash Tyagi
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मर्यादा की अर्थी जमीला ने जैसे हमेशा के लिए ही चारपाई पकड़ ली थी, सलीम जो भी कमाकर ...

कवितायें

by Ved Prakash Tyagi
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मेरा गाँव कहीं खो गया सुंदर ताल, तलैया, बाग,सरोवर, बीच बसा था गाँव मनोहर। हर जाति के ...

बिन फेरे

by Ved Prakash Tyagi
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बिन फेरे आनंद के उन पलों में प्रकाश सब कुछ भूलकर पूरी तरह खोया हुआ था कि तभी मानसी ...

धनिया

by Ved Prakash Tyagi
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धनिया फुट पाथ पर पडी धनिया भंयकर प्रसव पीडा से तडप रही थी, बेचारा सुखिया ...

कचहरी

by Ved Prakash Tyagi
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कचहरी अपने परिवार के साथ सोहन एक फ्लैट में रह रहा था, छोटा भाई भी साथ में ही रहता ...

ओ पी डी

by Ved Prakash Tyagi
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ओ पी डी प्रदीप भाई ये लो गरमा गरम कॉफी और पीकर बताओ मैंने भाभी से अच्छी बनाई या ...

लाजवन्ती

by Ved Prakash Tyagi
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लाजवन्ती मैं तो अपनी बेटी को डॉक्टर बनाऊँगा, नमिता के पेट पर हाथ फिराते हुए राजेन्द्र ने कहा, और ...

नृत्यांगना सुरभि

by Ved Prakash Tyagi
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नृत्यांगना सुरभि सुरभि ने अपनी माँ को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन टस से मस नहीं हुई, भैया, ...

पतझड़

by Ved Prakash Tyagi
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पतझड़ पंडित नारायण राव अक्सर सोहन के पास आकार बैठ जाया करते, अपनी कोयले वाली प्रैस से सोहन लोगों ...

हिना

by Ved Prakash Tyagi
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हिना खूबसूरत हिना को पत्नी रूप में पाकर सुहैल बहुत खुश था, दिल्ली में रंजीत नगर के तीन ...